Explainer : क्या होती है बेनामी संपत्ति क्यों अब इसमें नहीं होगी जेल

सुप्रीम कोर्ट ने पुरानी बेनामी संपत्ति वालों को राहत देते हुए फैसला दिया है कि पुरानी संपत्तियों पर बेनामी संपत्ति कानून 2016 लागू नहीं हो सकता. ये नई बेनामी संपत्तियों पर जरूर लागू होगा. जानिए बेनामी संपत्ति को लेकर तमाम कानून पहलू और इससे संबंधित जानकारी

Explainer : क्या होती है बेनामी संपत्ति क्यों अब इसमें नहीं होगी जेल
हाइलाइट्स2016 से पुराने के मामलों में लागू नहीं होगा नया बेनामी संपत्ति कानूनकाले धन और अघोषित धन का क्या होता है बेनामी संपत्ति से रिश्ता क्या अपने रिश्तेदार या परिजनों के नाम खरीदी गई हर संपत्ति होती है बेनामी सुप्रीम कोर्ट ने बेनामी संपत्ति कानून 2016 के एक प्रावधान को निरस्त कर दिया है. इसके अनुसार अब पुरानी बेनामी संपत्तियों के लिए तीन साल की सजा नहीं होगी और ना ही ये संपत्तियां जब्त की जा सकेंगी. सुप्रीम कोर्ट ने जिस मामले पर ये टिप्पणी की है, वो तो हमें जानना ही चाहिए बल्कि बेनामी संपत्ति से जुड़ी सारे पहलुओं के बारे में जानेंगे. दरअसल बंगाल की एक कंपनी है गणपति डीलकॉम प्राइवेट लिमिटेड. उसके खिलाफ जब बेनामी संपत्ति मामले में कार्रवाई की गई तो वो इसके खिलाफ कोलकाता हाईकोर्ट चली गई. वहां उसने ये चुनौती दी कि बेनामी संपत्ति कानून में 2016 से पहले के मामलों में सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है और ना ही सजा दे सकती है. कोलकाता हाईकोर्ट ने गणपति डीलकाम प्राइवेट लिमिटेड के फेवर में फैसला सुनाया. उसने भी यही फैसला सुनाया, जो सुप्रीम कोर्ट ने अब सुनाया है. कोलकाता हाईकोर्ट ने फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई. दिसंबर 2019 में कोलकाता हाईकोर्ट ने कहा था कि बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम 2016 का संशोधन पिछली तारीख से यानी रिट्रोस्पेकेट्व इफेक्ट से लागू नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने भी उसी फैसले को सही ठहराते हुए सजा को रद्द किया. दरअसल, इस कानून से जुड़ा संशोधन 1 नवंबर, 2016 से लागू हुआ था, लेकिन बेनामी सम्पत्ति के मामले में 2016 से पहले फंसे लोगों पर भी इसी कानून के तहत कार्रवाई की जा रही है. ये कार्रवाई अब भी लगातार चल रही है. . दरअसल केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में एक कानून बनाकर बेनामी संपत्ति को अपराध घोषित किया था. साथ ही धारा 3(2) में प्रावधान किया था कि इसमें 03 साल के कारावास की सजा हो सकती है. सवाल – वर्ष 2016 में कौन सा कानून लागू हुआ था? – दरअसल, भारत में बढ़ते काले धन की समस्या से निजात पाने के लिए मोदी सरकार ने नवम्बर 2016 में नोटबंदी लागू की. इसी दिशा में सरकार ने एक कदम और आगे बढ़ाकर बेनामी सपत्ति कानून, 1988 में परिवर्तन किया. वर्ष 2016 में इसमें संशोधन हुआ. संशोधित कानून 1 नवम्बर, 2016 से लागू हो गया. संशोधित बिल में ही बेनामी संपत्‍तियों को जब्त करने और उन्हें सील करने का अधिकार है. सवाल – क्या होती है बेनामी संपत्ति? – अपनी संपत्ति को छिपाने के लिए जब कोई शख्स दूसरे के नाम से संपत्ति खरीदता है तो इसे बेनामी संपत्ति कहते हैं. नाम को वो दूसरे के नाम से होती है लेकिन असल में उस संपत्ति पर उसी का अधिकार होता है. आमतौर पर ऐसी संपत्ति काले धन या आमदनी के ज्ञात स्रोतों के बाहर से खरीदी जाती है. अगर खरीदने वाले अपने धन से अपने पत्नी और बेटे या अन्य परिवारीजन या करीबी के नाम से संपत्ति खरीदी हो तो भी ये बेनामी संपत्ति कही जाएगी. बेनामी संपत्ति खरीदने वाला व्यक्ति कानूनी मिल्कियत अपने नाम नहीं रखता, लेकिन सम्पत्ति पर किसी ना किसी तरह कब्ज़ा जरूर रखता है. केंद्र सरकार का नया कानून उसे कोई भी नई बेनामी संपत्ति जब्त करने का अधिकार देती है. सवाल – नए कानून में कितनी सजा का प्रावधान है? – सरकार ने बेनामी संपत्ति कानून 2016 में बेनामी संपत्ति की लेनदेन के लिए दोषी पाए गए व्यक्ति को 03 से 07 साल साल तक के कैद की सजा हो सकती है.संपत्ति के बाजार मूल्य के एक चौथाई के बराबर अर्थदण्ड भी लगाया जा सकता है सवाल – बेनामी सपत्ति का विकास कैसे हुआ, क्या ये अब भी संभव है? अमूमन जब लोग गलत तरीकों, भ्रष्टाचार आदि से काला धन जमा कर लेते हैं, जो उनकी ज्ञान संपत्ति स्रोतों से ज्यादा होता है तो वो अपने परिचितों और करीबियों के नाम से संपत्ति खरीदकर उन्हें अपने कब्जे में रखते हैं. ऐसा करके वो इनकम टैक्स समेत कई विभागों या कानून की पकड़ से बच सकते हैं. अब जिस तरह धन के मामलों में काफी हद तक आनलाइन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और धन की पारदर्शिता को लेकर कानून लाए गए हैं और धन के स्रोतों की पकड़ के लिए पैन कार्ड और उन्हें घोषित करना लागू कर दिया गया, उसके बाद काले धन को जमा करना और अन्य स्रोतों से धन हासिल करके उसे छिपाना बहुत मुश्किल भरा हो चुका है. सवाल – क्या परिचितों के नाम से खरीदी गई हर संपत्ति बेनामी होगी? – नहीं ऐसा नहीं है. बात धन के ज्ञात स्रोतों की है. अगर आपने भाई, बहन, पत्नी, बेटा या अन्य रिश्तेदारों के नाम से ज्ञात स्रोतों से भुगतान करके संपत्ति खरीदी है तो ये बेनामी नहीं होगी, इसका जिक्र आयकर रिटर्न में किया जाना चाहिए. इसे बेनामी संपत्ति नहीं माना जायेगा. इसके अलावा, संपत्ति में साझा मालिकाना हक जिसके लिए भुगतान घोषित आय से किया गया हो, को भी बेनामी संपत्ति नहीं माना जायेगा. हालांकि सरकार को अधिकार है कि वो शक होने पर संपत्ति के मालिक से पूछताछ कर सकती है. उसे नोटिस भेजकर संपत्ति से संबंधित सभी कागजात मांग सकती है, जिसे मालिक को 90 दिनों के अंदर दिखाना होगा. सवाल – बेनामी संपत्ति की गलत सूचना देने पर क्या होगा? – अगर कोई बेनामी संपत्ति की गलत सूचना देता है तो उस पर प्रॉपर्टी के बाजार मूल्य का 10 प्रतिशत तक जुर्माना और 6 महीने से 5 साल तक की जेल का प्रावधान है. अगर सिद्ध नहीं कर पाया कि ये सम्पत्ति उसकी है तो सरकार उसको जब्त भी कर सकती है सवाल – कौन होता है बेनामदार? – बेनामी संपत्ति के मामलों में जिसके नाम पर ऐसी संपत्ति खरीदी गई होती है, उसे ‘बेनामदार’ कहा जाता है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Black money, Property, Property dispute, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : August 24, 2022, 15:42 IST