क्यों बंगाल की खाड़ी से बनते हैं इतने तूफान हर दशक में एक भयंकर साइक्लोन

Bay Of Bengal Cyclones : आंकड़ें बताते हैं कि भारत और भारतीय उपमहाद्वीप को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाले तूफान बंगाल की खाड़ी से बनते हैं. तकरीबन 04 तूफान हर साल. आखिर क्यों ऐसा होता है.

क्यों बंगाल की खाड़ी से बनते हैं इतने तूफान हर दशक में एक भयंकर साइक्लोन
हाइलाइट्स बंगाल की खाड़ी से हर साल औसतन 04 तूफान बनते हैं हर दशक में यहां से एक बहुत भयंकर तूफान बनता है इसका कारण बंगाल की खाड़ी में हवा का बहाव भी है रेमल तूफान ने पश्चिम बंगाल से लेकर बांग्लादेश के तटीय इलाकों में तबाही मचा दी है. ये तूफान 135 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चला और जब ये तट से जाकर टकराया, उसके बाद भयंकर बारिश से सैकड़ों गांव डूब चुके हैं. बारिश का असर पूर्वोत्तर भारत में भी खूब है. रेमल तूफान बंगाल की खाड़ी से पैदा हुआ था. दुनिया में जिन समुद्रों में सबसे ज्यादा तूफान बनते हैं, उसमें एक बंगाल की खाड़ी भी है. ये सवाल दिमाग में उठ सकता है कि आखिर इतने तूफान यहां कैसे पैदा होते हैं. हम बंगाल की खाड़ी में बनने वाले तूफान के बारे में जानते हैं. उससे पहले जरा एक नजर आंकड़ों को देख लें. ये डाटा हमें Perplexity AI से मिले हैं. –  1891 से 2019 तक बंगाल की खाड़ी में 522 तूफान बने हैं –  हर साल यहां से औसतन 04 तूफान बनते हैं –  दुनिया में 07 फीसदी तूफान बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से बनते हैं – 129 सालों में बंगाल की खाड़ी से 234 घातक तूफान बने हैं – हर दशक में बंगाल की खाड़ी से एक बहुत ही भयंकर तूफान पैदा होता है.  भारत में सबसे ज्यादा तूफान बंगाल की खाड़ी से ही आते हैं. आखिर इसका कारण क्या है? कहा जाता है कि दुनिया में जो सबसे ज्यादा खतरनाक तूफान आते हैं, उसमें बंगाल की खाड़ी बने तूफान सबसे आगे कहे जाते हैं. (image generated by leonardo AI) बता दें कि 120 साल के इतिहास में सिर्फ 14 फीसदी चक्रवाती तूफान और 23 भयंकर चक्रवात अरब सागर में आए हैं. दूसरे शब्‍दों में कहें तो 86 फीसदी चक्रवाती तूफान और 77 फीसदी भयंकर चक्रवात बंगाल की खाड़ी में आए हैं. आइए जानते हैं कि बंगाल की खाड़ी ही बार-बार तूफान का शिकार क्‍यों बनती है? हवा के बहाव के साथ गर्म मौसम भी वजह बंगाल की खाड़ी में अरब सागर की तुलना में ज्यादा तूफान आने का सबसे अहम कारण हवा का बहाव है. पूर्वी तट पर मौजूद बंगाल की खाड़ी के मुकाबले पश्चिमी तट पर स्थित अरब सागर ज्‍यादा ठंडा रहता है. मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, ठंडे सागर के मुकाबले गर्म सागर में तूफान ज्यादा आते हैं. बता दें कि इतिहास के 36 सबसे घातक उष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclone) में 26 चक्रवात बंगाल की खाड़ी में आए हैं. बंगाल की खाड़ी में आने वाले तूफानों का भारत में सबसे ज्‍यादा असर ओडिशा में देखा गया है. इसके अलावा आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु भी इससे प्रभावित होते रहे हैं. इसके अलावा पूर्वी तटों से लगने वाले राज्यों की भूमि पश्चिमी तटों से लगने वाली भूमि की तुलना में ज्यादा समतल है. इस वजह से यहां से टकराने वाले तूफान मुड़ नहीं पाते. वहीं, पश्चिमी तटों पर आने वाले तूफान की दिशा अक्सर बदल जाती है. पूर्वी तट पर बने तूफान ज्यादा ताकतवर होते हैं. तूफान का वर्गीकरण कम दबाव के क्षेत्र में हवा की रफ्तार से होता है. हल्के होते हैं अरब सागर के तूफान भारत में आने वाले पांच समुद्री तूफानों में औसतन चार पूर्वी किनारों से टकराते हैं. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, दक्षिण-पूर्वी बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर से उठने वाले तूफानों के अलावा उत्तर-पश्चिमी प्रशांत से बिखरने वाले तूफान दक्षिणी चीन सागर से होते हुए बंगाल की खाड़ी में पहुंच जाते हैं. पूर्वी तट हमेशा दबाव में रहता है यही वजह है कि हमारा पूर्वी तट हमेशा दबाव में रहता है. दृष्टि की रिपोर्ट के मुताबिक, तूफान अरब सागर में भी बनते हैं, लेकिन ये अमूमन भारत के पश्चिमी तट को छोड़ते हुए उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ जाते हैं. पूर्वी तट पर बने तूफान ज्यादा ताकतवर होते हैं. तूफान का वर्गीकरण कम दबाव के क्षेत्र में हवा की रफ्तार से होता है. अगर हवा की रफ्तार 119 से 221 किमी प्रति घंटे के बीच होती है तो यह प्रचंड तूफान माना जाता है. भारत में तूफानों से जाती हैं काफी जानें  मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, अप्रैल से दिसंबर तक तूफानों का मौसम होता है. लेकिन 65 फीसदी तूफान साल के अंतिम चार महीनों सितंबर से दिसंबर के बीच आते हैं. बंगाल की उत्तरी खाड़ी के ऊपर बनने वाले चक्रवात भारत-गंगा के मैदानी इलाकों में उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ते हैं, जिससे अधिकांश उत्तरी भारत में बारिश होती है. अरब सागर के ऊपर औसतन वर्षा बहुत कम होती है. दुनिया भर में बीते 200 साल में उष्ण कटिबंधीय चक्रवात से दुनिया भर में हुई कुल मौत में 40 फीसदी सिर्फ बांग्लादेश में हुई है, जबकि भारत में एक चौथाई जानें गई हैं. चक्रवात समंदर में ज्‍यादा तापमान वाली जगहों से उठता है. उत्तरी ध्रुव के नजदीक वाले इलाकों में साइक्लोन घड़ी चलने की उलटी दिशा में आगे बढ़ता है. वहीं, भारतीय उपमहाद्वीप के आसपास चक्रवात घड़ी चलने की दिशा में आगे बढ़ता है. पूर्वी तट पर बसे राज्‍याें में आने वाले 48 फीसदी तूफान अकेले ओडिशा में, जबकि 22 फीसदी आंध्र प्रदेश में आते हैं. 48 फीसदी तूफान ओडिशा और 22 फीसदी आंध्र में आते हैं गुजरात इंस्‍टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च की अससेमेंट ऑफ वल्‍नरैबिलिटी टू साइक्‍लोन एंड फ्लड्स की पुरानी रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्वी तट पर बसे राज्‍याें में आने वाले 48 फीसदी तूफान अकेले ओडिशा में, जबकि 22 फीसदी आंध्र प्रदेश में आते हैं. इसके अलावा पश्चिम बंगाल में 18.5 फीसदी और तमिलनाडु में 11.5 फीसदी तूफान आए हैं. पश्चिमी तट में पूर्वी तट की तुलना में आने वाले तूफान 8 गुना कम हैं. बता दें क‍ि उष्ण कटिबंधीय चक्रवात एक तूफान है, जो विशाल निम्‍न दबाव केंद्र और भारी तड़ित-झंझावतों के साथ आता है. ये तेज हवा और मूसलाधार बारिश के हालात बनाता है. नेशनल साइक्लोन रिस्क मिटिगेशन प्रोजेक्ट के मुताबिक, 1891 से 2000 के बीच भारत के पूर्वी तट पर 308 तूफान आए. इसी दौरान पश्चिमी तट पर सिर्फ 48 तूफान आए. बंगाल की खाड़ी से बने पिछले कुछ खतरनाक तूफान  – मई 2023 में आए मोचा तूफान की गति 277 किलोमीटर प्रति घंटा थी. वर्ष 82 के बाद ये सबसे ज्यादा तीव्रता वाला तूफान था. – वर्ष 2021 में ताकाते तूफान की गति 222 किलोमीटर प्रति घंटा थी – वर्ष 2020 में ओफान की गति 268 किलोमीटर प्रति घंटा थी – वर्ष 2019 में फानी तूफान की गति 277 किमी प्रति घंटा के आसपास थी, इसने खूब तबाही मचाई थी. – वर्ष 2007 में गोनू तूफान की गति 268 किलोमीटर प्रति घंटा थी – बांग्लादेश में 1970 में आए भोला तूफान से वहां 03 लाख से 05 लाख लोगों की जान चली गई थी. भारी नुकसान अलग हुआ था.  Tags: Bay of bengal, Bay of Bengal Cyclone, Cyclone updatesFIRST PUBLISHED : May 27, 2024, 14:27 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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