दिन में चराई बकरी रात में की पढ़ाई पिता के फैसले ने बदली नीट टॉपर की जिंदगी
दिन में चराई बकरी रात में की पढ़ाई पिता के फैसले ने बदली नीट टॉपर की जिंदगी
Kalakar Pradhan NEET Success Story: मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम नीट दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में शामिल है. ज्यादातर अभ्यर्थी 12वीं के साथ ही नीट की भी तैयारी शुरू कर देते हैं. ओडिशा के आदिवासी छात्र कलाकार प्रधान ने अभावों में रहते हुए नीट पास किया. दिनभर परिवार की मदद करने के बाद वह रात में पढ़ाई पर फोकस कर पाते थे.
नई दिल्ली (Kalakar Pradhan NEET Success Story). मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस प्रोग्राम में एडमिशन के लिए नीट यूजी परीक्षा पास करना जरूरी है. हर साल 10 लाख से ज्यादा 12वीं पास युवा नीट परीक्षा देते हैं. इनमें से कुछ की नीट सक्सेस स्टोरी अन्य स्टूडेंट्स के लिए मोटिवेशन का काम करती है. ओडिशा के कंधमाल जिले के आदिवासी छात्र कलाकार प्रधान की सक्सेस स्टोरी भी कुछ ऐसी ही है. अभावों में जिंदगी जीते हुए उन्होंने अपना लक्ष्य हासिल किया.
किसी भी परीक्षा को पास करने के लिए कई तरह के रिसोर्सेस की जरूरत होती है. कुछ छात्र कोचिंग का सहारा लेते हैं तो कुछ महंगी किताबों का. वहीं, कुछ ऑनलाइन रिसोर्सेस से पढ़ाई करते हैं. लेकिन लाखों-करोड़ों की भीड़ में कुछ स्टूडेंट्स ऐसे भी होते हैं, जिनके लिए ये सभी चीजें पहुंच से बहुत दूर होती हैं. 19 वर्षीय नीट स्टूडेंट कलाकार प्रधान के साथ भी ऐसा ही था. लेकिन उन्होंने खुद को कमजोर नहीं पड़ने दिया और नीट पास कर अपनी स्ट्रगल स्टोरी को सक्सेस स्टोरी बना दिया (NEET Struggle Story).
NEET Motivational Story: दिन में चराते थे बकरी
कलाकार प्रधान ओडिशा के कंधमाल जिले के एक सुदूर गांव के रहने वाले हैं. आदिवासी छात्र कलाकार प्रधान कंध जनजाति से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने कम उम्र में ही एमबीबीएस करने का फैसला ले लिया था. इसीलिए 12वीं पास करने के बाद किसी कॉलेज में एडमिशन लेने के बजाय वह नीट की तैयारी करने के लिए अपने गांव सबेरंगा लौट आए थे. इस रिमोट गांव में रहने के दौरान वह दिन में परिवार के साथ बकरी और गाय चराते थे. फिर रात में नीट की तैयारी करते थे.
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पिता ने लिया था रिस्क
कलाकार प्रधान अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता को देते हैं. वह कहते हैं कि अगर उनके पिता उन्हें गांव से दूर हॉस्टल भेजने का रिस्क नहीं लेते तो वह आज मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने योग्य भी नहीं बन पाते. कलाकार प्रधान के पिता ने 6 वर्ष की उम्र में उन्हें गांव से 250 किमी दूर भुवनेश्वर में स्थित एक रेसिडेंशियल स्कूल में पढ़ाई के लिए भेज दिया था. कलाकार प्रधान ने 12वीं के बाद 2 साल तक इंटरनेट और अपनी मजबूत इच्छाशक्ति की मदद से नीट की तैयारी की थी.
इस मेडिकल कॉलेज में लिया एडमिशन
कलाकार प्रधान ने एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन लेने के लिए बहुत मेहनत की. मेडिकल प्रवेश परीक्षा के हर प्रयास के साथ उनकी परफॉर्मेंस में सुधार होता गया था. उनकी उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि उनके आस-पास ऐसा कोई नहीं था, जिसे वह इस लक्ष्य के लिए अपना रोल मॉडल मान पाते. कलाकार प्रधान ने नीट के तीसरे अटेंप्ट में 450 मार्क्स हासिल किए थे. वह कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रहे हैं. यह पूर्वी भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों में से एक है.
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Tags: Motivational Story, NEET, Success Story, Tribal SpecialFIRST PUBLISHED : December 11, 2024, 06:31 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed