गरीब हूं एक पैसा दे दो बाबा फटे कपड़े पहनकर क्यों भीख मांगता था वो राजा

कोई धनी ताकतवर राजा अगर फटेपुराने कपड़े पहनकर भीख मांगने लगे. भीख मांगते हुए दयनीय बनकर कटोरा आगे कर दे तो क्या कहेंगे. वो अपने दरबारियों से ही भीख मांगते थे.

गरीब हूं एक पैसा दे दो बाबा फटे कपड़े पहनकर क्यों भीख मांगता था वो राजा
हाइलाइट्स ये किस्सा गुजरात की एक धनी रियासत के राजा का है राजा की बहुत रानियां थीं लेकिन उसका मन था एक विदेशी रानी भी हो विदेशी रानी तो नहीं मिली, पारसी महिला से शादी तो ये रहा अंजाम “गरीब हूं बाबा एक पैसा दे दो….” “भिखारी हूं बाबा, कुछ मदद कर दो…” “कई दिनों से भूखा हूं, कुछ तो दया करो…” फटे चीथड़ा कपड़ा पहने वो शख्स जब भीख मांगता था तो किसकी मजाल उसको भीख नहीं दे…आपने यकीनन ऐसे भिखारियों के बारे में सुना होगा, जिन्होंने इसके बल पर मोटा पैसा इकट्ठा कर लिया… लेकिन ये भिखारी तो एक रियासत का ताकतवर और धनी राजा था. चाहता तो अपनी ताकत और पैसे के बल पर कुछ भी कर डाले… और वो करता भी था. विदेशों में सैरसपाटा करता था. कई रानियां थीं. उसकी पार्टियों में शराब की नदियां बहती थीं लेकिन वो भीख मांगना कभी छोड़ नहीं पाया. वो ऐसा क्यों करता था. इसके पीछे भी एक कहानी है. हमारे देश में भी राजाओं के किस्से खासे अजीबोगरीब हैं. उनके शौक अक्सर ऐसे होते थे कि लोगों के लिए अजूबा बन जाते थे. ऐसा ही एक किस्सा गुजरात की इडर रियासत के महाराजा श्री हिम्मत सिंहजी दौलतसिंहजी राठौर का है. जो भिखारियों के कपड़े पहन लेते थे. दयनीय बनकर रिरियाते हुए भीख मांगने लगते थे. दीवान जर्मनी दास ने अपनी किताब “महारानी” में इस राजा का जिक्र किया है. जर्मनी दास वो शख्स थे, जो देश की आजादी से पहले कई रियासतों में राजा-महाराजाओं के खास रहे. कई रियासतों में वो उच्च पदों पर रहे. लिहाजा उन्होंने राजा-महाराजाओं का जीवन और उनकी सनक को काफी करीब से देखा. इसके बाद उन्होंने इस पर किताब लिखी. शराब की पार्टियां देते थे महाराजा उनकी लिखी गई किताब महाराजा तो काफी हिट भी रही. उन्होंने गुजरात के इडर राजा के बारे में खासतौर पर एक पूरा अध्याय लिखा. उन्होंने लिखा कि 14 अप्रैल 1931 में रियासत की कमान संभाली. उन्हें 15तोपों की सलामी दी जाती थी. महाराजा हर तीसरे-चौथे साल पर इंग्लैंड जाया करते थे. महाराजा अक्सर पार्टियां देते थे. उसमें शराब के दौर चलते थे. कुछ पैग गटकते ही राजा पर चढ़ जाती थी स्कॉच महाराजा हिम्मत सिंह जब स्कॉच के कुछ पैग ले लेते तो फिर उनका रूप ही बदल जाता था. वो महल में अंदर घुसकर भिखारियों के फटे-पुराने और चिथड़ों वाले कपड़े पहन लेते थे. बालों में धूल और राख लगाकर अपना रूप बिल्कुल भिखारियों सरीखा कर लेते थे. महाराजा को एक अजीब सी सनक थी. जैसे ही वो स्कॉच पीकर नशे में आते थे वैसे ही भिखारियों के फटे-पुराने कपड़े पहनकर भीख मांगने लगते थे एक पैसा दे दो बाबा इसके बाद महाराजा फिर महफिल में पहुंचकर जोर – जोर से भीख मांगना शुरू कर देता था. उसके हाथ में कटोरा होता था, जिसमें उसे भीख दी जा सके. वो कहते थे-“भिखारी हूं बाबा, गरीब आदमी हूं. कई दिनों का भूखा हूं. दया करो, एक पैसा दे दो बाबा”. राजा उस समय सच में बहुत दयनीय भिखारी सा लगने लगता था. रिरियाते हुए लोगों के आगे आधा झुक सा जाता है. लोग राजा का ये रूप-रंग देखकर अचरज में आ जाते थे. हर कोई तुरंत भीख दे देता था आमतौर पर उस पार्टी में मौजूद दरबारी तो महाराजा की इस हरकत से वाफिक थे. लिहाजा वो तुरंत उनके भीख मांगने वाले पात्र में दो-चार आने या एक रुपया डाल देते थे लेकिन अगर कोई नया शख्स इसमें मौजूद होता था तो वो हैरान रह जाता था. उसे समझ में ही नहीं आता था कि महाराजा को ये क्या हो गया है. जो शख्स राजा को भीख नहीं देता था, उस पर अगले दिन राजा की नजरें टेढी हो जाती थीं. इस भीख का पैसा राजा करता क्या था, ये कभी किसी की समझ में नहीं आया. राजा के पास बहुत धन था गुजरात की इडर रियासत के ये महाराजा यूं तो खासे धनी थे. उनके पास अकूत धन था लेकिन नशे में आने के बाद वो ना केवल भीख मांगते बल्कि भिखारियों की तरह झुक-झुककर सलाम भी बजाते फिर भीख देने वाले को झुककर सलाम भी बजाता था भीख मिलने के बाद महाराजा सबको धन्यवाद देता था. झुुक-झुककर उसी अंदाज में सलाम करता था जैसा कि भिखारी लोग किया करते हैं. महाराजा की ये बातें उनकी प्रजा के बीच भी फैल गईं थीं. ये विचित्र आदत भी थी राजा में दीवान जर्मनीदास लिखते हैं कि केवल यही नहीं महाराजा की कई और विचित्र आदतें भी थीं. कई बार शराब के नशे में वो सुबह चार बजे ही अपनी सेना की गारदों को बुला लेते थे. उन्हें अपने सामने तत्काल परेड करने का आदेश देते थे. परेड का आदेश देने के बाद वो खुद दाएं-बाएं चलने का निर्देश देने लगते थे. गारदों की परेड के बाद वो अपने लॉन में एक्रोबैटिक स्टाइल में लोट लगाने लगते थे. घुड़दौड़ में भी जमकर लगाते थे पैसा इडर रियासत काफी धनी रियासत मानी जाती थी. महाराजा ने हालांकि अपनी जनता के लिए काफी कल्याण के काम भी किये लेकिन उनका ज्यादा समय पूना, कलकत्ता, मुंबई और बंगलौर में हार्स रेस खेलने में निकलता था. चाहिए थी एक अदद अंग्रेजी बीवी जो मिली नहीं महाराजा किसी अंग्रेज महिला से शादी करना चाहते थे लेकिन जब ये संभव नहीं हो पाया तो उन्होंने नर्गिस नाम की एक पारसी युवती से शादी की. जिसे उन्होंने अपनी पत्नी का दर्जा दिलाया. हालांकि महाराजा की कई और बीवियां भी थीं लेकिन उन्हें नर्गिस सबसे प्रिय थीं. बाद में ये भी कहा गया कि इस रानी ने राजा को काफी बेवकूफ बनाकर मोटा धन और जेवरात उनसे बटोरे. Tags: Gujarat, Royal TraditionsFIRST PUBLISHED : July 9, 2024, 15:36 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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