क्या सच में EV खरीद कर पर्यावरण को सुधारने में मदद कर रहे हैं आप चौंकाने वाले आंकड़े खोल देंगे सभी की आंखें

इलेक्ट्रिक व्हीकल को लेकर न केवल मैन्यूफैक्चरर्स बल्कि ऑटो एंथुसिएस्ट व आम ग्राहकों में भी खासा उत्साह है. सभी इसे लेने के पीछे पर्यावरण की दुहाई दे रहे हैं, लेकिन क्या सही मायनों में ईवी का उपयोग पर्यावरण के अनुकूल होगा. क्या ईवी का उपयोग बढ़ने के साथ ही हमारा प्लेनेट बदलने लगेगा. इन सभी बातों पर एक विस्तृत रिपोर्ट.

क्या सच में EV खरीद कर पर्यावरण को सुधारने में मदद कर रहे हैं आप चौंकाने वाले आंकड़े खोल देंगे सभी की आंखें
हाइलाइट्सईवी की संख्या बढ़ने से तेल की खपत में ज्यादा कमी आने की उम्मीद कम है.वहीं नेचुरल रिसोर्सेज के लिए खनन और ज्यादा बढ़ेगा. ये जानना जरूरी है कि क्या ईवी एक अच्छा विकल्प है या बाजार में एक नया विकल्प. सोनल सचदेव नई दिल्ली. इन दिनों इलेक्ट्रिक व्हीकल्स तेजी से बाजार में अपना दबदबा बढ़ा रहे हैं. सभी को ये लगने लगा है कि ईवी की खरीद के साथ ही पर्यावरण को सुधारने की ओर कदम बढ़ने लगे हैं. लेकिन क्या ये सच है कि ईवी के बढ़ने से पर्यावरण को फायदा होगा. या फिर दूसरे शब्दों में कहें तो ऑटोमोबाइल मैन्यूफेक्चरर्स को . इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी की ओर से जारी एक अनुमान के अनुसार ईवी का बाजार 2050 तक 53 ‌ट्रिलियन डॉलर से 82 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. ये किसी भी हाल में एक छोटा बदलाव नहीं है. इससे ये भी साफ होता है कि क्यों कई इंडियन ऑटो मैन्यूफैक्चरर्स ईवी की ओर अपने पूरे संसाधन झौंकने पर तुले हैं. हाल ही में महिंद्रा एंड महिंद्रा ने वर्ल्ड ईवी डे से एक दिन पहले अपनी पहली इलेक्ट्रिक एसयूवी को शोकेस किया. इसके साथ ही टाटा मोटर्स ने सीएनबीसी-टीवी 18 को बताया कि वे लोगों के लिए कम लागत वाली एक इलेक्ट्रिक कार लॉन्च करना चाह रहे हैं. पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाड़ियों के स्टॉक को रिप्लेस करने के लिए ईवी की मैन्यूफैक्चरिंग और रिसर्च में तेजी की जरूरत है. वहीं दूसरी तरफ देखा जाए तो 100 प्रतिशत ईवी पर शिफ्ट होने के दौरान नैचुरल रिसोर्सेज की खपत पर भारी दबाव बनने की संभावना है. साथ ही रिसाइक्‍लिंग की एक बड़ी समस्या सभी के सामने खड़ी होगी. आज दुनिया में लगभग 1.446 बिलियन कारें होने का अनुमान है और यह 8 बिलियन लोगों की आबादी के लिए है, जो प्रति 1,000 लोगों पर 180 कारों के अनुपात का सुझाव देती है. भविष्य में इसके तेजी से बढ़ने का भी अनुमान है. क्योंकि एक अनुमान के अनुसार 2050 तक विश्व की जनसंख्या 9 अरब तक पहुंचने की संभावना है. बिजनेस अपॉच्यूनिटी या …. वहीं आंकड़ाें पर गौर किया जाए तो 2021 में 6.6 मिलियन वाहनों की ईवी बिक्री वैश्विक यात्री वाहनों की बिक्री के 9 प्रतिशत से अधिक थी और इससे सड़क पर ईवी की कुल संख्या 16.5 मिलियन के करीब पहुंच गई. जबकि यह 2018 में बेचे गए 1,20,000 नंबरों के मुकाबले बड़ी छलांग है. इस बात से ये साफ है कि ईवी एक बड़ा व्यवसायिक अवसर है. इसी के चलते बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठान रिन्युएबल एनर्जी के बाजार में बड़ा दाव खेल रहे हैं. इसका बड़ा उदाहरण है टाटा पावर की रिन्युएबल एनर्जी में की गई बड़ी डील. ऐसे में अब जब भी आप ईवी खरीदने के बारे में सोचें तो ये जरूर सोचें कि क्या सच में आप प्लेनेट की मदद कर रहे हैं या फिर किसी बड़े बिजनेस स्ट्रक्चर को खड़ा करने में मदद कर रहे हैं. बिजली की मांग और फिर एक नई परेशानी बढ़ते ईवी व्हीकल्स को देखते हुए एक और बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है. ये समस्या है बिजली की कमी की. ऐसा ही कुछ अमेरिका के कैलिफोर्निया में देखने को मिला. ये वो जगह है जहां पर कारों की सबसे ज्यादा बिक्री होती है. कैनिफोर्निया में अब निर्णय लिया गया है कि 2035 तक पेट्रोल डीजल से चलने वाले सभी वाहनों की बिक्री को खत्क कर दिया जाएगा. लेकिन इसके दूसरी ही तरफ प्रशासन ने लोगों से आग्रह किया था कि वे वीकेंड पर अपनी गाड़ियों को चार्ज न करें. इसका कारण था कि वीकेंड पर बिजली की खपत सबसे ज्यादा होती है और ऐसे में आपूर्ति करना मुश्किल हो जाता है. कुछ सालों में कैसे होगी आपूर्ति ईवी पर शिफ्ट होने के साथ ही एक बड़ी समस्या भी कुछ समय में सामने खड़ी होने वाली है. ईवी को चार्ज करने के लिए बिजली की जरूरत है और वो इलेक्ट्रिसिटी प्लांट्स से ही सप्लाई होगी. अब दूसरी तरफ देखा जाए तो आईईए के अनुसार 2050 तक विश्व उर्जा का 27 प्रतिशत उत्पादन ही ग्रीन एनर्जी सोर्सेज से होगा लेकिन तब तक ईवी को चार्ज करने के लिए 8855 ट्रिलियन वॉट बिजली की आवश्यकता हो जाएगी तो कुल उर्जा खपत का ही 20 प्रतिशत होगा. …और खनन बढ़ाएगा चिंता इसके साथ ही ईवी को बनाने के लिए भी नेचुरल रिसोर्सेज की जरूर होगी. IDTechEx के अनुसार ट्रेडिशनल पेट्रोल और डीजल इंजन व ट्रांसमिशन के निर्माण में एल्यूमिनियम और स्टील अलॉय का उपयोग होता है. वहीं अलकेली लीथियम आयन बैट्री में निकल, कोबाल्ट, एल्यूमीनियम, लिथियम, तांबा, इन्सुलेशन और थर्मल इंटरफेस जैसी चीजों की बड़ी मात्रा में जरूरत होती है. इससे नैचुरल रिसोर्सेज की खपत और खनन पर बड़ा दवाब बनाएगा. राजनीतिक चिंता भी कुछ रिपोर्टों से पता चलता है कि संसाधन की मांग की प्रकृति ऊर्जा की जरूरतों के लिए संतुलन को पश्चिम एशिया से चीन में स्थानांतरित कर सकती है (जो कि ईवीएस के लिए कई इनपुट प्रदान करता है), और यह एक और भू-राजनीतिक चिंता हो सकती है. नहीं कम होगी तेल की मांग बैटरी पैकिंग के लिए बहुत सारे कच्चे-आधारित पॉलिमर और सामग्रियों की भी आवश्यकता होगी जो जीवाश्म तेल की मांग को कम नहीं करेंगे, हालांकि प्राथमिक ईंधन के रूप में कम खपत होगी. 2018 की मैकिन्से रिपोर्ट ने इस मिथक को दूर करने की कोशिश की थी. रिपोर्ट के अनुसार सड़क पर अधिक इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहन होने से अगले 10 से 15 वर्षों में तेल की मांग में मामूली कमी आने की उम्मीद है. हालांकि दूसरी तरफ प्राकृतिक गैस के अधिक उपयोग के माध्यम से बड़े पैमाने पर सेवित बिजली की बढ़ती मांग की ओर इशारा करता है. मैकिन्से की रिपोर्ट बताती है कि अधिकांश उपभोक्ता ईवी खरीदने के अपने निर्णय को “पर्यावरण की मदद करने की इच्छा” पर आधारित करते हैं. लेकिन वो थीसिस अस्थिर है। मैकिन्से कहते हैं: “हमारे शोध से पता चलता है कि ईवी और पृथ्वी के संसाधनों के बारे में कई आम धारणाएं गलत हैं और कुछ मामलों में, सामान्य ज्ञान लगभग पूरी तरह से गलत है” तो, अगली बार जब आप केवल अपने प्लेनेट मदद के लिए ईवी खरीदने के बारे में सोचें, तो फिर से सोचें. कहीं ये बाजार का खेल तो नहीं, क्‍या ये बड़े अवसरों की ओर इशारा है और क्या ऐसा तो नहीं कि ईवी वरदान की जगह बड़ी आपदा बन कर न खड़ी हो. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Auto News, Electric VehiclesFIRST PUBLISHED : September 12, 2022, 11:50 IST