700 वर्षों में इंच-इंच कर गायब हो गया तुगलक काल का बाराखंबा कब्रिस्‍तान

Heritage News: भारत को ऐतिहासिक धरोहरों का देश भी कहा जाता है. देश के अधिकांश हिस्‍सों में इतिहास का रहस्‍य छिपा हुआ है. इन ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने की जिम्‍मेदारी ASI पर है.

700 वर्षों में इंच-इंच कर गायब हो गया तुगलक काल का बाराखंबा कब्रिस्‍तान
नई दिल्‍ली. भारत की विरासत काफी समृद्ध है. विभिन्‍न धर्मों का समागम स्‍थल होने की वजह से देश के हर इलाके और क्षेत्र का अपना ऐतिहासिक महत्‍व है. पंजाब से लेकर बंगाल और कर्नाटक से लेकर महाराष्‍ट्र-गोवा तक अपना देश इतिहास और संस्‍कृति के लिहाज से काफी समृद्ध है. ऐतिहासिक समृद्ध विरासत को संभालने की जिम्‍मेदारी ASI (भारतीय पुरातत्‍व विभाग) के पास है. ASI ने पिछले दिनों 18 ऐतिहासिक विरासतों की सूची जारी की है. पुरातत्‍व विभाग का कहना है कि इन स्‍मारकों और धरोहरों का कुछ पता नहीं चल पा रहा है. इनमें दिल्‍ली स्थित बाराखंबा कब्रिस्‍तान भी एक है. बाराखंबा कब्रिस्‍तान तुगलक वंश के शासनकाल का है. इस तरह तुगलक कालीन बाराखंबा कब्रिस्‍तान 700 साल पुराना था. भारतीय पुरातत्‍व विभाग का कहना है कि तमाम प्रयासों के बावजूद भी बारखंबा कब्रिस्‍तान का पता नहीं चल सका. ASI ने ऐसे 18 स्‍मारकों की सूची जारी की है, जिसका कुछ पता नहीं चल पा रहा है. अब सवाल यह उठता है कि आखिर शताब्दियों पुराना कब्रिस्‍तान कहां गया? केंद्रीय संस्‍कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने एक सवाल के जवाब में संसद में बताया था कि ASI कुल 3,697 स्‍मारकों का संरक्षण कर रहा है. अब इनमें से 18 कम कर दीजिए तो यह संख्‍या 3,679 रह गई है. निजामुद्दीन की बावली और बाराखंभा मकबरे में ये क्‍या हो रहा? नजारा देख भड़क गया हाईकोर्ट, दिए CBI जांच के आदेश इसकी वजह अवैध कब्‍जा तो नहीं… बारखंबा कब्रिस्‍तान का पता न चलने के ASI के खुलासे से इतिहास में दिलचस्‍पी रखने वालों के साथ ही आमलोग भी अचंभित हैं. अब वे सोच रहे हैं कि यदि ऐतिहासिक तौर पर इसका महत्‍व इतना ज्‍यादा था तो उसकी ठीक तरह से देखभाल क्‍यों नहीं किया गया. उससे भी बढ़ा सवाल है कि आखिर ऐतिहासिक महत्‍व का यह कब्र‍िस्‍तान गया कहां? माना जा रहा है कि इस पर लोगों ने अवैध कब्‍जा कर लिया, जिससे इसका अस्तित्‍व ही समाप्‍त हो गया. साथ ही एक सवाल और उठ रहा है कि इसे सहेजने की जिम्‍मेदारी किसकी थी? दिल्‍ली हाईकोर्ट की टिप्‍पणी कुछ सप्‍ताह पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई को दिल्ली में निज़ामुद्दीन की बावली और बाराखंभा मकबरे के संरक्षित स्मारकों के पास एक सील इमारत में किए गए अवैध निर्माण की जांच करने का आदेश दिया था. एक्टिंग चीफ जस्टिस की बेंच ने इस तथ्य पर आश्चर्य व्यक्त किया कि ऐसी गतिविधि शहर के बीचों-बीच की गई और अधिकारी इसे रोकने में विफल रहे. कोर्ट ने कहा, शहर के बीचों-बीच पांच मंजिला इमारत जितनी बड़ी अवैध इमारत खड़ी हो गई है…दिल्ली में कई प्राधिकरणों के बावजूद इतने बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण चल रहा है, पहले कभी नहीं सुना गया था, न देखा गया था. कोर्ट ने कहा कि हालांकि दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी, लेकिन उचित होगा कि इसे सही जांच के लिए सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया जाए. . Tags: ASI, National NewsFIRST PUBLISHED : April 27, 2024, 11:05 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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