क्या होते हैं मदरसे क्या होती है पढ़ाई कहां से मिलता है पैसा कब हुई शुरुआत

Madarsa in UP: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यूपी मदरसा एक्ट को बरकरार रखने के पक्ष में फैसला दिया है. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि मदरसा एक्ट संविधान के खिलाफ नहीं है. इससिए इसे रद्द करने का इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला सही नहीं था. ऐसा माना जाता है कि इस्लाम धर्म को जानने का रास्ता मदरसे से होकर जाता है. मदरसे में दीनी यानी मजहबी तालीम पढ़ाई कराई जाती है, जिससे लोगों को इस्लाम धर्म के बारे में जानकारी हो सके.

क्या होते हैं मदरसे क्या होती है पढ़ाई कहां से मिलता है पैसा कब हुई शुरुआत
Madarsa in UP: सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश में मदरसों को लेकर बड़ा फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यूपी मदरसा एक्ट को बरकरार रखने के पक्ष में फैसला दिया. देश की सर्वोच्च अदालत ने इसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मदरसा एक्ट संविधान के खिलाफ नहीं है. इसे रद्द करने का इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला सही नहीं था. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार मदरसों का संचालन कर सकती है. इसी साल मार्च में ही इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मदरसा बोर्ड एक्ट को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था. हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिस पर 22 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था.  इससे पहले भी यूपी में मदरसों को लेकर विवाद हो चुका है. यूपी में एसआईटी (Special Investigation Team) की एक जांच में 13000 मदरसे अवैध पाये गए थे. तब इन मदरसों को बंद करने की सिफारिश की गई थी. अवैध पाये गए ज्यादातर मदरसे भारत-नेपाल बॉर्डर पर स्थित थे. जांच में पाया गया है कि काफी मदरसे ऐसे हैं जो हिसाब-किताब का ब्योरा नहीं दे पाए. एसआईटी को आशंका थी कि इन मदरसों का निर्माण हवाला के जरिये मिल रहे धन से किया गया है. कई मदरसों संचालकों ने स्वीकार किया था कि इनका निर्माण खाड़ी देशों से मिले चंदे से किया गया. बीते 25 सालों में बहराइच, श्रावस्ती ,महाराजगंज और सिद्धार्थ नगर समेत कई जिलों में तेजी से मदरसे बने हैं. ये भी पढ़ें- क्या है वो चीज जिसके लिए पाकिस्तान पर निर्भर भारत, देश के 80 फीसदी घरों में पड़ती है जरूरत  क्या होती है पढ़ाई ऐसा माना जाता है कि इस्लाम धर्म को जानने का रास्ता मदरसे से होकर जाता है. मदरसे में दीनी यानी मजहबी तालीम पढ़ाई कराई जाती है, जिससे लोगों को इस्लाम धर्म के बारे में जानकारी हो सके. दरअसल, ‘मदरसा’ एक अरबी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब होता है पढ़ने का स्थान. मदरसे एक तरह से इस्लामिक विद्यालय हैं. मदरसों में पढ़ाई का तरीका और पाठ्यक्रम अलग-अलग होते हैं, जो उनके संबद्ध बोर्ड, प्रबंधन और शिक्षण पद्धति पर निर्भर करते हैं. धार्मिक शिक्षा में कुरान, हदीस, तफसीर, फिकह और इस्लामिक इतिहास जैसे धार्मिक विषयों की शिक्षा दी जाती है. इसके अलावा अरबी भाषा बोलने, लिखने और समझने का प्रशिक्षण दिया जाता है. अच्छे नागरिक बनने और समाज में योगदान करने के लिए आवश्यक मूल्यों का विकास और नैतिक शिक्षा भी दी जाती है. ये भी पढ़ें- मां-बाप की चलती तो अगले CJI संजीव खन्ना होते कुछ और, किससे प्रभावित होकर बने वकील किस तरह के पाठ्यक्रम दीनिया- यह पाठ्यक्रम धार्मिक शिक्षा पर केंद्रित होता है और इसमें कुरान, हदीस, तफसीर, फिकह, और इस्लामिक इतिहास जैसे विषय शामिल होते हैं. आधुनिक- इस पाठ्यक्रम में सामान्य शिक्षा के विषय जैसे विज्ञान, गणित, अंग्रेजी, हिंदी, और सामाजिक विज्ञान शामिल होते हैं. संयुक्त- यह पाठ्यक्रम दीनिया और आधुनिक दोनों शिक्षाओं को मिलाता है. प्रमुख मदरसा बोर्ड और उनके पाठ्यक्रम दारी उलूम देवबंद: यह बोर्ड दीनिया शिक्षा पर केंद्रित है और इसमें कुरान, हदीस, तफसीर, फिकह, और इस्लामिक इतिहास जैसे विषय शामिल होते हैं. नदवातुल उलमा: यह बोर्ड दीनिया और आधुनिक शिक्षा दोनों को मिलाता है. इसमें कुरान, हदीस, तफसीर, फिकह, और इस्लामिक इतिहास के साथ-साथ विज्ञान, गणित, अंग्रेजी, हिंदी, और सामाजिक विज्ञान भी शामिल होते हैं. मदरसा बोर्ड ऑफ इंडिया: यह बोर्ड भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया है और यह आधुनिक शिक्षा पर केंद्रित है. इसमें विज्ञान, गणित, अंग्रेजी, हिंदी, और सामाजिक विज्ञान जैसे विषय शामिल होते हैं. ये भी पढ़ें- डोनाल्ड ट्रंप की ‘लव लाइफ’, मेलानिया को तो जानते हैं आप, कौन थीं बाकी बीवियां और प्रेमिकाएं मदरसों में शिक्षा का महत्व धार्मिक शिक्षा: मदरसे छात्रों को धार्मिक शिक्षा प्रदान करते हैं जो उन्हें अपने धर्म को बेहतर ढंग से समझने और उसकी शिक्षाओं का पालन करने में मदद करते हैं. नैतिक शिक्षा: मदरसे छात्रों को अच्छे नागरिक बनने और समाज में योगदान करने के लिए आवश्यक मूल्यों का विकास करने में मदद करते हैं. रोजगार के अवसर: मदरसों से शिक्षा प्राप्त छात्रों को शिक्षण, धार्मिक नेतृत्व, और अन्य क्षेत्रों में रोजगार के अवसर मिलते हैं. कब खुला पहला मदरसा इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में पहला मदरसा 1191-92 ई. में अजमेर में खोला गया था. उस समय मोहम्मद गौरी का शासन हुआ करता था. हालांकि यूनेस्को बताता है कि भारत में 13वीं शताब्दी में भारत में मदरसों की शुरुआत हुई. मुगल सम्राटों ने मदरसों को प्रोत्साहन दिया, खासकर अकबर ने, जिन्होंने विभिन्न विषयों को शामिल करते हुए मदरसों का एक व्यापक नेटवर्क स्थापित किया. अंग्रेजों ने मदरसों पर नियंत्रण स्थापित किया और उन्हें ‘ओरिएंटल कॉलेज’ में बदल दिया, जहां फारसी और अरबी भाषाओं के साथ-साथ कानून और राजनीति भी पढ़ाई जाती थी. आजादी के बाद भारत में मदरसों का आधुनिकीकरण हुआ, और कई मदरसों ने आधुनिक शिक्षा को अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया. ये भी पढ़ें- कितनी पढ़ी-लिखी टाटा फैमिली, जिन्होंने खड़ा किया 33 लाख करोड़ रुपये का बिजनेस एंपायर कहां से आता है धन मदरसों के संचालन के लिए धन विभिन्न स्रोतों से आता है, जिनमें सरकारी सहायता मुख्य है. केंद्र सरकार मदरसा आधुनिकीकरण योजना (एमएमएस) के तहत बुनियादी ढांचे, शिक्षकों के प्रशिक्षण, और पाठ्यक्रम विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है. कुछ राज्य सरकारें भी मदरसों को वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं. कुछ स्थानीय निकाय भी मदरसों को वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं. एनजीओ मुहैया कराते हैं धन मदरसों के संचालन के लिए गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) भी धन मुहैया कराते हैं. भारतीय और विदेशी कई एनजीओ मदरसों को वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं. इसके अलावा  कई लोग मदरसों को निजी तौर पर दान करते हैं. कुछ धार्मिक संगठन मदरसों को दान करते हैं. कुछ मदरसे छात्रों से शुल्क लेते हैं. कुछ मदरसे व्यवसायिक गतिविधियों से आय प्राप्त करते हैं. कुछ मदरसे अपनी संपत्ति को किराये पर देकर आय प्राप्त करते हैं.  धन का स्रोत एक विवादास्पद मुद्दा यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी मदरसे सरकारी सहायता प्राप्त नहीं करते हैं. कुछ मदरसे पूरी तरह से दान और शुल्क पर निर्भर करते हैं. मदरसों के लिए धन का स्रोत एक विवादास्पद मुद्दा है. कुछ लोग मानते हैं कि मदरसों को सरकारी सहायता नहीं मिलनी चाहिए, जबकि अन्य लोग मानते हैं कि मदरसों को अन्य शैक्षणिक संस्थानों की तरह ही सरकारी सहायता मिलनी चाहिए. Tags: Allahbad high court, CM Yogi Aditya Nath, Explainer, Madarsa, Muslim religion, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : November 5, 2024, 12:33 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed