लंपी त्वचा रोग से संक्रमित गाय को दें ये देसी उपचार मिलेगी राहत पशु विशेषज्ञों ने दी सलाह
लंपी त्वचा रोग से संक्रमित गाय को दें ये देसी उपचार मिलेगी राहत पशु विशेषज्ञों ने दी सलाह
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की ओर से लंपी स्किन रोग के लिए परंपरागत उपचार की विधि बताई गई है. गाय के संक्रमित होने पर अगर इन परंपरागत उपायों को भी कर लिया जाए तो काफी राहत मिल सकती है. हालांकि इस दौरान ध्यान रखें कि बीमारी पशु को स्वस्थ पशुओं से पूरी तरह दूर रखें.
नई दिल्ली. देश के कई राज्यों में गायों और भेंसों में लंपी स्किन रोग वायरस का संक्रमण बढ़ता ही जा रहा है. जिसकी वजह से गुजरात, राजस्थान सहित कई राज्यों में हजारों की संख्या में मवेशियों की मौत हो चुकी है. मरने वाले पशुओं में सबसे बड़ी संख्या गायों की है. लंपी स्किन रोग एक संक्रामक रोग है जो वायरस की वजह से तेजी से फैलता है और कमजोर इम्यूनिटी वाली गायों को खासतौर पर प्रभावित करता है. इस रोग का कोई ठोस इलाज न होने के चलते सिर्फ वैक्सीन के द्वारा ही इस रोग पर नियंत्रण और रोकथाम की जा सकती है. हालांकि पशु चिकित्सा विशेषज्ञों की मानें तो कुछ देसी और आयुर्वेदिक उपायों के माध्यम से भी लंपी रोग से संक्रमित हुई गायों और भैंसों ठीक किया जा सकता है.
लंपी त्वचा रोग को लेकर पशु चिकित्सा एवं पशु पालन प्रसार शिक्षा विभाग, पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के पशु चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. ठाकुर कहते हैं कि गायों और भेंसों में चल रहा यह गांठदार त्वचा रोग काफी तेजी से फैल रहा है. अभी तक देश के करीब 17 राज्यों में फैल चुकी यह बीमारी महामारी का रूप ले चुकी है. लिहाजा जरूरी है कि न केवल सरकारें बल्कि पशु पालक भी इसे लेकर जागरुक रहें. यह एक संक्रामक रोग है, इसका कोई इलाज भी नहीं है लेकिन अगर कोई गाय इससे संक्रमित होती है तो कुछ परंपरागत उपचार भी किए जा सकते हैं जो काफी उपयोगी हैं.
डॉ. देवेश कहते हैं कि देश के राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की ओर से लंपी स्किन रोग के लिए परंपरागत उपचार की विधि बताई गई है. गाय के संक्रमित होने पर अगर इन परंपरागत उपायों को भी कर लिया जाए तो काफी राहत मिल सकती है. हालांकि इस दौरान ध्यान रखें कि बीमारी पशु को स्वस्थ पशुओं से पूरी तरह दूर रखें. बीमार पशु के पास अन्य पशुओं को न जाने दें और न ही इसका जूठा पानी या चारा अन्य पशुओं को खाने दें.
ये है परंपरागत उपचार की विधि
पहली विधि
सामग्री- 10 पान के पत्ते, 10 ग्राम कालीमिर्च, 10 ग्राम नमक और गुड़ आवश्यकतानुसार
. इस पूरी सामग्री को पीसकर एक पेस्ट बना लें और इसमें आवश्यकतानुसार गुड़ मिला लें.
. इस मिश्रण को पशु को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पशु को खिलाएं.
. पहले दिन इसकी एक खुराक हर तीन घंटे पर पशु को दें.
. दूसरे दिन से दूसरे सप्ताह तक दिन में 3 खुराक ही खिलाएं.
. प्रत्येक खुराक ताजा तैयार करें.
दूसरी विधि
घाव पर लगाए जाने वाला मिश्रण ऐसे तैयार करें.
सामग्री- कुम्पी का पत्ता 1 मुठ्ठी, लहसुन 10 कली, नीम का पत्ता 1 मुठ्ठी, मेहंदी का पत्ता 1 मुठ्ठी, नारियल या तिल का तेज 500 मिलीलीटर, हल्दी पाउडर 20 ग्राम, तुलसी के पत्ते 1 मुठ्ठी
बनाने की विधि-पूरी सामग्री को पीसकर इसका पेस्ट बना लें. इसके बाद इसमें नारियल या तिल का तेल मिलाकर उबाल लें और ठंडा कर लें.
ऐसे करें उपयोग- अब गाय के घाव को अच्छी तरह साफ करने के बाद इस ठंडे मिश्रण को सीधे घाव पर लगाएं. वहीं अगर घाव में कीड़े दिखाई दें तो सबसे पहले नारियल के तेल में कपूर मिलाकर लगाएं. या फिर सीताफल की पत्तियों को पीसकर उसका पेस्ट बना लें और घाव पर लगा दें.
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Tags: Animals, CowFIRST PUBLISHED : August 07, 2022, 14:34 IST