भारत में कौन कर सकता है मंत्री से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री तक की जांच
भारत में कौन कर सकता है मंत्री से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री तक की जांच
Current Affairs: अक्सर यह सवाल पूछा जाता है कि भारत में मंत्री से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री तक की जांच का अधिकार किसके पास होता है? इनके भ्रष्टाचार संबंधी मामलों की शिकायत या सुनवाई कौन करता है? अभी कर्नाटक के सीएम का एक भ्रष्टाचार के मामले में नाम आने पर किसे जांच सौंपी गई है? आइए जानते हैं ऐसे ही सवालों के जवाब...
Current Affairs, GK: जब भी भ्रष्टाचार की बात चलती है तो लोकपाल और लोकायुक्त की चर्चा होना आम है. भ्रष्टाचार संबंधी मामलों की निगरानी के लिए ही लोकपाल संबंधी निकाय का गठन किया गया था. अभी ताजा मामला कर्नाटक का है. खबर आई है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कर्नाटक के लोकायुक्त को सौंपी गई है. सिद्धारमैया पर MUDA घोटाले से संबंधित आरोप लगे हैं. जिसके बाद एक फिर लोकपाल व लोकायुक्त चर्चा में हैं. ऐसे में आइए समझते हैं कि आखिर लोकपाल और लोकायुक्त में क्या फर्क होता है और इसका गठन कब किया गया था?
लोकपाल और लोकायुक्त में क्या है अंतर?
लोकपाल राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच करता है, जबकि लोकायुक्त इसी काम को राज्य स्तर पर करता है. लोकपाल का कार्यक्षेत्र पूरे देश में होता है, जबकि लोकायुक्त का अधिकार क्षेत्र केवल राज्य की सीमाओं तक ही होता है. लोकपाल की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति के माध्यम से होती है, वहीं किसी भी राज्य के लोकायुक्त की नियुक्ति संबंधित राज्य के राज्यपाल की ओर से की जाती है.
लोकपाल है क्या?
देश में काफी समय से लोकपाल बिल बनाने की मांग की जा रही थी. इसको लेकर कई बार आंदोलन भी हुए, जिसके बाद लोकपाल अधिनियम, 2013 पास किया गया. एक जनवरी 2014 को लोकपाल अधिनियम को लागू किया गया. इस अधिनियम के मुताबिक लोकपाल की निगरानी में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री समेत सभी लोकसेवकों को रखा है. लोकपाल एक राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी निकाय है.
लोकपाल में कितने सदस्य होते हैं?
लोकपाल के पैनल में एक अध्यक्ष के अलावा 8 अन्य सदस्य होते हैं. लोकपाल का अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान या पूर्व न्यायधीश या हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस में से किसी को बनाया जा सकता है. इसके अलावा एंटी करप्शन पॉलिसी, सार्वजनिक प्रशासन, विजिलेंस, कानून और प्रबंधन और वित्त, बीमा और बैंकिंग क्षेत्र में 25 वर्षों का अनुभव रखने वाले साफ सुथरी छवि के व्यक्तियों को भी अध्यक्ष व सदस्य के रूप में चयनित किया जा सकता है. अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति पांच साल या 70 साल तक की उम्र तक के लिए (जो भी पहले हो) की जाती है. इसकी नियुक्ति में एक शर्त यह भी है कि लोकपाल के 50% सदस्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिला वर्ग से होंगे.
लोकपाल की चयन समिति में कौन कौन?
लोकपाल नियुक्त करने के लिए जो चयन समिति बनाई जाती है, उसमें प्रधानमंत्री के अलावा भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनका नामित व्यक्ति, लोकसभा अध्यक्ष, विपक्ष का नेता, भारत के राष्ट्रपति द्वारा नामांकित एक प्रसिद्ध न्यायविद को रखा जाता है.
लोकपाल किसकी कर सकता है जांच?
सामान्य तौर पर लोकपाल के जो काम बताए गए हैं उसके अंतर्गत लोकपाल का काम न्याय और परेशानी संबंधी नागरिकों की ‘शिकायतों’ की जांच करना है. इसके अलावा लोकपाल किसी भी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ पद के दुरुपयोग, भ्रष्टाचार या ईमानदारी में कमी के आरोपों की जांच भी कर सकता है. यही नहीं लोकपाल के जांच के दायरे में भूतपूर्व प्रधानमंत्री, वर्तमान और पूर्व कैबिनेट मंत्री, वर्तमान और पूर्व संसद सदस्य, केंद्र सरकार के सचिव, संयुक्त सचिव जैसे ए ग्रेड के अधिकारी, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और अन्य सरकारी निकायों के क्लास वन अफसर, गैर सरकारी संगठनों के निदेशक और अन्य अधिकारी जो केंद्र सरकार से धन प्राप्त करते हैं आदि भी आते हैं. लोकपाल इनके खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच भी कर सकता है.
कौन है भारत का लोकपाल?
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश पिनाकी चन्द्र घोष को देश का पहला लोकपाल नियुक्त किया गया था. वर्तमान में पूर्व जस्टिस अजय मणिकराव खानविलकर भारत के लोकपाल हैं. अजय मणिकराव खानविलकर का जन्म 30 जुलाई 1957 को हुआ था. उन्होंने मुंबई के मुलुंड कॉलेज ऑफ कॉमर्स से बी.कॉम और के.सी. लॉ कॉलेज, मुंबई से एल.एल.बी. की पढ़ाई की. जिसके बाद 10 फरवरी 1982 को वह एडवोकेट बन गए .29 मार्च 2000 को वह बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किए गए. 8 अप्रैल 2002 को परमानेंट जज के रूप में नामित हो गए. 4 अप्रैल 2013 को उन्हें हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया. इसके बाद, 24 नवंबर 2013 को उनकी नियुक्ति मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में की गई. 13 मई 2016 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत किया गया और 29 जुलाई 2022 तक वह इस पद पर रहे. इसके अलावा वह भारत सरकार के खेल मंत्रालय समेत कई समितियों के अध्यक्ष भी रहे. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पद से रिटायर होने के बाद वह 8 मार्च 2024 तक महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण के अध्यक्ष रहे. 10 मार्च 2024 को उन्हें भारत के लोकपाल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया.
Tags: Chief Justice of India, General Knowledge, Karnataka, Karnataka CM, UPSC, Upsc exam, UPSC ExamsFIRST PUBLISHED : September 26, 2024, 12:18 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed