4 दिन काम और 3 दिन छुट्टी वाले कांसेप्ट पर भारत समेत दुनिया भर में चल रही है चर्चा ब्रिटेन ने शुरू किया पायलेट प्रोग्राम

भारत समेत दुनिया भर के कई देशों में हफ्ते में सिर्फ चार दिन काम और तीन दिन छुट्टी के मॉडल पर चर्चा चल रही है. भारत में इसे लेकर नए लेबर कोड भी (New Labour Code) बनाए गए हैं लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया जा सका है. वहीं ब्रिटेन में कुछ कंपनियों में इसे ट्रॉयल के तौर पर शुरू किया गया है.

4 दिन काम और 3 दिन छुट्टी वाले कांसेप्ट पर भारत समेत दुनिया भर में चल रही है चर्चा ब्रिटेन ने शुरू किया पायलेट प्रोग्राम
हाइलाइट्सभारत में इसकी शुरुआत को लेकर एक्सपर्ट्स बहुत पॉजिटिव नहीं हैं.हफ्ते में चार दिन ही काम से उत्पादकता 5 फीसदी कम हुई लेकिन कर्मियों की खुशी 50 फीसदी बढ़ गई.यूके के बाद अभी चार वर्किंग डेज के कांसेप्ट का ट्रॉयल कनाडा, अमेरिका और शेष यूरोप में शुरू होने वाला है. नई दिल्ली. कई शोध और अध्ययन में ये पाया गया है कि किसी व्यक्ति को अगर पर्याप्त आराम मिले तो वो ज्यादा प्रोडक्टिव हो जाता है, उसकी उत्पादकता बढ़ जाती है. भारत समेत दुनिया भर के कई देशों में हफ्ते में सिर्फ चार दिन काम और तीन दिन छुट्टी के मॉडल पर चर्चा चल रही है. भारत में इसे लेकर नए लेबर कोड भी (New Labour Code) बनाए गए हैं लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया जा सका है. वहीं, ब्रिटेन में कुछ कंपनियों में इसे ट्रॉयल के तौर पर शुरू किया गया है. ब्रिटेन में पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के बीच बैलेंस के उद्देश्य पर आधारित 4-डे वीक पायलट प्रोग्राम (4-Day Week UK Pilot Programme) जून से चलाया जा रहा है जिसमें कई सेक्टर्स की कंपनियों ने हिस्सा लिया है. छह महीने के लिए शुरू किए गए इस प्रोग्राम का आधा समय यानी तीन महीना पूरा हो चुका है तो ऐसे में यह जानना बहुत दिलचस्प रहेगा कि इसके नतीजे क्या होंगे. 50 फीसदी बढ़ गई कर्मियों की खुशी सीएनबीसी से बातचीत में कंटेंट और डिजिटल मार्केटिंग कंपनी लिटरल ह्यूमन्स के को-फाउंडर गैड्स्बी पीट ने कहा कि 4-वर्किंग डेज के कांसेप्ट में कुछ नेगेटिव्स हैं लेकिन पॉजिटिव भी बहुत अधिक हैं. पीट के मुताबिक, हफ्ते में चार दिन ही काम से उत्पादकता 5 फीसदी कम हुई लेकिन कर्मियों की खुशी 50 फीसदी बढ़ गई और इसके चलते बेहतर टैलेंट आया. ये भी पढ़ें – RuPay card offers: RuPay कार्ड से पेमेंट पर कैब राइड में मिलेगा 50 फीसदी डिस्काउंट, जानें क्या है ऑफर कर्मी ने बताया ‘काम और निजी जिंदगी के लिए बेहतर संतुलन’ है ये कांसेप्ट चार वर्किंग डेज का प्रयोग शुरू होने पर पहले कर्मियों को बहुत दबाव महसूस हुआ क्योंकि चार ही वर्किंग डेज के चलते काम का बोझ बढ़ा. हालांकि, अब उन्हें अपने काम और निजी जिंदगी के बीच संतुलन के लिए यह बेहतर आइडिया लग रहा है. एक कर्मी ने सीएनबीसी से बताया कि अब उसे यह कांसेप्ट पसंद आ गया है और वह पांच वर्किंग डेज में कभी नहीं लौटना चाहेगा. उसका मानना है कि यह उसके काम और निजी जिंदगी के लिए बेहतर संतुलन है. 78 फीसदी कर्मचारी इस कॉन्सेप्ट को लेकर हैं खुश ‘द 4-डे वीक ग्लोबल’ कारोबारी नेताओं और रणनीतिकारों का एक गैर-लाभकारी समूह है. इसकी वेबसाइट पर दावा किया गया है कि जिन कंपनियों का सर्वे किया गया, उनमें से 63 फीसदी ने माना कि यह कांसेप्ट अपनाने पर बेहतर टैलेंट वाले कर्मचारियों के आवेदन अधिक मिले. वहीं दूसरी तरफ 78 फीसदी कर्मी भी इस कांसेप्ट से अधिक खुश और कम तनाव में दिखे. कब तक आएगा भारत में यह कांसेप्ट ? यूके के बाद अभी चार वर्किंग डेज के कांसेप्ट का ट्रॉयल कनाडा, अमेरिका और शेष यूरोप में शुरू होने वाला है. सरकार के स्तर पर बात करें तो केंद्र सरकार नए लेबर कोड के तहत चार दिन काम तीन दिन छुट्टी का कांसेप्ट लेकर आई है जिसके तहत चार दिनों तक 12-12 घंटे काम करना होगा. हालांकि अभी इसे लेकर कोई डेडलाइन नहीं तय की गई है. भारत में इसकी शुरुआत को लेकर एक्सपर्ट्स नहीं है बहुत पॉजिटिव बता दें कि भारत में इसकी शुरुआत को लेकर एक्सपर्ट्स बहुत पॉजिटिव नहीं हैं. करियर कंसल्टिंग एंड कॉरपोरेट ट्रेनिंग फर्म Eclatmax के फाउंडर John Poulose के मुताबिक, भारतीय बाजार अभी यूरोप और अमेरिका जितना परिपक्व नहीं है. जॉन के मुताबिक, चार वर्किंग डेज के कांसेप्ट को सभी सेक्टर्स और सभी रोल्स के लिए नहीं लागू किया जा सकता है लेकिन जहां इसे लागू किया जा सकता है, वहां भी कंपनियों के माइंडसेट में बदलाव की जरूरत होगी. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | FIRST PUBLISHED : September 13, 2022, 18:23 IST