Explainer: क्यों मणिपुर में फिर आया उबालक्या जातीय हिंसा का दौर फिर शुरू होगा

मणिपुर में जातीय हिंसा फिर भड़क उठी है. छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बाद वहां अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया है. इंटरनेट सुविधा पर रोक लगा दी गई है. आखिर क्या बात है कि करीब एक साल बाद भारत के पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा का दौर फिर शुरू हो गया.

Explainer: क्यों मणिपुर में फिर आया उबालक्या जातीय हिंसा का दौर फिर शुरू होगा
हाइलाइट्स मणिपुर में तीन तरह की जनजातियां रहती हैं, इसमें मैतई और कुकी मुख्य हैं इसमें मैतई 64 फीसदी हैं, जो राजनीतिक-सामाजिक और आर्थिक तौर पर ज्यादा असरदार हैं कुकी जोकिम कही वाली जनजाति पहाड़ी या ग्रामीण इलाकों में रहती है, आबादी का 16 फीसदी है मणिपुर में भारी पैमाने पर सैनिकों की उपस्थिति है. पहाड़ों पर बसा 32 लाख की आबादी वाला ये राज्य लगातार तनाव में रहा है. पिछले साल यहां आर्थिक लाभ, सरकारी नौकरियों और शिक्षा कोटा को लेकर हिंदू बहुल मैतेई और ईसाई कुकी के बीच समय समय पर हिंसा होती रही. कुछ समय की तनावपूर्ण शांति के बाद यहां जातीय हिंसा का दौर फिर से शुरू हो गया है. मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. इस राज्य में 1 सितंबर से अब तक कई हमलों में 11 लोगों के मारे जाने की खबर है. इन हमलों में ज़्यादातर संदिग्ध आदिवासी उग्रवादी शामिल हैं. यह राज्य मई 2023 से संघर्ष की चपेट में है. आखिर अब फिर ये राज्य क्यों हिंसा और तनाव की लपेट में आ गया है. सवाल – मणिपुर फिर से हिंसा क्यों शुरू हो गई? – दरअसल यहां 6 अगस्त को सोशल मीडिया पर एक ऑडियो क्लिप वायरल हुई, जिसमें एक समुदाय के बारे में कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी, जिसमें कथित तौर पर एक पुरुष की आवाज़ थी, जो सीएम एन बीरेन सिंह की थी. इसके बाद राज्य में फिर माहौल गर्म हो गया. हिंसा भी होने लगी. राज्य सरकार ने 12 दिनों के अंतराल पर दो आधिकारिक बयान जारी किए – 8 और 20 अगस्त को रिकॉर्डिंग के “छेड़छाड़” किए जाने के बारे में.लेकिन सरकार के स्पष्टीकरण के बावजूद हिंसा शुरू हो चुकी थी और तनाव भी फिर फैलने लगा. सवाल – मुख्यमंत्री ने अगस्त में थाडौ जनजाति से बातचीत के प्रस्ताव पर क्यों नाराजगी फैली? – 12 अगस्त को राज्य के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने विधानसभा को बताया कि सरकार जल्द ही थाडौ समुदाय के साथ शांति वार्ता करेगी. इसी जनजाति की वंशावली में कुकी भी आते हैं. थाडौ समुदाय इंटरनेशनल ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. उसने खुला पत्र जारी करते हुए कहा कि सीएम राजनीति कर रहे हैं. उनके इस प्रस्ताव का कोई मतलब नहीं. उसने साफ कहा कि अगर इस बातचीत में थाडो परिषद शामिल नहीं तो बातचीत को अवैध माना जाए. सवाल – मणिपुर में नाराज कुकी समुदाय लगातार रैलियां करके कुकीलैंड की मांग क्यों कर रहा है. ये क्या है? – दरअसल कुकी समुदाय का कहना है कि अब उनको अपने लिए एक अलग जगह चाहिए, जो कुकीलैंड होगा. उन्होंने इसके समर्थन में राज्य में 31 अगस्त को कुकी समुदाय ने ने राज्य में तीन रैलियां आयोजित की. इसमें भी सीएम की कथित “आपत्तिजनक” टिप्पणियों वाले वायरल ऑडियो क्लिप के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया. कुकीलैंड कुकी लोगों द्वारा प्रस्तावित राज्य है, जिसे ज़लेन-गाम के नाम से भी जाना जाता है. इसका उद्देश्य विभिन्न कुकी जनजातियों को एक ही प्रशासनिक और राजनीतिक इकाई के तहत एकजुट करना है. मणिपुर में अशांति फिर से वापस लौटने लगी है. (jharkhabar.com) कुकी जनजाति इन वजहों से अलग राज्य की मांग कर रही है – कुकी जनजातियों की अनूठी सांस्कृतिक पहचान और विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए ताकि उनके रीति-रिवाजों, परंपराओं और भाषाओं को बढ़ावा दिया जा सके. – कुकी जनजातियों के लिए बेहतर राजनीतिक प्रतिनिधित्व और शासन सुनिश्चित करने के साधन के रूप में – प्रस्तावित कुकीलैंड में पारंपरिक रूप से कुकी लोगों द्वारा बसाए गए क्षेत्र शामिल हैं, जिनमें मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड के कुछ हिस्से शामिल हैं. सवाल – ताजा हमले में क्या हो रहा है? – 6 सितंबर को संदिग्ध उग्रवादियों ने क्षेत्र में पहला रॉकेट हमला किया, जिसमें 70 वर्षीय पुजारी की मौत हो गई. पांच अन्य घायल हो गए. 7 सितंबर को जिरीबाम में दो समूहों के बीच गोलीबारी में छह लोग मारे गए. राज्य सरकार को निगरानी के लिए सेना के हेलिकॉप्टरों को बुलाने के लिए मजबूर होना पड़ा. 27 अगस्त को अज्ञात हथियारबंद लोगों ने मणिपुर भाजपा प्रवक्ता टी माइकल लामजाथांग हाओकिप के घर पर हमला किया, जो थाडौ समुदाय से हैं. सीएम ने इस हमले को “राज्य की एकता और अखंडता के लिए सीधी चुनौती” बताया. – 1 सितंबर को इंफाल पश्चिम जिले के दो गांवों पर हुए हमले में दो ग्रामीण मारे गए और कई अन्य घायल हो गए. संदिग्ध आदिवासी उग्रवादियों ने विस्फोटक गिराने के लिए ड्रोन तैनात किए. कोत्रुक गांव को निशाना बनाने के लिए अत्याधुनिक आग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल किया. अगले दिन ड्रोन हमलों की दूसरी लहर ने तीन गांवों को नुकसान पहुंचाया. मणिपुर के कुछ जिलों में इंटरनेट सर्विस बंद कर दी गई है. (फाइल फोटो) सवाल – राज्य में तैनात केंद्रीय बलों की टुकड़ी पर एक पक्ष क्यों नाराज है और क्या आरोप लगा रहा है? – भाजपा विधायक आरके इमो सिंह, जो सीएम के दामाद हैं, उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को ईमेल भेजकर राज्य में तैनात 60,000 केंद्रीय बलों की टुकड़ी को बदलने के लिए कहा. उनका आरोप है कि ये लोग ज्यादातर उग्रवादियों की हिंसा में “मूक दर्शक” बने हुए थे. इंफाल में, छात्र सड़कों पर उतर आए और मांग की कि कानून और व्यवस्था को संभालने वाली एकीकृत कमान की बागडोर राज्य सरकार को सौंपी जाए. सवाल – इस पूरी हिंसा और एक साल पहले चली हिंसा की जड़ में क्या है? – दरअसल मणिपुर में दो प्रमुख जातीय समूह मैतेई और कुकी के बीच ऐतिहासिक तौर पर टकराव की स्थितियां लंबे समय से रहते हैं. मैतेई मुख्य रूप से इम्फाल घाटी में निवास करते हैं और आसपास की पहाड़ी इलाकों में कुकी-ज़ो आदिवासी समुदाय. मणिपुर उच्च न्यायालय ने पिछले साल के एक निर्देश के बाद स्थिति और बिगड़ गई, जिसमें मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की सिफारिश की गई, जिसने आदिवासी समूहों के व्यापक विरोध को जन्म दिया. मैतेई के लिए एसटी का दर्जा देने के अदालत के आदेश ने विरोध को भड़का दिया. मई 2023 में मणिपुर के अखिल आदिवासी छात्र संघ (ATSUM) द्वारा आयोजित “आदिवासी एकजुटता मार्च” के दौरान हिंसक झड़पें हुईं. बस इसके बाद राज्यभर में जातीय हिंसा शुरू हो गई. गैर-मैतेई समूहों का लंबे समय से आरोप है कि उन्हें सरकारी मशीनरी नौकरी से लेकर दूसरे क्षेत्रों में लाभ से वंचित रखती है. वो राजनीतिक हाशिए पर हैं. सवाल – मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के अलावा अन्य समुदायों का अनुपात क्या है? – मैतेई मणिपुर में कुल जनसंख्या का करीब 53 से 64 फीसदी है. वे मुख्य रूप से इम्फाल घाटी में निवास करते हैं. ये मुख्य रूप से हिंदू हैं, जिनमें कुछ मुस्लिम समुदाय भी शामिल हैं. मणिपुर में हिंसा की छोटी-छोटी वारदातें जारी हैं. नागा जनजातियां राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 20 फीसदी प्रतिनिधित्व करती हैं. ये जनजातियाँ मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहती हैं. इनमें तंगखुल, ज़ेलियानग्रोंग और अन्य जैसे विभिन्न समूह शामिल हैं. कुकी जनजातियां जनसंख्या का लगभग 16% हिस्सा हैं. इस समूह में थाडौ, हमार और पैते जैसी कई जनजातियां शामिल हैं, ये मुख्य रूप से पहाड़ियों में रहती हैं और ईसाई धर्म का पालन करती हैं. सवाल – मैतेई समुदाय पर क्या आरोप अक्सर लगता है? – मैतेई समुदाय पर राजनीतिक शक्ति और आर्थिक लाभों पर एकाधिकार करने का आरोप लगाया गया है, जिससे कुकी और अन्य जनजातियों में नाराजगी रहती है. हाल के बरसों में ये और बढ़ी है. हाल ही में सरकार की कार्रवाइयां ऐसी हुई हैं, जिसमें कुछ क्षेत्रों में कुकी समुदायों को बेदखली नोटिस दिया गया है, इसने राज्य में तनाव को और बढ़ा दिया है. जो आपको एक बार फिर जानना चाहिए 1. अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा – हिंसा के पीछे बड़ी वजह मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा मैतेई समुदाय को पिछले साल एसटी का दर्जा देना रहा, जिके विरोध में कुकी समूहों ने विरोध प्रदर्शन किया. 2. जातीय तनाव – मैतेई और कुकी समुदायों के बीच लंबे समय से चली आ रही शिकायतों और ऐतिहासिक दुश्मनी ने संघर्ष को बढ़ावा दिया. 3. विस्थापन- पिछले साल हुई हिंसा के कारण 60,000 से अधिक लोगों को विस्थापित होना पड़ा. 4. हिंसा और मौतें – रिपोर्ट बताती हैं कि मई 2023 में हिंसा भड़कने के बाद से लगभग 200 लोग मारे गए हैं. छिटपुट हिंसा और झड़पें जारी हैं. 5. बफर जोन – केंद्रीय सुरक्षा बलों ने हिंसा को कम करने के प्रयास में संघर्षरत समुदायों को अलग करने के लिए बफर जोन बनाए हैं. 6. राजनीतिक मांग – कुकी समूह कुकी-बहुल क्षेत्रों के लिए एक अलग प्रशासन या स्वायत्त विधान सभा की मांग कर रहे हैं, जबकि मैतेई समूह क्षेत्रीय अखंडता के संरक्षण की वकालत कर रहे हैं. 7. सरकारी कदम – भारतीय सरकार ने स्थिति को संभालने के लिए सेना और अर्धसैनिक बलों सहित सुरक्षा बलों को तैनात किया है. 8. सोशल मीडिया का प्रभाव – सोशल मीडिया के माध्यम से फैलाई गई गलत सूचना और भ्रामक सूचनाओं ने तनाव को बढ़ाया. हिंसा को और बढ़ावा दिया. 9. बेदखली अभियान – भूमि अतिक्रमण के बहाने कुकी समुदायों को बेदखल करने की सरकारी कार्रवाई को भेदभावपूर्ण माना गया है और इसने संघर्ष को बढ़ावा दिया. Tags: Manipur, Manipur cm, Manipur violence, Manipur violence update, North EastFIRST PUBLISHED : September 12, 2024, 15:50 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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