महाभारत: किस पांडव भाई ने द्रौपदी से किया सच्चा प्यार नहीं देख पाता था परेशान
महाभारत: किस पांडव भाई ने द्रौपदी से किया सच्चा प्यार नहीं देख पाता था परेशान
Mabharat Katha: द्रौपदी को स्वयंवर में अर्जुन ने जीता फिर स्थितियां ऐसी बनीं कि उसे पांचों पांडवों की पत्नी बनना पड़ा. क्या आपको मालूम है कि पांच पांडवों में कौन उसे दिलोजान से प्यार करता था.
हाइलाइट्स भीम के साथ द्रौपदी हमेशा बहुत सुरक्षित महसूस करती थी अर्जुन ने कई शादियां करके द्रौपदी को असुरक्षित महसूस कराया युधिष्ठिर ने तो उन्हें जुए में दाव पर ही लगा दिया था
क्या आपको मालूम है पांचों पांडवों की पत्नी बनने के बाद कौन था, जो द्रौपदी को सबसे ज्यादा प्यार करता था. हालांकि द्रौपदी किसी और पांडव भाई को सबसे प्यार करती थी, दिलोजान से चाहती थी. जब इस शख्स ने बाद में दूसरी शादियां कीं तो वह बहुत नाराज हुई. लेकिन हम आपको बताते हैं कि किस पांडव ने उससे ऐसी मोहब्बत की कि कभी उसकी आंखों में आंसू नहीं देख पाया. बाकि पांडवों ने तो केवल पति की ही भूमिका ज्यादा निबाही.
महाभारत में द्रौपदी और पांडवों के संबंधों के बारे में बहुत विस्तार से बताया गया है. जब द्रौपदी स्वयंवर के बाद पांचों पांडवों के साथ घर आई तो उसे लगा था कि वह केवल अर्जुन की पत्नी बनेगी लेकिन कुंती ने ऐसी बात कह दी कि उसे पांचों भाइयों की पत्नी बनना पड़ा. इससे वह शुरू में बहुत दुखी हुई लेकिन फिर इस भूमिका के साथ खुद को ढाल लिया.
पांचों पांडव द्रौपदी को प्रेम और सम्मान देते थे, लेकिन एक पांडव ऐसा भी था, जो वास्तव में उससे इतना सच्चा प्यार करता था कि उसके लिए सबकुछ करने को तैयार रहता था. ये ऐसा पांडव था, जिसने हमेशा द्रौपदी की हर इच्छा पूरी की. क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ये पांडव कौन था. वैसे हम ये बता देते हैं कि द्रौपदी ने हमेशा पांचों भाइयों में सबसे ज्यादा अगर किसी को चाहा तो वो अर्जुन थे लेकिन अर्जुन से बदले में वैसा प्यार नहीं मिला. द्रौपदी ने हमेशा पांचों भाइयों में सबसे ज्यादा अगर किसी को चाहा तो वो अर्जुन थे लेकिन अर्जुन से बदले में वैसा प्यार नहीं मिला. (Image generated by Leonardo AI)
वो पांडव द्रौपदी के लिए सबकुछ करने को तैयार रहता था
तो वो कौन सा पांडव था, जो वाकई उसके लिए आसमान से तारे तोड़ लाने के लिए तैयार रहता था. समय आने पर उसने एक बार नहीं बल्कि कई बार द्रौपदी के लिए ऐसे ऐसे काम किए, जो किसी पांडव ने नहीं किए.
हर पग पर साथ खड़ा होता था, संबल देता था
ये भीम थे, जिन्हें द्रौपदी से सबसे अधिक प्रेम करने वाला माना जाता है. जब भी द्रौपदी अपमानित या दुखी होती थीं, भीम हमेशा उनकी मदद के लिए खड़े रहते थे. जुए के बाद द्रौपदी के चीरहरण की घटना के दौरान भीम ने दुर्योधन और दुःशासन को खुलेआम उनकी मृत्यु की शपथ ली, तब युधिष्ठिर ने तो उसे दाव पर ही लगा दिया था तो दूसरे भाई चुपचाप उसका ये अपमान देखते रह गए. भीम ने द्रौपदी की हर इच्छा पूरी करने का प्रयास किया.वनवास के दौरान द्रौपदी के लिए भीम ने कुबेर के जंगल से सौगंधिका फूल लाने का कठिन काम किया. (Image generated by Leonardo AI)
कठिन से कठिन काम किए
वनवास के दौरान जब कीचक ने द्रौपदी का अपमान किया, तो भीम ने बिना किसी हिचकिचाहट के उसे मार डाला. भीम ने द्रौपदी की हर इच्छा पूरी करने का प्रयास किया.वनवास के दौरान द्रौपदी के लिए भीम ने कुबेर के जंगल से सौगंधिका फूल लाने का कठिन काम किया. इन दुर्लभ फूलों को पाने के लिए भीम ने कुबेर के वन (गंधमादन पर्वत) तक का कठिन रास्ता तय किया. इस यात्रा में उन्होंने यक्षों और राक्षसों का वध किया और फूल लाकर द्रौपदी की इच्छा पूरी की.
द्रौपदी के लिए प्रतिज्ञा ली और पूरा किया
द्रौपदी के चीरहरण का बदला लेने के बाद भीम ने महाभारत के युद्ध में दुःशासन को मारकर उसके रक्त से अपनी प्रतिज्ञा पूरी की. वनवास के दौरान वह लगातार द्रौपदी को ये आश्वासन देते थे कि सभी कौरवों को उनके कृत्यों के लिए दंडित जरूर करेंगे. ऐसा उन्होंने किया भी. युद्ध के दौरान, भीम ने दुर्योधन सहित कई कौरवों को मारा. द्रौपदी के अपमान का बदला लेने के लिए उन्होंने दुर्योधन की जंघा तोड़ी, जैसा उन्होंने चीरहरण के समय प्रतिज्ञा की थी.
भीम ने द्रौपदी को वनवास में बार-बार सांत्वना दी. उसकी इच्छाओं को पूरा करने के लिए हरसंभव प्रयास किया. उनका प्रेम और समर्पण निःस्वार्थ और गहरा था, जो उन्हें द्रौपदी के सबसे करीबी और विश्वासपात्र पांडव के रूप में पेश करता है. भीम का प्रेम न केवल उनके कार्यों में बल्कि उनके शब्दों और भावनाओं में भी प्रकट होता है. द्रौपदी खुद भीम के साथ खुद को सबसे ज्यादा सुरक्षित महसूस करती थी.
भीम ने द्रौपदी को सबसे अधिक समर्पित और निःस्वार्थ प्रेम किया. उनके प्रेम में द्रौपदी की हर खुशी और दुख का ख्याल रखना था.उनके काम भी साबित करते हैं कि उन्होंने द्रौपदी के सम्मान और सुख के लिए अपनी पूरी शक्ति झोंक दी.
अर्जुन ने कई शादियां की और कई बार प्यार
जहां अर्जुन के साथ द्रौपदी के रिश्ते की सवाल है तो निश्चित तौर पर द्रौपदी पांचों पांडवों में सबसे ज्यादा प्यार और लगाव अर्जुन से रखती थी. हालांकि अर्जुन वैसा कभी नहीं किया, जो कुछ करने के लिए भीम हमेशा तत्पर रहते थे. इसके उलट अर्जुन ने कई बार दूसरी स्त्रियों से प्यार किया और शादियां भी कीं. पांडवों में सबसे ज्यादा पत्नियां उन्हीं की थीं. अर्जुन के इस स्वाभाव से द्रौपदी ने कई बार अपना गुस्सा उनके प्रति जाहिर किया.
वनवास के दौरान जब अर्जुन ने दूसरी शादियां कीं (जैसे सुभद्रा से), तो द्रौपदी थोड़ी असुरक्षित महसूस करती थीं. अर्जुन का प्रेम द्रौपदी के प्रति अधिक संवेदनशील और नियंत्रित था. उन्होंने द्रौपदी के प्रति आदर तो बनाए रखा, लेकिन उनके जीवन में अन्य प्राथमिकताएं (जैसे युद्ध और धर्म) भी महत्वपूर्ण थीं.
युधिष्ठिर भावनात्मक दूरी रखते थे
युधिष्ठिर का द्रौपदी के प्रति प्रेम कर्तव्य और धर्म पर आधारित था. वह उससे सीमित प्यार करते थे बल्कि उनके प्यार पर इसलिए अक्सर सवाल उठा दिया जाता है क्योंकि ये वही थे, जिन्होंने उसे जुए में दाव पर लगा दिया था. युधिष्ठिर ने द्रौपदी को हमेशा सम्मान दिया, लेकिन उनका प्रेम अधिक औपचारिक और नियंत्रित था. वह द्रौपदी के प्रति एक भावनात्मक दूरी रखते थे. युधिष्ठिर ने द्रौपदी को भावनात्मक सहारा देने में भीम या अर्जुन की तरह सक्रिय भूमिका नहीं निभाई.
नकुल और सहदेव ने द्रौपदी को सम्मान और स्नेह दिया, लेकिन उनका प्रेम अधिक भाईचारे या मित्रता जैसा प्रतीत होता है. वे द्रौपदी की इच्छाओं का पालन करते थे. सहायता के लिए तैयार रहते थे. लेकिन उनका प्रेम वैसा कतई नहीं था, जैसा भीम का था. वहीं द्रौपदी का उनके प्रति प्रेम स्नेह मातृभाव जैसा ज्यादा लगता है.
Tags: Love, MahabharatFIRST PUBLISHED : December 25, 2024, 13:36 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed