Explainer: क्या SC कॉलेजियम हाई कोर्ट जज को इस्तीफा देने का आदेश दे सकता है
Explainer: क्या SC कॉलेजियम हाई कोर्ट जज को इस्तीफा देने का आदेश दे सकता है
इलाहबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर यादव को एससी कॉलेजियम ने मीटिंग के लिए बुलाया है. कॉलेजियम ने उन्हें उनके विश्वहिंदू परिषद के कार्यक्रम के दौरान लेक्चर में दिए बयान पर समन दिया है. उनके बयान के विरोध में उन पर राज्यसभा में महाअभियोग का नोटिस भी दिया गया है. पर सवाल ये है कि क्या कॉलेजियम जस्टिस यादव को इस्तीफा देने के लिए कह सकता है या नहीं? क्या ऐसा करना उसके प्राधिकार में है या नहीं?
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव (Justice Shekhar Kumar Yadav) की विश्व हिंदू परिषद पर हुई बयानबाजी को लेकर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम संज्ञान ले रहा है. वहीं तो दूसरी तरफ राज्यसभा में उनके खिलाफ महाअभियोग (Impeachment) चलाने का नोटिस दिया जा चुका है. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस यादव को इसी सप्ताह मीटिंग के लिए हाजिर होने के लिए सम्मन जारी किया है. यह पहली बार है जब किसी कॉलेजियम ने किसी हाईकोर्ट जज को ऐसे समन दिया है.
क्या कहा था जस्टिस यादव ने
जस्टिस शेखर कुमार यादव ने आठ दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में शिरकत करते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड पर व्याख्यान दिया था इस दौरान उन्होंने कहा था कि भारत अब बहुसंख्यकों की मर्जी से चलेगा. एक से ज़्यादा पत्नी रखने, तीन तलाक़ और हलाला के लिए कोई बहाना नहीं है और अब ये सब नहीं चलेगा. जस्टिस यादव के बयान के हिस्से वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे.
समन से उठे सवाल
सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जस्टिस यादव को अपने पक्ष साफ करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने बायान के दो दिन बाद ही इलाहबाद हाई कोर्टसे मामले की जानकारी मांगी है. वहीं यह मांग भी उठी है कि फिलहाल जस्टिस यादव को उनके कामकाज से दूर दिया जाए. लेकिन सवाल ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम किसी हाई कोर्ट के जज को इस्तीफा देने को कह सकता है और यह आदेश (या सुझाव भी) जस्टिस यादव पर बाध्याकारी हो सकता? क्या कॉलेजियम के लिए ऐसा करना संविधान सम्मत है? जस्टिस शेखर यादव विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम के दौरान दिए अपने बयानों के कारण विवादों में आए थे. (फाइल फोटो)
क्या है सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम?
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम भारत के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के चार सबसे वरिष्ठ जजों का ग्रुप है. ये पांच मिलकर तय करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में जज कौन होगा, इसकी उन्हें राष्ट्रपति को क्या सलाह देनी है. यह ना तो संवैधानिक संस्था है और ना ही किसी तरह की कोई कानूनी या वैधानिक संस्था है. इसके स्थापना सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के जरिये हुए हई है. कॉलेजियम यह भी अनुशंसा देता है कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में किन जजों की नियुक्ति होनी चाहिए.
अनुशंसा दे सकता है कॉलेजियम?
गौर से देखा जाए तो कॉलेजियम एक तरह की परम्परागत व्यवस्था है. भारतीय न्याय व्यवस्था में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की नियुक्ति के मामले में भारतीय संविधान में स्पष्ट प्रावधान है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 (2) के प्रावधानों के अनुसार, “सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों (राष्ट्रपति इस उद्देश्य के लिये जितने न्यायाधीशों के परामर्श को उपयुक्त समझे) के परामर्श के बाद की जाएगी” ऐसा ही प्रावधान राज्य हाईकोर्ट की न्यायधीशों के लिए अनुच्छेद 217 में है.
क्या कलीजियम हटा सकता है किसी जज को?
वहीं सुप्रीम कोर्ट के जज या फिर हाईकोर्ट के किसी जज को हटाने की बात है तो इसके लिए संविधान में साफ प्रावधान है. संविधान के 124 अनुच्छेद सुप्रीम कोर्ट के जज के लिए, जबकि 128 अनुच्छेद हाईकोर्ट के जज के लिए बताया गया है किसी जज को केवल और केवल महाअभियोग की प्रक्रिया से हटाया जा सकता है, जिसमें संसद फैसला करती है कि अमुक न्यायाधीश को हटाना है नहीं. इस लिहाज से साफ है कि कॉलेजियम जस्टिस यादव को हटा तो नहीं सकता है.
क्या कर सकता है कॉलेजियम?
तो क्या कॉलेजियम हाइकोर्ट के जज को इस्तीफा देने को कह सकता है. ऐसा वह नैतिकता के आधार पर कह तो सकता है, लेकिन यह कानूनी तौर पर उस जज पर बाध्यकारी नहीं होगा. साथ ही यह बहस का विषय भी हो जाएगा क्योंकि ऐसे में कॉलेजियम की शक्तियां संविधान के प्रावधानों से ऊपर होती भी दिखेंगीं.
कलीजियम की सीमाएं!
कलीजियम की कार्यप्रणाली पहले ही सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति के मामले में कम विवादित नहीं है. अभी व्यवस्था यह है कि कॉलेजियम की अनुशंसा को राष्ट्रपति अस्वीकार भी कर लौटा भी सकता है. अगर कॉलेजियम दोबारा वही अनुशंसा फिर से भेजा तो राष्ट्रपति उसे स्वीकृति देते हैं. पर यह कोई नियम वाली बाध्यता नहीं है. कई विवादित हालात में खुद सुप्रीम कोर्ट अपने फैसलों के आधार पर व्यवस्था देता आया है. और संविधान की व्याख्या भी करता है.
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कॉलेजियम जस्टिस यादव को उनके बर्ताव के लिए दिशा निर्देश दे सकता है, उनसे माफी मांगने के लिए भी कह सकता है लेकिन इस्तीफा देने या हटाने की प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकता है
FIRST PUBLISHED : December 16, 2024, 14:26 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed