खनिजों पर SC का फैसला किन राज्यों के खजानों ज्यादा भरेंगी खानें जानिए

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद,खनिज संपदा पर रॉयल्टी और टैक्स लगाने के अधिकार, राज्यों को दे दिए जाने के बाद से वे राज्य मालामाल हो जाएगे जो अब तक आर्थिक रूप से पिछड़े रहे हैं. क्योकि कई राज्य ऐसे हैं, जिनके पास खनिज ज्यादा है, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर हैं. जानिए किस राज्य को इससे कितना फायदा होगा.

खनिजों पर SC का फैसला किन राज्यों के खजानों ज्यादा भरेंगी खानें जानिए
खनिज संपदा पर रॉयल्टी वसूलने और टैक्स लगाने का अधिकार राज्यों को मिलने के बाद आर्थिक तौर पर पिछड़े और छोटे राज्यों की स्थिति में बड़ा परिवर्तन होने की संभावना है. इससे खनिज संपदा से संपन्न राज्यों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी. ये ध्यान रखने वाली बात है कि महज सात राज्य की पूरे देश की खनिज उत्पादन में हिस्सेदारी 97 तक रही है. दूसरे तरह से कहा जाय तो मतलब ये है कि सात राज्य देश में निकलने वाले कुल खनिज का 97 फीसदी उत्पादन करते हैं. ये राज्य हैं ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और गुजरात. इनमें कई राज्य ऐसे हैं जिनकी आर्थिक स्थिति अपेक्षाकृत कमजोर है. वैसे कई राज्य पहले से रॉयल्टी वसूलती रहे हैं. तमिलनाडु में खनन के लिए रॉयल्टी पर दी गई जमीन पर अलग से टैक्स लगाने के बाद से ही ये मामला न्यायालय में गया था. कहां से शुरुआत हुई तमिलनाडु और इंडिया सीमेंट्स के बीच करार था. खनिज निकालने के बदले इंडिया सीमेंट्स राज्य सरकार को रॉयल्टी के तौर पर एक निश्चित राशि दे रहा था. इसी दरम्यान 1989 में तमिलनाडु सरकार ने रॉयल्टी पर ‘सेस’ लगा दिया. सेस एक तरह का टैक्स ही होता है. सीमेंट्स इंडिया ने सेस देने से मना कर दिया और अदालत का दरवाजा खटखटाया. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. सबसे बड़ी अदालत की एक बड़ी पीठ ने फैसला दिया कि राज्यों को खनन या खनिज पर किसी तरह का कर लगाने का अख्तियार ही नहीं है. उसने रॉयल्टी को भी कर माना. इससे राज्यों को भारी आर्थिक घाटा दिखने लगा. सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच बनी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के विरोध में राज्यों ने बड़ी बेंच गठित कर इस पर सुनवाई करने की मांग की.  नौ सदस्यों की बेंच गठित हुई. संविधान पीठ के सामने मुद्दा ये था कि क्या रॉयल्टी टैक्स या नहीं. साथ ही राज्यों को कर वसूलने का अख्तियार है या नहीं. इन पर विचार करते हुए संविधान पीठ ने 8-1 की सहमति से फैसला दिया कि रॉयल्टी टैक्स नहीं है. साथ ही राज्य सरकारों को ये अधिकार भी दे दिया कि वे टैक्स वसूल सकती हैं. न्यायालय ने इसका आधार ये बनाया कि राज्यों को इमारतों और भूमि से टैक्स वसूलने का अधिकार है. खानें भी जमीन ही हैं, लिहाजा वो टैक्स लगा सकती है. इसके अलावा रॉयल्टी कोई कर नहीं है, बल्कि ये मुनाफे में हिस्सेदारी है. इस तरह से राज्यों को कर निर्धारित करने और रॉयल्टी वसूलने का अब अधिकार मिल गया. सबसे ज्यादा खदानों वाले राज्य अगर खदानों की संख्या की बात की जाय तो सबसे ज्यादा 263 खदानें मध्य प्रदेश में हैं. इसके बाद गुजरात में 147, कर्नाटक में 132, ओडिशा में 128, छत्तीसगढ़ में 114, आंध्र प्रदेश में 108, राजस्थान में 90, तमिलनाडु में 88, महाराष्ट्र में 73, झारखंड में 45 और तेलंगाना में 39 खदानें हैं. 2021-22 के आंकड़ों की बात की जाय तो में खनिजों का 44.11 फीसदी उत्पादन ओडिशा में, 17.34 प्रतिशत छत्तीसगढ़ में, 14.10 फीसदी राजस्थान में, 13.24 प्रतिशत कर्नाटक में, 4.36 प्रतिशत झारखंड में, 2.44 फीसदी मध्य प्रदेश में और 1.45 प्रतिशत महाराष्ट्र में हुआ था. इसी आकंड़े के मुताबिक 2021-22 में भारत में कुल 2.11 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के खनिज का उत्पादन हुआ. खदानों की संख्या और हिस्सेदारी तो एक महत्वपूर्ण आंकड़ा है ही. इसमें कम अहम बात खनन वाली भूमि के रकबे की नहीं है. निश्चित तौर पर रॉयल्टी और राज्य सरकारें खदानों से निकलने वाली वस्तु के आधार पर ही लगाएंगे. इस तरह से उनकी राजस्व की कमाई भी उसी अनुपात में बढ़ेगी. राजस्व का ये स्रोत राज्यों को माली तौर पर मजबूती देगा. लेकिन यही टैक्स अगर कुछ अधिक मात्रा में लग गए तो इससे हर तरह से महंगाई भी बढ़ सकती है. साथ ही अधिक टैक्स की स्थिति में राज्यों के सामने सीधा विदेशी निवेश पर बुरा असर डालेगा. Tags: Coal mines, Supreme court of indiaFIRST PUBLISHED : July 26, 2024, 17:31 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed