KBC सवाल: किस राष्ट्रपति पर हमले के बाद हुआ मेटल डिटेक्टर का आविष्कार

Kaun Banega Crorpati: कौन बनेगा करोड़पति के ताजा सीजन में 03 सितंबर को होस्ट अमिताभ बच्चन ने हाटसीट पर बैठे प्रतियोगी से एक सवाल ऐसा पूछा जिस पर वह चकरा गया. जानते हैं कौन सा है वो सवाल और इसके जवाब का पूरा विवरण.

KBC सवाल: किस राष्ट्रपति पर हमले के बाद हुआ मेटल डिटेक्टर का आविष्कार
हाइलाइट्स मेटल डिटेक्टर की खोज कब और कैसे हुई किस देश के प्रेसीडेंट पर हमले के बाद हर कोई सकते में आ गया मेटल डिटेक्टर की खोज करने वाले का नाम क्या था एयरपोर्ट, मेट्रो और भीड़ भरे बाजारों के बीच आपने मेटल डिटेक्टर मशीन जरूर देखी होंगी. लेकिन कभी सोचा है कि ये मशीन काम कैसे करती हैं? इसी को लेकर केबीसी यानि कौन बनेगा करोड़पति के ताजा सीजन में जब 3 सितंबर के एपीसोड में होस्ट अमिताभ बच्चन ने हॉटसीट पर बैठे प्रतियोगी से एक सवाल पूछा तो वह चकरा गया. क्या आपको मालूम है कि ये सवाल क्या था और इसका जवाब क्या है. किस अमेरिकी प्रेसीडेंट पर गोली चलाने के बाद अलेक्जेंडर ग्राहम बेल को कहा गया कि वो ऐसा मेटल डिटेक्टर बनाएं, जिससे पता लग जाए कि कोई पिस्तौल और बुलेट लेकर आया है. ए. विलियम मैकिनले बी अब्राहम लिंकन सी. जेम्स गारफील्ड डी. थ्योडोर रूजवेल्ट इस सवाल का सही जवाब है सी जेम्स गारफील्ड. लेकिन इस सवाल के बहाने हम जानेंगे कि मेटल डिटेक्टर क्या है और कैसे काम करता है. इसकी खोज कैसे हुई. 1881 में जब जेम्स गारफील्ड अपने पहले 6 महीनों के लिए पद पर थे. तब वह संयुक्त राज्य अमेरिका के इतिहास में पद पर रहते हुए गोली लगने वाले दूसरे राष्ट्रपति थे. अलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने अमेरिकी राष्ट्रपति के सीने में फंसी गोली का पता लगाने के लिए एक उपकरण विकसित किया. पहले जर्मन वैज्ञानिक गुस्ताव ट्रोवे ने इस तरह का एक उपकरण बनाया था लेकिन वो ऐसा नहीं था. इससे प्रेरणा लेते हुए उन्होंने मेटल डिटेक्टर बनाया. लाख प्रयास के बाद भी डॉक्टर वो गोली खोज नहीं पाए. बुलेट नहीं मिली. राष्ट्रपति की मौत हो गई. लेकिन मशीन ने सही काम किया. हम ये जानेंगे कि कैसे ये मशीन खतरनाक हथियार और दूसरे मेटल्स की पहचान करती हैं? सिर्फ जांच और सुरक्षा ही नहीं बल्कि सेना में भी इस तकनीक का इस्तेमाल होता है. ये तकनीक विद्युतचुम्बकत्व (इलेक्ट्रो मैग्नेटिज़्म) विज्ञान पर काम करती है. इलेक्ट्रीसिटी और मैग्नेटिज्म का तालमेल आप जब भी किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का इस्तेमाल करते है तो उसमें इलेक्ट्रिसिटी और मैग्नेटिज़्म का करीबी रिश्ता होता है. जो बिजली हम इस्तेमाल कर रहे हैं, वो पावर प्लांट से आ रही है. वो बिजली बड़े जेनरेटर से बनाई जाती है, जो कॉपर के तार से बना एक बड़ा ड्रम जैसा होता है. जब तार एक चुंबकीय क्षेत्र के माध्यम से तेज गति पर घूमता है, तो बिजली बनती है. इसी बिजली को एकत्र कर आगे उपयोग के लिए बढ़ा दिया जाता है. जो उपकरण आप घर में इस्तेमाल करते हैं, उनमें से कई इन्हीं तकनीक पर काम करते हैं. जैसे वॉशिंग मशीन और वैक्यूम क्लीनर. इनमें इलेक्ट्रिक मोटर लगी होती है. पावर प्लांट वाले जेनरेटर्स से उलट काम करते हैं. जब मोटर में बिजली पहुंचाई जाती है, तो तारों की कुंडली में एक बदलता चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है. जो उसे मैग्नेटिक फील्ड के विरुद्ध घुमाने के लिए प्रेशर डालता है. इसी तरह मोटर घूमती है. मतलब आसानी के साथ आप इलेक्ट्रिसिटी से मैग्नेटिज़्म और मैग्नेटिज़्म से इलेक्ट्रिसिटी कायम कर सकते हैं. कैसे काम करता है मेटल डिटेक्टर विभिन्न मेटल डिटेक्टर अलग-अलग तरीकों से काम करते हैं. लेकिन इनके पीछे का विज्ञान एक ही है. एक मेटल डिटेक्टर में तार की कुंडली होती है, जिसे ट्रांसमीटर कॉइल कहा जाता है. ये कॉइल हैंडल के सर्कुलर हेड के इर्द-गिर्द बंधा होता है. जब कॉइल में बिजली फ्लो होती है, तो मैग्नेटिक फील्ड बनता है. जब किसी मेटल को लेकर आप इस डिटेक्टर के बीच से गुजरते हैं, तो मैग्नेटिक फील्ड मेटल के एटम्स को प्रभावित करते हैं. ये खिसकते इलेक्ट्रॉन्स को भी प्रभावित करता है. इससे मेटल मौजूदगी का पता चलता है. कैसे विस्फोटक पकड़ता है डिटेक्टर मेटल डिटेक्टर के टॉप पर एक बैट्री, ट्रांसमीटर सर्किट से जुड़ी होती है. जो करेंट को केबल के जरिए  ट्रांसमीटर कॉइल तक पहुंचाती है. ट्रांसमीटर कॉइल में जब करेंट का प्रवाह होता है तो मैग्नेटिक फील्ड तैयार होता है. अब डिटेक्टर को मेटल के आसपास घुमाया जाता है, तो मैग्नेटिक फील्ड सीधे संपर्क में आ जाता है. मैग्नेटिक फील्ड के जरिए मेटल ऑब्जेक्ट के अंदर करेंट फ्लो होता है मेटल के अंदर मौजूद करेंट एक और मैग्नेटिक फील्ड ऑब्जेक्ट के चारों ओर पैदा करता है. फिर  मैग्नेटिक फील्ड से कॉइल के चारों ओर बिजली फ्लो होती है, जो उसे ऊपर हैंडल पर मौजूद बज़र या लाउडस्पीकर तक पहुंचाती है. इससे आवाज निकलती है और मेटल की पहचान होती है. कितनी गहराई तक जांच संभव इस सवाल का सटीक उत्तर मिलना कठिन है. लेकिन ये बाकी अन्य फैक्टर्स पर निर्भर करता है. जैसे  जमीन में दबा में मेटल किस आकार और प्रकार का है. बड़े मेटल्स को खोजना, छोटे की तुलना में ज्यादा आसान है. जिसकी तलाश की जा रही है, वो ऑब्जेट कैसे दबा हुआ है. अगर वो सपाट (फ्लैट) दफ्न है तो उसे खोजना ज्यादा आसान है. जबकि दूसरी पोजिशन में खोजना कठिन. क्योंकि टारगेट एरिया कम होता है. ऑब्जेक्ट कितने वक्त से दबा हुआ है, इसका भी असर पड़ता है. अगर लंबे वक्त से दबा है तो जंग लगने के कारण उसे खोजना कठिन है. ऑब्जेक्ट को जहां खोजा जा रहा है, वहां की मिट्टी का नेचर कैसा है? एक साधारण अनुमान के मुताबिक मेटल डिटेक्टर 8 से 20 इंच तक ऑब्जेक्ट खोज सकता है. कहां कहां होता है मेटल डिटेक्टर का इस्तेमाल एयरपोर्ट अस्पताल मेट्रो स्टेशन रेलवे स्टेशन जेल कोर्ट सेना लैंड माइन खोजने Tags: Amitabh Bachachan, Amitabh bachchan, Kaun banega crorepati, KBC WinnerFIRST PUBLISHED : September 4, 2024, 13:27 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed