अभिषेक मनु सिंघवी की एक दलील और SC ने फेर दिया ED की बहस पर पानी
अभिषेक मनु सिंघवी की एक दलील और SC ने फेर दिया ED की बहस पर पानी
Abhishek Manu Singhvi Latest News:सिंघवी ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की दलीलों पर ऐतराज जताया और कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जमानत देने पर प्रतिबंध लगाने वाली दोहरी शर्तों पर विचार किया जाना चाहिए. इस मामले में सह-आरोपी मनीष सिसोदिया और के कविता को जमानत दिए जाने के बाद याचिकाकर्ता की ओर से यह दलील दी गई है कि याचिकाकर्ता की जमानत पर भी अनुकूल तरीके से विचार किया जाना चाहिए.
नई दिल्ली. आम आदमी पार्टी के पूर्व कम्युनिकेशन इंचार्ज विजय नायर को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उन्हें दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में करीब 23 महीने की कैद के बाद जमानत दे दी. कोर्ट ने कहा कि स्वतंत्रता ‘पवित्र’ है और सख्त कानूनों से जुड़े मामलों में भी इसका सम्मान किया जाना चाहिए. जस्टिस हृषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है के कानूनी सिद्धांत का भी हवाला दिया. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को 9 अगस्त को और 27 अगस्त को के कविता को जमानत दे चुकी है. हालांकि, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मुख्य भ्रष्टाचार मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार मामले में अभी तक जमानत नहीं मिली है.
न्यायमूर्ति रॉय ने आदेश में कहा कि अनुच्छेद 21 (संविधान के) के तहत स्वतंत्रता का अधिकार एक पवित्र अधिकार है जिसका सम्मान उन मामलों में भी किया जाना चाहिए जहां कड़े प्रावधान लागू होते हैं. याचिकाकर्ता विजय नायर के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि उनका क्लाइंट 23 महीने से हिरासत में है. उन्होंने कहा कि मुकदमा शुरू किए बिना सजा का कोई तरीका नहीं हो सकता. ‘जमानत नियम है और जेल अपवाद है’ का सार्वभौमिक प्रस्ताव पूरी तरह से विफल हो जाएगा यदि याचिकाकर्ता को इतने लंबे समय तक विचाराधीन कैदी के रूप में हिरासत में रखा जाता है, जबकि सजा दोषसिद्धि की स्थिति में अधिकतम 7 साल ही हो सकती है. हमारा मानना है कि याचिकाकर्ता जमानत का हकदार है. तदनुसार, इस आदेश में दी गई शर्तों पर जमानत दी जाती है.
सिसोदिया और के कविता केस का दिया हवाला
सिंघवी ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की दलीलों पर ऐतराज जताया और कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जमानत देने पर प्रतिबंध लगाने वाली दोहरी शर्तों पर विचार किया जाना चाहिए. इस मामले में सह-आरोपी मनीष सिसोदिया और के कविता को जमानत दिए जाने के बाद याचिकाकर्ता की ओर से यह दलील दी गई है कि याचिकाकर्ता की जमानत पर भी अनुकूल तरीके से विचार किया जाना चाहिए.
ईडी ने कविता केस का हवाला देते हुए दी ये दलील
पीएमएलए की धारा 45 में दोहरी शर्तें दी गई हैं, जिन्हें मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत किसी आरोपी को जमानत देने से पहले पूरा किया जाना आवश्यक है. दोहरी शर्तें यह हैं कि न्यायाधीश को प्रथम दृष्टया संतुष्ट होना चाहिए कि आरोपी ने अपराध नहीं किया है और जमानत पर रहते हुए उसके कोई अपराध करने की संभावना नहीं है. पीठ ने नायर को जमानत देते हुए ईडी की इस दलील को खारिज कर दिया कि कविता को पीएमएलए प्रावधान से लाभ मिला है, जो एक महिला को जमानत प्रदान करता है. कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया के मामले की सुनवाई के दौरान ईडी ने अदालत को आश्वासन दिया कि आबकारी नीति मामलों में मुकदमा छह से आठ महीने के भीतर समाप्त हो जाएगा. लेकिन जैसा कि देखा जा सकता है कि मुकदमा अभी शुरू होना बाकी है और ईडी की इस दलील पर भी गौर किया कि आरोपियों द्वारा दायर कई याचिकाओं के कारण मुकदमा शुरू नहीं हो सका और देरी के लिए पूरी तरह से जांच एजेंसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.
जज ने क्या-क्या कहा?
पीठ ने कहा कि रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री से संकेत मिलता है कि दिनेश अरोड़ा, जो पहले इस मामले में आरोपी था, बाद में सरकारी गवाह बन गया और अपने बाद के बयानों में वर्तमान आरोपी (नायर) को फंसाया. अपने पहले के बयानों में उसने वर्तमान आरोपी के बारे में कुछ नहीं कहा था. इस मामले में 40 से अधिक आरोपी हैं और ईडी करीब 350 गवाहों से पूछताछ करना चाहता है. कोर्ट ने कहा कि हमने सिसोदिया को जमानत देने के फैसले के कारणों का अध्ययन किया है. उक्त कार्यवाही में न्यायालय ने अनुच्छेद 21 के तहत अभियुक्त के त्वरित सुनवाई के अधिकार को दोहराया था और यह भी तथ्य कि अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों को पीएमएलए के तहत वैधानिक शक्ति के अधीन नहीं किया जा सकता है. के कविता को जमानत देते समय, न्यायालय ने धारा 45 पीएमएलए के प्रावधान के तहत महिलाओं से संबंधित विशेष प्रावधान को ध्यान में रखा.
क्या है नायर पर मामला?
आपको बता दें कि 12 अगस्त को पीठ ने नायर की जमानत याचिका पर ईडी से जवाब मांगा था. उन्हें पिछले साल नवंबर में सीबीआई मामले में जमानत दी गई थी. नायर, जिन्हें 13 नवंबर, 2022 को ईडी ने गिरफ्तार किया था, ने उनकी डिफौल्ट जमानत याचिका को खारिज करने वाले ट्रायल कोर्ट के 29 जुलाई के आदेश को चुनौती दी थी. पिछले साल 3 जुलाई को, दिल्ली हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नायर और अन्य सह-आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया था. मनी लॉन्ड्रिंग का मामला सीबीआई की एक प्राथमिकी से उपजा है, जो उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने अब रद्द हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं की जांच की सिफारिश की. सीबीआई ने आरोप लगाया है कि नायर ने ‘अवैध रूप से अर्जित धन’ की व्यवस्था करने के लिए हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली के विभिन्न होटलों में कुछ अन्य सह-आरोपियों, शराब निर्माताओं और वितरकों से मुलाकात की.
Tags: Abhishek Manu Singhvi, Delhi liquor scam, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : September 2, 2024, 20:33 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed