फ्रीबीज पर लगाम लगाने की चुनाव आयोग की पहल को बड़ा झटका कांग्रेस समेत इन दलों ने किया विरोध

फ्रीबिज पर लगाम लगाने के लिए चुनाव आयोग ने पार्टियों को चुनाव के वक्त एक फॉर्म भरने का प्रस्ताव दिया था, जिसे भरकर बताना होगा कि चुनावी वादे को पूरा करने के लिए कहां से धन आएगा. यह फॉर्म मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का हिस्सा होगा. निर्वाचन आयोग ने बीते दिनों सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों से कहा था कि वे चुनावी वादों को पूरा करने को लेकर वित्तीय स्थिति के संबंध में मतदाताओं को सही जानकारी उपलब्ध कराएं क्योंकि आधी-अधूरी जानकारी का दूरगामी प्रभाव हो रहा है.

फ्रीबीज पर लगाम लगाने की चुनाव आयोग की पहल को बड़ा झटका कांग्रेस समेत इन दलों ने किया विरोध
नई दिल्ली: देश में राजनीतिक दलों के मुफ्त उपहार के वादों पर लगाम लगाने की कोशिशें सफल होती नहीं दिख रही हैं. फ्रीबीज पर लगाम लगाने की चुनाव आयोग की पहल को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब चुनावी वादे से जुड़े फॉर्म का कई राजनीतिक दलों ने विरोध किया. कांग्रेस, आम आदमी पार्टी से लेकर सीपीएम और एआईएमआईएम ने चुनाव आयोग के इस प्रस्ताव का विरोध किया है. हालांकि, चुनाव आयोग को अब तक भाजपा और अन्य दलों के जवाब का इंतजार है. दरअसल, फ्रीबिज पर लगाम लगाने के लिए चुनाव आयोग ने पार्टियों को चुनाव के वक्त एक फॉर्म भरने का प्रस्ताव दिया था, जिसे भरकर बताना होगा कि चुनावी वादे को पूरा करने के लिए कहां से धन आएगा. यह फॉर्म मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का हिस्सा होगा. निर्वाचन आयोग ने बीते दिनों सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों से कहा था कि वे चुनावी वादों को पूरा करने को लेकर वित्तीय स्थिति के संबंध में मतदाताओं को सही जानकारी उपलब्ध कराएं क्योंकि आधी-अधूरी जानकारी का दूरगामी प्रभाव हो रहा है. चुनावी वादों को पूरा करने के लिए कहां से लाएंगे धन? राजनीतिक दलों से जानकारी लेने की तैयारी में चुनाव आयोग चुनावी वादे को पूरा करने का स्रोत और वित्तीय असर बताने के लिए चुनाव आयोग ने एक फॉर्म जारी किया था और चुनाव आयोग ने 4 अक्टूबर को सभी राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय दलों को पत्र लिखकर 19 अक्टूबर जवाब मांगा था. चुनाव आयोग के फॉर्म में चुनावी वादे से जुड़े छोटे-छोटे विवरण को देना था और चुनाव आयोग ने फार्म बनाने में RBI, CAG और बजट के पैरामीटर्स का इस्तेमाल किया था. फॉर्म में बताना था कि चुनावी वादे को पूरा करने के लिए पैसा कहां से आएगा और इस वादे को कैसे पूरा किया जाएगा. चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राजनीतिक दलों को चुनावी वादे करने से रोका नहीं जा सकता है, लेकिन मतदाता को भी यह जानने का हक है कि उनसे किए गए वादे पूरे कैसे किए जाएंगे. इसी मकसद से चुनाव आयोग ने राजनीतिक पार्टियों के साथ राज्य तथा केंद्र सरकार से विस्तृत खुलासे की मांग की है. इससे वोटरों को राजनीतिक दलों की तुलना करने और यह समझने में मदद मिलेगी क्या चुनावी वादे हकीकत में तब्दील किए जा सकते हैं. चुनाव आयोग ने इस संबंध में प्रस्ताव दिया है कि जब भी या कहीं भी चुनाव हों, तब उस राज्य के मुख्य सचिव या केंद्र के वित्त सचिव एक तय फॉर्मैट में टैक्स और खर्चों का विवरण प्रदान करें. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Congress, Election commissionFIRST PUBLISHED : October 26, 2022, 11:57 IST