इस बार क्यों हो रही है दिल्ली-एनसीआर में तेज बारिश क्यों हो रहा जलभराव

Why is it Raining So Much: दिल्ली और इसके आसपास के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बुधवार शाम को भारी बारिश हुई. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार केवल एक घंटे में 100 मिलीमीटर से अधिक बारिश हुई. जिसके कारण IMD को रेड अलर्ट जारी करना पड़ा.

इस बार क्यों हो रही है दिल्ली-एनसीआर में तेज बारिश क्यों हो रहा जलभराव
Why is it Raining So Much: मॉनसून के बादल इस बार इस कदर बरस रहे हैं कि मैदान से लेकर पहाड़ तक हर तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है. भारी बारिश ने पूरे देश में तांडव मचा रखा है. देश की राजधानी दिल्‍ली में इतनी बारिश हो रही है कि रोज नए रिकॉर्ड बन रहे हैं.  दिल्ली-एनसीआर में बुधवार शाम को भारी बारिश हुई, जिससे शहर के अधिकांश हिस्से डूब गए. इससे ट्रैफिक बुरी तरह प्रभावित हुआ, जिससे लोग घंटों तक जाम में फंसे रहे. बारिश का कहर जानलेवा भी साबित हुआ. दिल्ली, गुरुग्राम और ग्रेटर नोएडा में सात लोगों की मौत हो गई. हिमाचल में दो जगह बादल फटा हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में तो मानसून जमकर बरसता रहा है. लेकिन इस बार राजस्थान के अधिकांश जिलों में मूसलाधार बारिश हो रही है. जगह-जगह बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है. हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में बारिश ने भारी तबाही मचाई है. जिले के पद्धर में बादल फटने से एक शख्स की मौत हो गई है, जबकि नौ लोग लापता हैं. शिमला के रामपुर में झाकड़ी की समेज खड्ड में बादल फटने के कारण तबाही हुई है.  उत्तराखंड में बारिश का कहर उत्तराखंड में बारिश के कहर से 8 लोगों की मौत हो गई है. वहीं 5 लोग लापता हैं. टिहरी में बादल फटने से तीन की मौत हो गई. जबकि देहरादून में बरसाती नाले में बहने से एक की मौत हो गई और एक शख्स लापता है. वहीं चमोली के गैरसैण में मकान ढहने से एक महिला की मौत हो गई. हरिद्वार के ग्राम भौरी में मकान ढहने से दो बच्चों की मौत हो गई. हल्द्वानी और बागेश्वर में अलग अलग घटनाओं में दो बच्चों के बहने की सूचना मिली है. नैनीताल के धारी में पत्थर की चपेट में आने से एक की मौत हो गई. प्रदेश का रुद्रप्रयाग और टिहरी जिला रहा बारिश की कहर से प्रभावित हो गया है. ये भी पढ़ें- ईरान और इजरायल के बीच छिड़ जाए जंग तो किसका रहेगा पलड़ा भारी, दोनों में कौन ज्यादा ताकतवर? क्‍यों हो रही है इतनी बारिश? दिल्ली और इसके आसपास के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बुधवार शाम को भारी बारिश हुई. लेकिन यह प्रकृति की शक्ति का एक घातक रूप था. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार केवल एक घंटे में 100 मिलीमीटर से अधिक बारिश हुई. जिसके कारण आईएमडी को रेड अलर्ट जारी करना पड़ा. इस प्रकार की अत्यधिक वर्षा, जिसे अक्सर बादल फटना कहा जाता है, के परिणामस्वरूप हुई. आईएमडी ने अगले कुछ दिनों में गरज के साथ मध्यम से भारी बारिश जारी रहने का अनुमान लगाया है. आईएमडी के अनुसार सभी चार सेक्टरों से बादल दिल्ली में एकत्र हुए, जिससे भारी बारिश हुई. क्‍यों होती है जलभराव की समस्‍या? भारी बारिश के कारण कई राज्‍यों में सामान्‍य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम की सड़कें पानी में डूब गई हैं. जगह-जगह हुए जलभराव के कारण सड़कों पर लंबा जाम लग रहा है. क्‍या आपने कभी सोचा है कि बारिश मामूली हो या भारी, जलभराव की स्थिति कैसे बन जाती है? बता दें कि ज्‍यादातर बड़े शहरों में बेहतरीन सीवेज सिस्‍टम्‍स बनाए गए हैं. फिर कैसे सड़कें पानी में डूब जाती हैं. इसका सबसे पहला कारण जलनिकासी की कमजोर व्यवस्था है. ये भी पढ़ें- कब कब प्रेग्नेंट खिलाड़ियों ने ओलंपिक में जीते पदक, घुड़सवारी जैसी इवेंट में भी दिखाया जलवा ड्रेनेज सिस्‍टम नहीं संभाल पा रहा बोझ ज्‍यादातर शहरों में सीवेज सिस्‍टम पर करोड़ों रुपये का खर्चा किया जाता है. शासन-प्रशासन दावा करते हैं कि बारिश में लोगों को जलभराव का सामना नहीं करना पड़ेगा. हालांकि, जलनिकासी की बेहद कमजोर व्‍यवस्‍था के कारण सारे दावे पानी में डूब जाते हैं. दरअसल, बिना स्‍टैंडर्ड्स और स्ट्रक्चरल नॉलेज के मनमुताबिक जल निकासी की सुविधा देने के कारण जलभराव के हालात बनते हैं. कई बार शुरुआत में जलनिकासी सुविधा काम करती है, लेकिन लंबे समय में ये पूरी तरह से नाकाम साबित हो जाती है. विशेषज्ञों का कहना है कि पुराने शहरों में नई इमारतें बन रहीं हैं, लेकिन ड्रेनेज सिस्‍टम पर काम नहीं होता है. इससे बचना है तो शहर की आबादी, रिहायशी इलाकों और अगले 100 साल के अनुमान के मुताबिक ड्रेनेज सिस्टम बनना चाहिए. दूसरे विभागों की लापरवाही भी वजह विशेषज्ञों के मुताबिक, कई शहरों में गंदगी के कारण ड्रेनेज सिस्टम फेल हो जाते हैं. इसके लिए आम लोग जिम्‍मेदार होते हैं. दरअसल, लोग पॉलीथीन और कूड़े को सड़क पर फेंक देते हैं. बारिश के दिनों में यही कूड़ा नालियों में पहुंचकर उन्‍हें जाम कर देता है. इससे पानी नालियों के जरिये बाहर निकलने के बजाय सड़कों पर जमा होने लगता है. इससे बचने के लिए बारिश का मौसम आने से पहले ही नाले-नालियों की सफाई की जानी चाहिए. वहीं, नालियों को इस तरह से बनाया जाना चाहिए कि उनमें कूड़ा कचरा ना फंसे. इसके अलावा कई बार अच्‍छी भली बनी हुई सड़क को बिजली, जल या किसी दूसरे विभाग के लोग खुदवा देते हैं, लेकिन दुरुस्‍त नहीं करवाते. इससे भी कीचड़ और जलभराव की समस्या होती है. Tags: Delhi Flood, Delhi Rain, Delhi Rainfall, IMD forecast, IMD predictedFIRST PUBLISHED : August 1, 2024, 17:53 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed