वो महाराजा जिसने पाजामे का नाड़ा खोलने के लिए रखा था अफसर

आजादी से पहले भारतीय महाराजाओं की सनक और आदतें अजीबोगरीब थीं. उनके पास भरपूर दौलत थी तो उसकी नुमाइश भी भौंडे तरीके से करते थे. कपूरथला के महाराजा ने पायजामा का नाड़ा खोलने के लिए एक अफसर रखा हुआ था.

वो महाराजा जिसने पाजामे का नाड़ा खोलने के लिए रखा था अफसर
हाइलाइट्स कपूरथला के महाराजा ने पायजामा अफसर नियुक्त किया था जिसका काम नाड़ा बांधना और खोलना था महाराजा को पगड़ी पहनाने वाला भी एक कर्मचारी था आजादी के पहले भारत के राजा महाराजाओं की अय्याशियों ऐसी ऐसी थीं कि कोई भी जानकर हैरान रह जाएंगे. देश की आजादी से पहले 40 फीसदी इलाके ऐसे थे, जिस अंग्रेजों से करार करके राजा-महाराजा राज कर रहे थे, जो ना केवल सिरफिरे थे बल्कि मानने लगे थे कि वो सामान्य मनुष्यों से बहुत ऊंचे और ईश्वर के अवतारों के वंशज हैं. कुछ महाराजा चूड़ीदार पाजामे का नाड़ा बांधने के लिए ऊंचे वेतन पर खास अफसर तैनात करने लगे थे. ऐसे ही एक महाराजा थे कपूरथला के महाराजा जगतजीत सिंह. जिन्हें अपने पायजामा का इजारबंद बांधने और खोलने के लिए किसी की मदद की जरूरत पड़ती थी. एक राजपत्रित अधिकारी इसी काम के लिए उनके साथ चलता था. ना जाने कब महाराजा को इसकी जरूरत पड़ जाए. उसे मोटा वेतन मिलता था. इस बात का विस्तार से जिक्र दीवान जरमनी दास ने अपनी किताब ‘महाराजा’ में किया है. जरमनी दास कई रियासतों में दीवान थे, जिसमें एक रियासत कपूरथला भी थी, जहां उन्होंने लंबे समय तक काम किया. इस घटना का जिक्र कपूरथला के महाराजा जगतजीत सिंह का ही है. हमेशा कोई अधिकारी या सहायक साथ रहता था महाराजा की ये अजीब आदत राजपरिवार औऱ महल के सभी लोगों को मालूम थी. इसलिए उनको कोई अड़चन होती तो कोई अधिकारी या अंगरक्षक उनकी मदद के लिए मौजूद रहता था लेकिन कई दफा महाराजा परेशानी में भी पड़े. जब वह ब्रिटिश राजमहल गए एक दफा महाराजा जब हर साल की तरह लंदन सैर के लिए गए हुए थे तब इंग्लैंड के राजा जार्ज पंचम और रानी मेरी ने उनको बकिंघम पैलेस के एक नृत्य समारोह में आमंत्रित किया. महाराजा अपनी राजसी पोशाक – चूड़ीदार पायजामा, अचकन, मोतियों के हार, पगड़ी और हीरे जवाहरात के आभूषण पहनकर वहां पहुंचे. महाराजा डांस करते रहे और शैंपेन पीते रहे महल के लार्ड चैंबरलेन ने उनका आदर से स्वागत किया. वहां ब्रिटिश समाज के गणमान्य लोग, इंग्लैंड का राजपरिवार, ब्रिटिश सरकार के मंत्री और नामी गिरामी रईस मौजूद थे. जब नृत्य शुरू हुआ तो महाराजा बेगम आगा खां के साथ डांस करने लगे. वह फ्रांसीसी महिला थीं और बेइंतिहा खूबसूरत थीं. आगा खां खोजा मुस्लिम समुदाय के थे और अपनी दानशीलता के लिए मशहूर थे. इन्हीं आगा खां के महल में अंग्रेज सरकार ने महात्मा गांधी को कैद करके रखा. जब महाराजा को टॉयलेट जाने की स्थिति आई तो मुसीबत हो गई रात बीतती गई. महाराजा ने कई बार सुंदर महिलाओं के साथ डांस किया. शैंपेन पी. खुश रहे. वैसे महाराजा ज्यादा शराब नहीं पीते थे. सावधानी के साथ ही पीने का काम करते थे. रात का खाना कई बड़ी बड़ी मेजों पर सजाया गया. खाना खाने के लिए बैठने से पहले महाराजा को कुछ लघुशंका या टॉयलेट जाने की जरूरत महसूस हुई. फिर उन्होंने अनुरोध करके बाहर से सहायक बुलाया चूंकि वो अकेले ही डांस के लिए बुलाये गए थे. उनके साथ कोई अधिकारी नहीं आया था तो उनको बहुत परेशानी हुई कि किसे पायजामा का नाड़ा खोलने के लिए कहें. थोड़े देर हिचकिचाए. फिर राजा के प्राइवेट सेक्रेट्री सर क्लाइव विग्राम को अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि क्या राजमहल के बाहर उनकी गाड़ी में बैठे सहायक इंदर सिंह को मदद के लिए यहां बुलाया जा सकता है. तब वह मूत्रालय जा पाए सेक्रेट्री ने लाचारी जताते हुए कहा कि ये ममकिन नहीं. फिर लार्ड चैंबरलेन ने महाराजा की बात मान ली. इंदर सिंह को अंदर बुलाया गया. उसने आकर महाराजा के नाड़े को खोला तब महाराजा मूत्रालय जाकर राहत ले पाए. जब वह बाहर निकले तो इंदर सिंह ने नाड़ा बांधा. बाद में सर क्लाइव और चैंबरलेन ने राजा जार्ज से इस घटना का जिक्र किया. वास्तव में महाराजा के लिए ये एक सबक जैसा था. बाद में वो कोई ऐसा निमंत्रण स्वीकार नहीं करते थे, जिसमें अफसरों या सहायकों को साल ले जाना मना हो. महाराजा की पगड़ी बांधने के लिए भी एक कर्मचारी था ऐसी ही मुसीबत उनकी पगड़ियों के मामले में थी. एक खास कर्मचारी हमेशा महल में उनकी पगड़ी बांधने के लिए तैनात रहता था. ऐसा ही मामला पटियाला नरेश भूपेंद्र सिंह और कई सिख राजाओं का था. कहां हुई थी पायजामा की शुरुआत कहा जाता है कि पायजामा की शुरुआत भारत और ईरान से हुई थी. इसे पायजामा शब्द हिंदी से मिला. जिसे पै और जामा से जोड़कर बनाया गया. यानि पैर में पहना जाने वाला जामा वस्त्र. ये आमतौर पर भारत में खूब पहने जाते थे. इन्हें बांग्लादेश, पाकिस्तान, ईरान और दक्षिणी भारत सहित पूरे मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में महिलाओं और पुरुषों द्वारा पहना जाता था. महाराजा ने 06 शादियां कीं अब कपूरथला के महाराजा जगतजीत सिंह के बारे में भी जान लेते हैं. महाराजा सर जगतजीत सिंह का जन्म 24 नवंबर 1872 में हुआ और मृत्यु भारत की आजादी के बाद 19 जून 1949 में. वह भारत में ब्रिटिश राज के दौरान 1877 से 1949 तक कपूरथला रियासत के अंतिम शासक महाराजा थे. उन्होंने 06 शादियां कीं, जिसमें उनकी दो बीवियां विदेशी थीं. उनका सपना था कि कपूरथला ‘पूरब का पेरिस’ बने. उन्होंने वर्साय के महल की तर्ज पर फ्रांसीसी शैली में जगतजीत पैलेस, उत्तरी अफ्रीकी शैली “मघरेबी” में मूरिश मस्जिद, कपूरथला युद्ध स्मारक और अन्य स्थल बनवाए. Tags: Royal Traditions, Royal weddingFIRST PUBLISHED : June 16, 2024, 10:03 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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