900 इंटरनेशनल स्कूल 4 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स जानें पढ़ाई करने के 5 फायदे

School Education, International Schools: पिछले कुछ सालों में भारत के एजुकेशन सिस्टम में काफी बदलाव आया है. देश के महानगरों में कई इंटरनेशनल स्कूल भी खुल गए हैं. इन इंटरनेशनल स्कूल्स में पढ़ाई का स्तर अन्य स्कूलों से काफी अलग होता है. अगर आप भी बच्चे का एडमिशन इंटरनेशनल स्कूल में करवाना चाहते हैं तो जानिए यहां पढ़ने के फायदे.

900 इंटरनेशनल स्कूल 4 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स जानें पढ़ाई करने के 5 फायदे
नई दिल्ली (School Education, International Schools). भारत में कई तरह के स्कूल हैं. कुछ सरकारी, कुछ निजी, कुछ सरकारी सहायता प्राप्त और कुछ इंटरनेशनल भी. हर स्कूल की अपनी खासियत है. सभी स्कूल अलग-अलग बोर्ड से संबद्ध हैं. इन दिनों दिल्ली, नोएडा, मुंबई, बेंगलुरु जैसे कुछ महानगरों में इंटरनेशनल स्कूल बड़ी संख्या में खुल गए हैं. ऐसे में पेरेंट्स नेशनल और इंटरनेशनल स्कूल के बीच काफी कंफ्यूज्ड रहने लगे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश में 900 इंटरनेशनल स्कूल हैं (International Schools in India). 2023-24 सेशन तक 4,16,000 स्टूडेंट्स इनमें एडमिशन ले चुके थे. इंटरनेशनल स्कूल में एडमिशन के लिए मिनिमम एज 3 साल होनी चाहिए. अगर आप भी इस साल बच्चे का एडमिशन इंटरनेशनल स्कूल में करवाना चाह रहे हैं लेकिन फैसले को लेकर परेशान हैं तो Shrewsbury International School India के फाउंडिंग हेडमास्टर Dominic Tomalin से जानिए यहां पढ़ाई करने के 5 फायदे. Benefits of Studying in International Schools: इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ाई के फायदे भारत में करीब 900 इंटरनेशनल स्कूल हैं. आने वाले कुछ सालों में इनकी संख्या में इजाफा होगा. ग्लोबल एजुकेशन की मांग बढ़ने से इंटरनेशनल स्कूलों की डिमांड भी बढ़ती जा रही है. सबसे ज्यादा आबादी वाले देश भारत का एजुकेशन सिस्टम भी टॉप क्लास का है. अब दुनियाभर के लोग नौकरी या बिजनेस करने के लिए भारत में बसे हुए हैं. उनके साथ ही भारतीय भी फ्यूचर-फॉरवर्ड करिकुलम और मल्टीडिसिप्लिनरी लर्निंग वाला बैकग्राउंड दिलवाने के लिए बच्चों का एडमिशन इंटरनेशनल स्कूल में करवाते हैं. यह भी पढ़ें- ये देश 25 दिसंबर को नहीं मनाते हैं क्रिसमस, स्कूलों की छुट्टी भी होती है रद्द 1. मल्टी कल्चर से खुलेगा ग्लोबल रास्ता इंटरनेशनल स्कूलों का सिलेबस रटने के बजाय सीखने और समझने पर फोकस्ड है. यहां स्टूडेंट्स को विभिन्न तरह के रिसोर्सेस से भरपूर माहौल दिया जाता है. इंटरनेशनल स्कूल में हर क्लास में स्टूडेंट्स की संख्या सीमित होती है, जिससे हर बच्चे पर ध्यान देना आसान होता है. ये स्कूल मल्टी कल्चर को प्रमोट करते हैं. इससे स्टूडेंट्स को ग्लोबल नागरिक के तौर पर इवॉल्व होने में मदद मिलती है. यहां पढ़ाई के साथ ही लाइफ स्किल्स पर भी फोकस किया जाता है. 2. सबसे बेहतर है इंफ्रास्ट्रक्चर इंटरनेशनल स्कूल में टीचिंग मेथडोलॉजी यानी पढ़ाने का तरीका अन्य स्कूलों से अलग होता है. यहां के क्लासरूम, लैब, स्पोर्ट्स फैसिलिटी, लाइब्रेरी और डिजिटल जोन के इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक रिसोर्सेस में भी अंतर होता है. इस तरह के लर्निंग वातावरण को काफी बैलेंस्ड माना जाता है. ऐसे माहौल में बच्चों को पढ़ाई-लिखाई और स्किल डेवलपमेंट के साथ ही अपने पैशन को फॉलो करने का भी भरपूर अवसर मिलता है. यह ओवरऑल ग्रोथ के लिए जरूरी है. 3- सीख सकते हैं कई भाषाएं इंटरनेशनल स्कूल में स्टूडेंट्स को कई भाषाएं सीखने का मौका मिलता है. इन दिनों ज्यादातर स्कूलों में 6 क्लास से ही एक विदेशी भाषा चुनने का अवसर दिया जाता है. इंटरनेशनल स्कूल में अलग-अलग देशों से भारत में बसे स्टूडेंट्स पढ़ाई करते हैं. अपनी मातृभाषा से अलग कोई भी भाषा सीखने पर स्टूडेंट का ज्यादा बौद्धिक विकास होता है. इससे एनालिटिकल और कम्युनिकेशन स्किल्स ते साथ ही प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स भी डेवलप होती हैं. साथ ही फ्यूचर में विदेशी यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेना आसान हो जाता है. यह भी पढ़ें- 15 लाख स्कूल, 97 लाख शिक्षक, 26 करोड़ छात्र, चौंका देंगे स्कूलों के ये आंकड़े 4. आसान होगी ग्लोबल यूनिवर्सिटी में एडमिशन की राह जो स्टूडेंट्स भविष्य में किसी विदेशी यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेना चाहते हैं, उनके लिए इंटरनेशनल स्कूल से पढ़ाई करना बेहतरीन विकल्प है. इंटरनेशनल स्कूल का इंग्लिश नेशनल सिलेबस स्टूडेंट को कैंब्रिज इंटरनेशनल IGCSE परीक्षा के लिए तैयार करता है. ए लेवल कोर्स में एंट्री और टॉप ग्लोबल यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए ये परीक्षाएं पास करना जरूरी है. यहां साइंस और मैथ के साथ ही कंप्यूटिंग स्किल्स और डिजाइन & टेक्नोलॉजी, एस्ट्रोनॉमी जैसे विषय भी पढ़ाए जाते हैं. 5. प्रैक्टिकल लर्निंग पर रहता है फोकस इंटरनेशनल स्कूल का टीचिंग कॉन्सेप्ट चॉक एंड टॉक मॉडल से अलग हैं. ये प्रैक्टिकल लर्निंग के लिए जाने जाते हैं. यहां बच्चों को सवाल पूछने और जिज्ञासु होने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. इंटरनेशनल स्कूल में सिर्फ रिजल्ट पर नहीं, बल्कि बच्चे के ओवरऑल डेवलपमेंट पर फोकस किया जाता है. उन्हें एकेडमिक सोसाइटी, फील्ड ट्रिप, इंटर्नशिप और कम्युनिटी सर्विस में शामिल किया जाता है. कुल मिलाकर यहां का पूरा सिस्टम विदेशी स्कूलों के मॉडल जैसा है. यह भी पढ़ें- भारत में हैं 72 एजुकेशन बोर्ड, कितनों को मिली मान्यता, कितने हैं विदेशी? Tags: Education news, Gurugram International School, School educationFIRST PUBLISHED : December 24, 2024, 16:51 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed