एक देश एक चुनाव विधेयक: 262-198 362 के फेर में फंसी भाजपा पढ़ लें पूरी बात
एक देश एक चुनाव विधेयक: 262-198 362 के फेर में फंसी भाजपा पढ़ लें पूरी बात
Ek Desh Ek Chunav: एक देश एक चुनाव बिल लोकसभा में पेश हो गया है. लेकिन इस बिल को पास कराने के लिए BJP 362 के फेर में फंस गई. क्योंकि लोकसभा में इस बिल को पास कराने के लिए भाजपा को दो तिहाई बहुमत चाहिए. आइए इस खबर में जानते हैं उन तमाम सवालों के जवाब को टटोलते हैं जिसे लेकर कंफ्यूजन हो रहा है.
नई दिल्ली: लोकसभा में मंगलवार को एक देश, एक चुनाव विधेयक को पेश किया गया. यह एक देश एक चुनाव के लिए 129वां संविधान (संशोधन) बिल है. कई दलों की आपत्ति के बाद बिल को दोबारा पेश करने को लेकर वोटिंग हुई. ज्यादा वोट पड़ने के बाद बिल पेश किया गया. बिल के लिए पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग कराई गई. कुछ सांसदों की आपत्ति के बाद वोट संशोधित करने के लिए फिर पर्ची से मतदान हुआ.
एक देश एक चुनाव बिल को पेश करने के पक्ष में 269 वोट पड़े और इसके विपक्ष में 198 वोट पड़े. हालांकि बिल तो पेश हो गया लेकिन इस बिल के पास होने में काफी पेंच है. क्योंकि इस बिल को लोकसभा में पास करने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत है. लेकिन सरकार के पास इतनी सीटें नहीं ऐसे में BJP को विपक्ष के कुछ सांसदों को भी साधने की जरूरत है. इसलिए JPC में भेजने पर भाजपा विचाप कर रही है.
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सरकार JPC में जाने की कर चुकी है बात
गृह मंत्री अमित शाह ने कल सदन में कहा कि बिल जब कैबिनेट में आया था, तब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजना चाहिए. कानून मंत्री ऐसा प्रस्ताव कर सकते हैं. बाद में वोटिंग के बाद भी विपक्ष इस बिल का वोरोध करती रही लेकिन कई सांसद इस बिल को JPC को भेजने की बात कर रहे थे.
362 के फेर में कैसे फंसी भाजपा?
गौरतलब है कि लोकसभा की 543 सीटों में NDA के पास अभी 292 सीटें हैं. दो तिहाई बहुमत के लिए 362 का आंकड़ा जुटाना जरूरी है. वहीं, राज्यसभा की 245 सीटों में एनडीए के पास अभी 112 सीटें हैं, वहीं 6 मनोनीत सांसदों का भी उसे समर्थन है. जबकि विपक्ष के पास 85 सीटें हैं. दो तिहाई बहुमत के लिए 164 सीटें जरूरी हैं. सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार बिल पर आम सहमति बनाना चाहती है. इसे लेकर लोकसभा में अध्यक्ष ओम बिरला ने बार-बार कहा कि इस पर विस्तृत चर्चा होगी.
15 दलों का विरोध
मालूम हो कि ‘एक देश, एक चुनाव’ पर बनी रामनाथ कोविंद समिति को 47 राजनीतिक दलों ने अपनी राय दी थी. इनमें 32 दलों ने समर्थन किया था और 15 दलों ने इसका विरोध किया था. विरोध करने वाले दलों के पास 205 लोकसभा सांसद हैं. यानी बिना इंडिया गठबंधन के समर्थन के संविधान संशोधन बिल पास होना मुश्किल है. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के शिवसेना गुट और शरद पवार के नेतृत्व वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी समूह साथ ही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग सहित 15 दलों ने विरोध किया है.
Tags: One Nation One ElectionFIRST PUBLISHED : December 18, 2024, 12:34 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed