कौन थे राधाबिनोद जिन्हें जापान में पूजा जाता है फिल्म में इरफान ने निभाया

Radha Binod Pal: भारत में भले ही राधा बिनोद पाल को कोई न जानता हो, लेकिन जापान में उनको बेहद सम्मान की नजर से देखा जाता है. जापान में इस भारतीय जज की याद में विशेष स्मारक बनवाए गए हैं. जस्टिस पाल पर एक फिल्म भी बनी थी टोक्यो ट्रायल, जिसमें इरफान खान ने उनको किरदार को जीवंत किया था.

कौन थे राधाबिनोद जिन्हें जापान में पूजा जाता है फिल्म में इरफान ने निभाया
Radha Binod Pal: क्या आपने राधाबिनोद पाल का नाम सुना है? नहीं ना. आप ही क्या बहुत सारे भारतीय इन्हें न तो जानते हैं और न ही पहचानते हैं. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस शख्स को जापान में न सिर्फ लोग जानते हैं बल्कि उन्हें भगवान की तरह पूजते भी हैं. यही वजह है कि जापान में इनकी याद में विशेष स्मारक बनवाए गए हैं. ये स्मारक वहां के यासुकुनी मंदिर और क्योतो के र्योजेन गोकोकु देवालय में स्थित हैं. डॉ. राधाविनोद को जापान में मिलने वाले सम्मान का अंदाजा आप उनके सर्वोच्च धर्मपुरोहित नानबू तोशियाकी द्वारा लिखित प्रशस्ति से लगा सकते हैं. उन्होंने लिखा है कि हम यहां राधाबिनोद पाल के जोश और साहस का सम्मान करते हैं, जिन्होंने वैधानिक व्यवस्था और ऐतिहासिक औचित्य की रक्षा की. हम इस स्मारक में उनके महान कृत्यों को अंकित करते हैं, जिससे उनके सत्कार्यों को सदा के लिए जापान की जनता के लिए धरोहर बना सकें. ‘टोक्यो ट्रायल्स’ में थे भारतीय जज राधाबिनोद पाल द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जापान द्वारा किए गए युद्ध अपराधों के खिलाफ चलाए गए अंतरराष्ट्रीय मुकदमे ‘टोक्यो ट्रायल्स’ में भारतीय जज थे. उन्हें ब्रिटिश सरकार ने भारत का प्रतिनिधि बनाया था. कुल 11 जजों में वो अकेले ऐसे जज थे, जिन्होंने ये फैसला दिया था कि सभी युद्ध अपराधी निर्दोष हैं. इन युद्धबंदियों में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री हिदेकी तोजो सहित 20 से ज्यादा अन्य नेता और सैन्य अधिकारी शामिल थे. इसीलिए साल 2007 में जब जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भारत आए थे, तो उन्होंने राधाबिनोद पाल के बेटे से कोलकाता में मुलाकात की थी. दरअसल, उस समय के युद्ध अपराधियों में शिंजो आबे के नाना नोबूसुके किशी भी शामिल थे, जो बाद में जापान के प्रधानमंत्री बने थे. ये भी पढ़ें- कहां है कुबेर देव का वो मंदिर, जहां धनतेरस और दीपावली पर लगती है भक्तों की भीड़ कोलकाता हाईकोर्ट में थे जज  27 जनवरी 1886 को तत्कालीन बंगाल प्रांत में जन्मे राधाबिनोद पाल अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भारतीय विधिवेत्ता और न्यायाधीश थे. उन्होंने कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज और कोलकाता विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की थी. उसके बाद 1923 से 1936 तक वह इसी विश्वविद्यालय में पढ़ाते भी रहे थे. साल 1941 में उन्हें कोलकाता हाईकोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. इसके अलावा वह अंग्रेजों के सलाहकार भी रहे थे. हालांकि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून का कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं लिया था. इसके बावजूद उन्हें ‘टोक्यो ट्रायल्स’ में बतौर न्यायाधीश नियुक्त किया गया. यहीं से राधाबिनोद पाल को वैश्विक पहचान मिली.  ये भी पढ़ें– 160 फूलों से मिलता है केवल 1 ग्राम, क्या है वो सबसे महंगा मसाला जो बिकता है सोने के भाव जब गूंजी आवाज, ‘दोषी नहीं हैं’ अब आते हैं उस मामले पर, जिसने राधाबिनोद पाल को जापान में भगवान जैसा दर्जा दिलाया. द्वितीय विश्वयुद्ध खत्म हो चुका था. विजेता देश जापान को सबक सिखाना चाहते थे. इसलिए अमेरिका ने ‘क्लास ए वार क्राइम’ नाम का एक कानून बनाया. कानून लागू करने के लिए जापान में ‘इंटरनेशनल मिलिट्री ट्रिब्यूनल फॉर द फार ईस्ट’ ने संयुक्त राष्ट्रों से 11 न्यायाधीशों की एक टीम बनाई. और फिर शुरू हुआ ‘टोक्यो ट्रायल्स.’ इस कानून के तहत जापान के 25 आरोपियों को क्लास-ए के 55 मामलों में दोषी ठहराया गया. एक के बाद एक सभी न्यायाधीश इन आरोपियों को दोषी करार देते जा रहे थे. तभी अचानक एक आवाज आई- “दोषी नहीं हैं.” इस एक आवाज को सुनकर अदालत में सन्नाटा छा गया. क्योंकि उस वक्त मित्र राष्ट्रों के खिलाफ बोलने की हिम्मत शायद ही किसी में थी. यह आवाज थी राधाबिनोद पाल की. ये भी पढ़ें- टाटा ग्रुप का वह कौन सा अध्यक्ष जो फ्रांस की सेना में हुआ था शामिल, बना सिपाही सुनाया सभी को छोड़ने का फैसला मामला एशिया का था इसलिए नाम के लिए ही सही दो जज एशिया से भी चुन लिए गए. एक जापान-पीड़ित फिलीपींस से और दूसरे भारत से. बाकी सारे जज यूरोप से थे या फिर अमेरिका से. इन सभी जजों में से राधाबिनोद पाल एकमात्र ऐसे जज थे, जिन्होंने ये फैसला दिया था कि सभी युद्ध अपराधी निर्दोष हैं. उन्होंने अपने फैसले में लिखा था कि किसी घटना के घटित होने के बाद उसके बारे में कानून बनाना उचित नहीं है. इसीलिए राधाबिनोद पाल ने युद्धबंदियों पर मुकदमा चलाने को विश्वयुद्ध के विजेता देशों की जबरदस्ती बताते हुए सभी को छोड़ने का फैसला सुनाया था, जबकि बाकी जजों ने उन्हें मृत्युदंड दिया था. इसी फैसले के चलते आज भी राधा विनोद पाल को जापान में एक महान व्यक्ति के रूप में सम्मान दिया जाता है. अपने जीवन के अंतिम दिनों में राधाबिनोद पाल ने गरीबी की वजह से काफी कष्ट उठाए. उन्होंने 10 जनवरी, 1967 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया. ये भी पढ़ें- कौन हैं शतरंज के ‘अर्जुन’, जिन्होंने मनोरंजन के लिए सीखा था चेस, अब रचा इतिहास  इरफान ने जीवंत किया किरदार जस्टिस राधा बिनोद पाल पर एक फिल्म भी बनी है जिसका नाम टोक्यो ट्रायल है. यह एक टीवी मिनी सीरीज है, जिसमें मशहूर दिवंगत एक्टर इरफान खान ने राधाबिनोद पाल का किरदार निभाया था. यह फिल्म 2016 में रिलीज हुई थी. इरफान ने इस चरित्र को एकदम जीवंत कर दिया था. नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध यह मिनीसीरीज जापान-नीदरलैंड-कनाडा का संयुक्त निर्माण है. इसका निर्देशन पीटर वेरहोफ और रॉब डब्ल्यू किंग ने किया है. Tags: Film Trivia, High Court Judge, Japan News, World WAR 2FIRST PUBLISHED : October 29, 2024, 15:38 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed