लोकसभा को 10 साल बाद मिलेगा नेता प्रतिपक्ष कब बना था पद कौन था पहला LoP

Leader of Opposition: नेहरू और शास्त्री के कार्यकाल में कोई मान्यता प्राप्त नेता प्रतिपक्ष नहीं था. यह पद 1969 में कांग्रेस विभाजन के बाद अस्तित्व में आया. उस समय कांग्रेस (ओ) के राम सुभग सिंह पहले नेता प्रतिपक्ष बने. संसद के 1977 के एक अधिनियम द्व्रारा नेता प्रतिपक्ष पद को वैधानिक दर्जा दिया गया.

लोकसभा को 10 साल बाद मिलेगा नेता प्रतिपक्ष कब बना था पद कौन था पहला LoP
Leader of Opposition: पिछले दिनों लोकसभा के चुनाव प्रचार के दौरान अपनी सभाओं में पीएम नरेंद्र मोदी अक्सर यह कहते थे, अपने दस साल के कार्यकाल के दौरान उन्हें एक विपक्ष की कमी खली, और “इससे मेरे दिल को दुख होता है.” लेकिन मोदी की यह पीड़ा कम हो गई होगी. जनता-जनार्दन ने उन्हें मजबूत विपक्ष दिया है. उनकी बात एकदम सही थी कि लोकसभा में 10 साल से विपक्ष के नेता की कमी है. लेकिन यह कोई नहीं बात नहीं है. नेता प्रतिपक्ष का पद 1980, 1989 और 2014 से लेकर 2024 तक खाली रहा है.  जवाहर लाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल के दौरान कोई मान्यता प्राप्त नेता विपक्ष नहीं था. हालांकि उन दिनों विपक्षी बेंचों पर बड़े कद के दिग्गज नेता थे, लेकिन उनका नेतृत्व करने वाले दल बहुत छोटे थे. 1952 के आम चुनाव में 489 सीटों के लिए चुनाव हुए थे. इनमें कांग्रेस ने 364 सीटें जीती थीं, जबकि दूसरा सबसे बड़ा दल सीपीआई थी जिसके 16 सांसद थे. इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सबसे ज्यादा 240 सीटें जीती हैं. जबकि कांग्रेस के खाते में 99 सीटें आई हैं. यह पिछले दस साल में कांग्रेस का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. 18वीं लोकसभा में कांग्रेस के सांसदों का आंकड़ा कुल संख्या का 18 प्रतिशत है.  ये भी पढ़ें- क्या होती है अंडा सेल, जिसमें रखा जाएगा पुणे विस्फोट का दोषी, टूट जाता है बड़े से बड़ा क्रिमिनल राहुल नेता विपक्ष बनने के इच्छुक नहीं 18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू होकर 3 जुलाई को समाप्त होगा. 9 दिवसीय विशेष सत्र के दौरान लोकसभा स्पीकर का चुनाव किया जाएगा और नए सांसद शपथ लेंगे. इसी दौरान संसद को लीडर ऑफ अपोजिशन भी मिलेगा. ये पद पिछले 10 साल से खाली पड़ा है. आखिरी बार सुषमा स्वराज 2009 से 2014 तक लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष थीं. लेकिन 2014 और 2019 के चुनावों में किसी भी विपक्षी दल के 54 सांसद नहीं जीते. नियमों के मुताबिक नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए लोकसभा की कुल संख्या का 10 फीसदी यानी 54 सांसद होना जरूरी है. इस बार कांग्रेस को ये पद दिया जाएगा. पहले ऐसी अटकलें थीं कि राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हो सकते हैं. लेकिन सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने यह पद संभालने के इच्छुक नहीं हैं.  ये भी पढ़ें- कौन है हिंदुजा फैमिली? भारत से गए ब्रिटेन, अब वहां सबसे रईस; जानिए किस मामले में गए जेल राम सुभग थे पहले नेता प्रतिपक्ष नेता प्रतिपक्ष पद 1969 के कांग्रेस विभाजन के बाद अस्तित्व में आया. उस समय कांग्रेस (ओ) के राम सुभग सिंह ने इस पद के लिए दावा किया. संसद के 1977 के एक अधिनियम द्वारा नेता प्रतिपक्ष पद को वैधानिक दर्जा दिया गया. जिसमें कहा गया कि एक विपक्षी दल को अपने नेता यानी नेता प्रतिपक्ष पद के लिए विशेषाधिकार और वेतन का दावा करने के लिए सदन के कम से कम दसवें हिस्से पर अधिकार होना चाहिए. कांग्रेस के पास अब सदन का लगभग पांचवां हिस्सा है और उसने राहुल गांधी से यह भूमिका निभाने को कहा है. हालांकि उन्होंने अभी तक हां नहीं कहा है. 1969 में कांग्रेस (ओ) के राम सुभग सिंह बने थे पहले नेता प्रतिपक्ष. कौन थे राम सुभग सिंह राम सुभग सिंह का जन्म सात जुलाई 1917 को बिहार के आरा जिले में हुआ था. उन्होंने 1942 में महात्मा गांधी के साथ भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया. वह जवाहर लाल नेहरू के करीबी सहयोगी थे और उन्होंने 1952 में बिहार राज्य के सासाराम निर्वाचन क्षेत्र से संसदीय चुनाव लड़ा और प्रथम लोकसभा में संसद सदस्य के रूप में चुने गए. 1957 में वह फिर से उसी निर्वाचन क्षेत्र से संसद के लिए चुने गए. 1962 में उन्होंने बिहार के बिक्रमगंज निर्वाचन क्षेत्र की संसदीय सीट जीती. 1967 में उन्होंने बक्सर निर्वाचन क्षेत्र के लिए आम चुनाव लड़ा और चौथी बार संसद के लिए चुने गए. वह कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे. लेकिन 1969 में कांग्रेस पार्टी नें विभाजन के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (संगठन) के साथ चले गए. कांग्रेस (ओ) ने उन्हें लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया.  ये भी पढ़ें- भतृहरि को प्रोटेम स्पीकर बनाने पर क्यों भड़की कांग्रेस, क्या रही परंपरा, जिसे तोड़ा गया  संभाली और भी कई जिम्मेदारियां राम सुभग सिंह लगातार 22 वर्षों से अधिक समय तक केंद्रीय विधानमंडल के सदस्य रहे. वह चार बार संसद सदस्य रहने के अलावा संसद में कांग्रेस पार्टी के सचिव भी रहे. उन्होंने अपने लंबे राजनीतिक जीवन में केंद्रीय खाद्य और कृषि राज्य मंत्री, केंद्रीय सामाजिक सुरक्षा और कुटीर उद्योग मंत्री, केंद्रीय रेल राज्य मंत्री, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री, केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री और केंद्रीय रेल मंत्री का पद संभाला. वह 1969-1970 में लोकसभा में भारत के पहले विपक्ष के नेता थे. उनका निधन 16 दिसंबर 1980 को हुआ था. Tags: 2024 Loksabha Election, Congress, Indian Parliament, Leader of opposition, Rahul gandhiFIRST PUBLISHED : June 23, 2024, 09:06 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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