कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत तो दे दी है, लेकिन उन पर पहले जैसी बंदिशे लागू रखी हैं. वे सीएम के तौर पर न तो सचिवालय जा सकते हैं, न ही कोई फैसला कर सकते हैं. दिल्ली बीजेपी ‘जमानत वाला सीएम’ कह कर उन पर हमला कर रही है. ऐसे में लोगों का मानना है कि दिल्ली में अभी भी राष्ट्रपति शासन की तलवार लटकी हुई है. बीजेपी के कई नेता यहां राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रहे हैं.
जयललिता, हमेंत सोरेन की मिसाल
कानून के कुछ जानकार भी पहले की घटनाओं का हवाला दे कर कह रहे हैं कि केजरीवाल को इस्तीफा दे देना चाहिए. वे खासतौर से जे. जयललिता, लालकृष्ण आडवाणी और हेमंत सोरेन की मिसाल भी दे रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील आर के सिंह का कहना है -“मुख्यमंत्री के न होने से दिल्ली के बहुत सारे काम प्रभावित होते हैं. मुख्यमंत्री के तौर पर किसी और के चुने जाने की राह साफ कर देनी चाहिए. इससे दिल्ली के लोगों को उनके काम करने वाला मुख्यमंत्री मिल सकेगा.”
दिल्ली के लोगों को सीएम चाहिए
आर के सिंह का ये भी कहना है कि जब जयललिता या हेमंत सोरेन पर कानूनी कार्यवाही चली तो उन्होंने मुख्यमंत्री का ओहदा दूसरे को सौंप कर राज्य का काम काज सुचारु रूप से चलने दिया. फिर जमानत मिलने पर हेमंत सोरेन दुबारा मुख्यमंत्री बन गए. इसी तरह से लालकृष्ण आडवाणी पर आरोप लगे तो उन्होंने भी पद छोड़ दिया था.
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चूंकि सीबीआई उनकी जमानत का विरोध इसी तर्क पर कर रही थी कि वे मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यालय में जा कर दस्तावेजों में हेर फेर करा सकते हैं. सबूतों से छेड़ छाड़ कर सकते हैं. लिहाजा कोर्ट को उनकी जमानत में इस तरह का आदेश देना पड़ा. अब वे मुख्यमंत्री जरुर हैं लेकिन अपने विश्वासपात्र मनीष सिसोदिया को मंत्री बनाने की सिफारिश भी करें तो एलजी की ओर से कानूनी अड़चन पैदा की जा सकती है. इस तरह से वे अपने नजदीकी सहयोगी को मंत्री बना कर अपना और पार्टी का काम आसान कर पाएं इसकी संभावना बहुत कम है. कोर्ट के आदेश के मुताबिक वे किसी सरकारी दस्तावेज पर मुख्यमंत्री के तौर पर दस्तखत भी नहीं कर सकेंगे. सीबीआई की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील आर के सिंह के मुताबिक केजरीवाल विदेश यात्रा पर भी नहीं जा सकते.
हरियाणा में प्रचार कर सकते हैं
फिलहाल, केजरीवाल हरियाणा में चुनाव प्रचार कर सकते हैं. इस पर कोई बंदिश नहीं है. जिस तरह से उनकी पार्टी हरियाणा में सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है उसे देखते हुए उनकी पहली प्राथमिकता भी यही होगी. वहां वे पूरी ताकत से प्रचार में जुटेंगे लेकिन बीजेपी की ओर से दिल्ली में राष्ट्रपति शासन की तलवार लटकती रहेगी.
FIRST PUBLISHED : September 13, 2024, 16:42 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed