वो कौन सी बेशकीमती मछली जिसकी आंख पर अर्जुन ने स्वयंवर में लगाया निशाना
वो कौन सी बेशकीमती मछली जिसकी आंख पर अर्जुन ने स्वयंवर में लगाया निशाना
Mahabharat Katha: जब पांचाल नरेश ने द्रौपदी के विवाह के लिए स्वयंवर आयोजित किया तो उन्होंने ऊपर घूमते मत्स्य यंत्र में जो मछली लगाई थी, जिसकी आंख अर्जुन ने भेद दी थी. ये मछली भारत ही नहीं दुनियाभर बेशकीमती होती है.
हाइलाइट्स द्रौपदी के स्वयंवर में इस सुनहरी मछली की आंख को अर्जुन ने तीर से भेदा था भारत में सुनहरी मछली को समृद्धि का प्रतीक माना जाता रहा है महाभारत के दौर में भी इस मछली का खास महत्व होता था.
क्या आपको मालूम है कि द्रौपदी के स्वयंवर के लिए पांचाल के राजा द्रुपद ने मत्स्य यंत्र में जो बेशकीमती मछली लगवाई थी, वो कौन सी मछली है, इसे दुनिया की बेशकीमती मछलियों में गिना ही नहीं जाना बल्कि ये सौभाग्य की भी प्रतीक होती है. इसी घूमती हुई मछली की आंख पर सटीक निशाना लगाकर अर्जुन ने स्वयंवर में द्रौपदी का वरण कर लिया था.
द्रौपदी के स्वयंवर के दौरान एक पानी के एक बर्तन के ऊपर घूम रही थी. प्रतियोगियों को नीचे पानी में मछली के प्रतिबिंब को देखकर निशाना लगाना था। अर्जुन ने सफलतापूर्वक निशाना मारा, जिससे द्रौपदी का विवाह हो गया. इस संदर्भ में इस्तेमाल की गई मछली को मत्स्य यंत्र कहा जाता है, जो तीरंदाजी में कौशल और सटीकता का प्रतीक है.
भारतीय संस्कृति में ये समृद्धि का प्रतीक
ये फिश अपने चमकदार रंगों और सुंदरता के लिए जानी जाती है. खासकर एशियाई संस्कृतियों में, इसे सौभाग्य, समृद्धि और सफलता का प्रतीक माना जाता है. भारत में कुछ लोग इसे लक्ष्मी का प्रतीक भी मानते हैं. महाभारत में इस मछली को सुनहरी मछली कहा गया है यानि गोल्डेन फिश. वैसे भारतीय मिथॉलॉजी में गोल्डेन फिश का खास महत्व है. ये मछली भारत में प्राचीन समय से अच्छे भाग्य और समृद्धि के प्रतीक के तौर पर जानी जाती रही है. (image generated by leonardo ai)
ये लाखों रुपए में बिकती है
गोल्डेन फिश को दुनिया में खास और बेशकीमती फिश में गिना जाता है, इसकी कुछ खास और दुर्लभ किस्मों की कीमत लाखों डॉलर तक हो सकती है. भारत में ये मछली अपनी खासियतों के अनुसार हजारों से लेकर लाखों तक बिकती है.
इसे स्वयंवर में क्यों चुना गया
द्रौपदी के स्वयंवर के लिए गोल्डेन मछली को कौशल और सटीकता के कारण चुना गया था। मछली की आंख, जो लक्ष्य थी, को पानी के बर्तन के ऊपर रखा गया था, जिसमें प्रतिभागियों को इसके प्रतिबिंब के आधार पर सावधानीपूर्वक निशाना लगाना था. इस मछली की आंख काफी छोटी होती है.
पौराणिक कथाओं में इसका महत्व
गोल्डेन फिश भारतीय पौराणिक कथाओं में खास महत्व रखती है, उसको अक्सर दैवीय सुरक्षा और मार्गदर्शन से जोड़ा जाता है. विष्णु का मत्स्य अवतार सुनहरी मछली ही बताई जाती है. मत्स्य को प्रथम मनुष्य मनु को एक बड़ी बाढ़ से बचाने के लिए जाना जाता है, जिसने उनकी नाव को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया था. ये मछलियां गंगा और यमुना नदियों से भी जुड़ी हैं, जो जीवन देने वाले जल का प्रतीक हैं. विष्णु के मत्स्य अवतार को भी इस मछली से जोड़ा जाता रहा है. (image generated by leonardo ai)
चीनी संस्कृति में इसे क्यों तवज्जो
चीनी संस्कृति में, सुनहरी मछली बहुतायत और उर्वरता का प्रतीक है. सुनहरी मछली की जोड़ी (जिसे अक्सर कार्प के रूप में दर्शाया जाता है) खुशी और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करती है, जिसका उपयोग अक्सर शादी समारोहों में जोड़ों को एक साथ फलदायी जीवन की कामना करने के लिए किया जाता है.
कई लोक कथाओं में गोल्डेन फिश के बारे में कहानियां हैं जो उन लोगों की इच्छाएं पूरी करती हैं जो इसके जीवन को बचाते हैं.
लक्ष्मी की प्रतीक
देवी लक्ष्मी, जो धन और समृद्धि का प्रतीक हैं, उन्हें अक्सर सुनहरी मछली से जुड़ी होती हैं. ऐसा माना जाता है कि अपने घर में सुनहरी मछली रखने से धन और प्रचुरता का आशीर्वाद मिल सकता है, जो सौभाग्य के प्रतीक के रूप में उनकी भूमिका को मजबूत करता है. इस मछली की उम्र 20 से 40 साल मानी जाती है.ये छोटे से मछोले आकार तक में मिलती है. (image generated by leonardo ai)
सुनहरी मछली हिंदू अनुष्ठानों और त्योहारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. दिवाली जैसे उत्सवों के दौरान, नदियों या तालाबों में सुनहरी मछली छोड़ना देवताओं को अर्पित किया जाना माना जाता है, जो नकारात्मक ऊर्जाओं की रिहाई और सकारात्मक बदलावों का स्वागत करने का प्रतीक है.
पोषक तत्वों से भरपूर
ये मछली पोषक तत्वों से भरपूर होती है, जिसमें आयोडीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड, डीएचए, ईपीए, आयरन, टॉरिन, मैग्नीशियम, फ्लोराइड और सेलेनियम शामिल हैं. ये मछली मुख्य रूप से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में पाई जाती है. हालांकि बढ़ते प्रदूषण के स्तर ने इन मछलियों को गहरे पानी में धकेल दिया है, जिससे उन्हें पकड़ना मुश्किल हो गया है और अब वो बाजार में दुर्लभ हो रही हैं.
कितने साल जिंदा रहती हैं
ये 20 से 40 साल तक जिंदा रहती हैं. करीब 4 से 16 इंच तक की हो सकती हैं. यह मछली अपनी बड़ी आंखों और सूंघने तथा सुनने की बेहतरीन इंद्रियों के लिए जानी जाती है. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार , दुनिया की सबसे लंबी पालतू गोल्डफिश 18.7 इंच की है. दुनिया भर में लोग कभी-कभी विशालकाय गोल्डफिश पकड़ते हैं, जो हमारे द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली छोटी मछलियों से बिलकुल अलग होती है.
Tags: MahabharatFIRST PUBLISHED : January 7, 2025, 10:02 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed