राजधानी का ये हाल है तो दुनिया को क्या संदेश SC ने MCD को क्यो लगाई फटकार

अनुपचारित ठोस कचरे का उत्पादन सीधे तौर पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने के नागरिकों के मौलिक अधिकार को प्रभावित करता है. उन्होंने अधिकारियों को फटकार भी लगाई. दरअसल मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि राष्ट्रीय राजधानी में रोजाना इकट्ठा होने वाले 30,000 टन ठोस कचरे का निपटान नहीं हो पा रहा है. बेंच ने दिल्ली नगर निगम और विभिन्न प्राधिकरणों की ओर से पेश वकीलों से पूछा कि "इसका समाधान क्या है?"

राजधानी का ये हाल है तो दुनिया को क्या संदेश SC ने MCD को क्यो लगाई फटकार
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमावार को ठोस कचरे के निपटारे में नाकाम रहने पर दिल्ली नगर निगम (MCD) को फटकार लगाई है. शीर्ष कोर्ट ने राजधानी की मौजूदा हालात पर चिंता जताते हुए अपना दुःख व्यक्त किया. कोर्ट ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि गर राजधानी का ये हाल है तो हम दुनिया को क्या संदेश दे रहे हैं? सोमवार को सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने मौजूदा हालात को दुःख जताते हुए कहा कि अनुपचारित ठोस कचरे का उत्पादन सीधे तौर पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने के नागरिकों के मौलिक अधिकार को प्रभावित करता है. उन्होंने अधिकारियों को फटकार भी लगाई. दरअसल मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि राष्ट्रीय राजधानी में रोजाना इकट्ठा होने वाले 30,000 टन ठोस कचरे का निपटान नहीं हो पा रहा है. बेंच ने दिल्ली नगर निगम और विभिन्न प्राधिकरणों की ओर से पेश वकीलों से पूछा कि “इसका समाधान क्या है?” एमसीडी की ओर शीर्ष कोर्ट मे मौजूद वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी ने अदालत को बताया कि जून 2027 तक 3800 टन ठोस कचरे की अत्यधिक मात्रा से निपटने की सुविधा आ जाएगी. इस संबंध में, शीर्ष कोर्ट ने चिंता जताई कि तीन वर्षों में यह कचरा 3000 टन से बढ़ जाएगा. कोर्ट ने कहा कि हर दिन 3800 टन ठोस अपशिष्ट उत्पन्न होता है जिसका उपचार नहीं किया जा सकता है क्योंकि मौजूदा संयंत्रों में इसे उपचारित करने की क्षमता नहीं है. राजधानी दिल्ली में यह दुखद स्थिति है. किसी भी स्थान पर जमा हुआ ठोस कचरा…. इससे राजधानी शहर के पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा है. बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि ठोस कचरे के निपटारे का मुद्दा राष्ट्रीय राजधानी के लिए बहुत अहम है. इसमें कोई राजनीति शामिल नहीं होनी चाहिए. इससे पहले 22 अप्रैल को इस मामले पर सुनवाई हुई थी. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि ये हैरानी की बात है कि दिल्ली में हर दिन पैदा होने वाले 11,000 टन ठोस कचरे में से 3,000 टन का निपटारा नहीं किया जाता है. FIRST PUBLISHED : May 13, 2024, 22:04 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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