मान्यता पूरा करने के लिए गाय के नीचे लेट जाते हैं लोग जानिए क्या है गे गोहरी

Gohari Festival: दाहोद जिले में गाय गोहरी उत्सव नए साल के दिन धूमधाम से मनाया जाता है. इस परंपरा में गायों को सजाया जाता है और धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ उनका जुलूस निकाला जाता है, जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं.

मान्यता पूरा करने के लिए गाय के नीचे लेट जाते हैं लोग जानिए क्या है गे गोहरी
दाहोद: दाहोद जिले के गागरडी, गरबाड़ा, दाहोद और अभलोड़ गांव में नए साल के दिन गाय गोहरी परंपरागत तरीके से मनाई जाती है. इस गाय गोहरी के त्योहार में विभिन्न समाज के लोग नए साल के दिन सुबह जल्दी उठकर गायों को अलग-अलग रंगों से सजाते हैं. पिछले दिन, अपने पशुधन को जो गाय गोहरी में जाने वाले होते हैं, उन्हें गोल की राब (चारा) पिलाई जाती है. यह परंपरा वर्षों से चलती आ रही है. जैसे शादी से पहले कन्या को सजाया जाता है, वैसे ही पशुओं को भी रंग, मेहंदी, और गले में धूधरा के साथ कृष्ण भगवान को प्रिय मोरपंख लगाकर सजाया जाता है. गायों का झुंड दाहोद जिले के गरबाड़ा तालुका के गांगड़री और झालोद तालुका की लिम्मड़ी में मनाए जाने वाले इस त्योहार में सबसे पहले गांव के अंदर स्थित माता जी के मंदिर में आरती और स्तुति की जाती है, उसके बाद गायों का झुंड आता है. इस झुंड में गायें एक-दो नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में गांव के चौक में दौड़ाई जाती हैं. इसके बाद ढोल की थाप पर लोग अपने भाईयों को दंडवत प्रणाम करते हुए जमीन पर उल्टे लेटकर गाय गोहरी का सामना करते हैं. गायों का झुंड उनके शरीर के ऊपर से गुजरता है. यह परंपरा वर्षों से चलती आ रही है और इसमें किसी को आज तक कोई भी चोट या खरोंच नहीं आई है. पौराणिक मान्यता पौराणिक मान्यता के अनुसार, खेती के दौरान यदि गाय माता या अन्य पशुओं को गलती से नुकसान पहुँचाया जाता है, तो गाय माता और पशुओं की माफी इस तरह मांगकर बाधा पूर्ण की जाती है. इस उत्सव को मनाने के लिए हजारों की संख्या में लोग उत्साह से जुटते हैं. नुकसान से अछूता उत्सव वर्षों पुरानी परंपरा में आज तक किसी को भी किसी भी प्रकार का नुकसान होते हुए नहीं देखा गया है. इसलिए हजारों की संख्या में लोग गाय गोहरी देखने के लिए आते हैं. गाय गोहरी का सामना करने वाला व्यक्ति हिड गीत गाते हुए गाय के नीचे लेटता है. हिड गीत गायों के भार को कम करने के लिए और किसी व्यक्ति को चोट न लगे, इसके लिए गाया जाता है. लिम्मड़ी नगर में गुज्जर फलिया, बापू की हवेली, देव नारायण मंदिर, रणछोड़राय मंदिर, तेजाजी मंदिर और महादेव मंदिर पर गाय गोहरी का आयोजन किया जाता है. Tags: Gujarat, Local18, Special ProjectFIRST PUBLISHED : November 2, 2024, 20:29 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed