Explainer : राज्यसभा में कैसे चुने जाते हैं नोमिनेटेड मेंबर क्या है प्रक्रिया
Explainer : राज्यसभा में कैसे चुने जाते हैं नोमिनेटेड मेंबर क्या है प्रक्रिया
राज्यसभा में 04 मनोनयन से भरी जाने वाली सीटें खाली हो गई हैं. अब उनको भरने की प्रक्रिया शुरू होगी, ये क्या होती है, कैसे राज्यसभा में नोमिनेटेड सदस्य बनाए जाते हैं.
हाइलाइट्स राज्यसभा में मनोनयन के लिए सदस्यों के नामों पर विचार का काम सरकार करती है वो उन नामों को छांटने के बाद उन्हें राष्ट्रपति के पास भेज देती है संविधान के तहत ऐसे सदस्यों के राज्य सभा में मनोनयन का प्रावधान है
13 जुलाई को राज्यसभा में 04 नोमिनेटेड सदस्यों का 06 साल का कार्यकाल खत्म होने के साथ अब नए नामांकित सदस्यों को चुना जाएगा. हालांकि इस सदस्यों का चुनाव कब होगा ये तय नहीं होता लेकिन ये माना जाता है कि सरकार 06 महीने के अंदर इस चुनाव को करा लेती है. जानते हैं कि नोमिनेटेड सदस्यों का चयन कैसे किया जाता है. फिर इनके नामों पर कैसे मुहर लगती है.
जैसे ही राज्यसभा में नोमिनेटेड सीटें रिक्त होती है, उसके बाद सरकार इसके लिए उपयुक्त सदस्यों के लिए नामों पर विचार शुरू कर देती है. ये विचार जगह रिक्त होने से पहले भी शुरू हो जाता है.
फिर ये होती है प्रक्रिया
– नामांकित व्यक्ति को साहित्य, विज्ञान, कला या सामाजिक सेवा जैसे मामलों में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव होना चाहिए.
नामांकन प्रक्रिया- सरकार द्वारा भेजी गई सूची पर संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत राष्ट्रपति राज्यसभा के लिए सदस्यों को नामांकित करते हैं.राष्ट्रपति सचिवालय नामांकन की प्रक्रिया शुरू करता है. इसके बाद इसे गृहमंत्रालय को नोमिनेशन के लिए नोटिफिकेशन के लिए भेजा जाता है. यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि राज्यसभा में विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण विशेषज्ञता और योगदान वाले सदस्य शामिल हों, जिससे सदन में बहस और चर्चा समृद्ध हो.
ये योग्यताएं हर हाल में जरूरी
– व्यक्ति भारत का नागरिक होना चाहिए
– उनकी आयु कम से कम 30 वर्ष होनी चाहिए
क्या होती है भूमिका और विशेषाधिकार
– मनोनीत सदस्य संसद के निर्वाचित सदस्यों को उपलब्ध सभी शक्तियों, विशेषाधिकारों और सुविधाएं हासिल होती हैं
– वे सदन की कार्यवाही में भाग लेते हैं लेकिन उन्हें भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में वोट देने का अधिकार नहीं है.
– वे भारत के उपराष्ट्रपति के चुनाव में मतदान करने के हकदार हैं.
क्या नोमिनेटेड सदस्य किसी सियासी दल में शामिल हो सकता है
संविधान के अनुच्छेद 99 के अनुसार, सदन में अपनी सीट लेने के बाद किसी राजनीतिक दल में शामिल होने के लिए उनके पास 06 महीने का समय होता है. अगर वह ऐसा नहीं करते तो उन्हें इंडीपेंडेंट मान लिया जाता है. मौजूदा राज्यसभा में जो 08 नोमिनेटेड सदस्य हैं, उसमें 07 इंडिपेंडेंट और एक बीजेपी में हैं. आमतौर पर बहुत कम मनोनीत सदस्य ही किसी सियासी दल की मेंबरशिप लेते हैं. ज्यादातर मनोनीत सदस्य सरकार के भरोसे के लोग होते हैं
किन चीजों में वोटिंग कर सकते हैं
– उपराष्ट्रपति के चुनाव में
– विधेयकों, प्रस्तावों और सदन के समक्ष आने वाले अन्य कार्यों पर मतदान करने का अधिकार है
– राज्यसभा की कार्यवाही और बहस में सक्रिय रूप से भाग ले सकते हैं.
संविधान के किस प्रावधान के तहत होता है ये
– संविधान का आर्टिकल 80 इसका प्रावधान करता है कि राज्यसभा में राष्ट्रपति के जरिए 12 ऐसे सदस्यों का मनोनयन किया जाना चाहिए जो अपने अपने क्षेत्रों और विधाओं में नामी लोग और एक्सपर्ट हों. इसी आर्टिकल का क्लाज 3 ये कहता है कि राज्यसभा में 12 सदस्यों की नियुक्ति अगर मनोनीत करने के जरिए होगी तो 238 से ज्यादा सदस्य चुने हुए नहीं हो सकते.
कहां से लिया गया मनोनयन का प्रावधान
संविधान के प्रारूप को तैयार करने वाली समिति के सदस्य एन. गोपालस्वामी अय्यंगर का कहना था कि हमें ऐसे लोगों को मौका देना चाहिए, जो राजनीति का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन देश के विकास में उनका बड़ा योगदान रहा है. अगर ऐसे लोग उच्च सदन में पहुंचेंगे तो उनके ज्ञान और अनुभव का फायदा मिलेगा. संसदीय वास्तुकला में मनोनीत सदस्यों की उपस्थिति भारतीय समाज को ज्यादा समावेशी बनाने वाली व्यवस्था का समर्थन करती है. राज्यसभा के लिये सदस्यों का मनोनयन संबंधी प्रावधान आयरलैंड के संविधान से लिया गया है.
सवाल – 1952 में जो 12 लोग पहली बार राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए गए वो कौन थे?
– जो लोग पहली बार मनोनीत हुए वो इस तरह हैं
जाकिर हुसैन – जो बाद में राष्ट्रपति बने
कालीदास नाग – इतिहासकार
राधाकुमुद मुखर्जी – इतिहासकार
मैथिलीशऱण गुप्त – कवि
काकासाहेब कालेलकर – गांधीवादी लेखक
सत्येंद्रनाथ बोस – वैज्ञानिक
एनआर मलकानी – समाजसेवी
रुक्मणी देवी अरुंडेल – नृत्यांगना
जेएम कुमारप्पा – गांधीवादी स्कॉलर
अल्लादी कृष्णन – न्यायविद
पृथ्वीराज कपूर – अभिनेता
मेजर जनरल एसएस सोखे – मेडिकल साइंटिस्ट
सवाल – मनोनीत सदस्यों के बारे में भारत के पहले प्रधानमंत्री का क्या विचार था?
– जब राज्यसभा में पहली बार 12 सदस्यों का मनोनयन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने किया तो उसके बाद 13 मई 1953 को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भाषण में कहा, “राष्ट्रपति ने कुछ सदस्य मनोनीत किये हैं, जो कला से लेकर विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में अपना लोहा मनवा चुके है, वो उस क्षेत्र की जानी मानी हस्तियां हैं. वो किसी सियासी दल के प्रतिनिधि नहीं हैं लेकिन उनका कद साहित्य से लेकर कला और अन्य विधाओं में बहुत ऊंचा है.”
सवाल – कब मनोनयन को लेकर विवाद हुआ था?
– जब सचिन तेंदुलकर के नामांकन हुआ तो सवाल खड़े हुए थे कि संविधान के अनुच्छेद 80 (3) में निर्दिष्ट श्रेणियों- ‘साहित्य, कला, विज्ञान और सामाजिक सेवा’ में खेल शामिल नहीं हैं, इसलिए कोई भी खिलाड़ी मनोनयन का पात्र नहीं है. हालांकि बाद में माना गया कि निर्दिष्ट श्रेणियां अपने आप में पूर्ण नहीं हैं बल्कि उदाहरण मात्र हैं.
Tags: Rajya sabha, Rajya Sabha Elections, Rajya Sabha MPFIRST PUBLISHED : July 17, 2024, 07:54 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed