SC बार एसोसिएशन ने लगाई गुहार संजीव खन्‍ना से साफ कह दिया No फायदे भी गिनवाए

CJI Speech on Constitution Day: संजीव खन्‍ना ने डीवाई चंद्रचूड़ के स्‍थान पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में इसी महीने शप‍थ ली है. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्‍यों की उस डिमांड को संविधान दिवस के मौके पर खारिज कर दिया, जिसमें एडजर्नमेंट मांगने की पुराने सिस्‍टम को वापस लौटने का अनुरोध किया गया था.

SC बार एसोसिएशन ने लगाई गुहार संजीव खन्‍ना से साफ कह दिया No फायदे भी गिनवाए
CJI Speech on Constitution Day: नए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्‍ना ने मंगलवार को संविधान दिवस पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान अपना साफ कर दिया कि पत्रों के माध्यम से एडजर्नमेंट मांगने की पुराने सिस्‍टम को वापस बहाल नहीं किया जाएगा. बार एसोसिएशन के सदस्‍यों की तरफ से इसे लेकर रिक्‍वेस्‍ट की गई थी. हालांकि सीजेआई खन्ना ने कहा कि एक समय में लगभग एक हजार एडजर्नमेंट लेटर रोजाना प्रसारित किए जाते थे. हालांकि नई व्‍यवस्‍था लागू होने के बाद यह संख्या घटकर लगभग 150 रह ​​गई है. इसलिए सीजेआई ने कहा कि पिछली प्रणाली पर वापस जाने का प्रतिकूल असर पड़ेगा. पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने अस्थायी रूप से पत्र प्रसारित करके केस की सुनवाई के दौरान स्थगन यानी एडजर्नमेंट मांगने पर रोक लगा दी थी. बाद में इस सिस्‍टम में कुछ बदलाव किए गए और इसी साल फरवरी में कोर्ट ने पत्र प्रसारित करने की एक नई प्रक्रिया अधिसूचित की. नई व्‍यवस्‍था के तहत कुछ श्रेणियों के मामलों में स्थगन के लिए पत्रों पर विचार नहीं किया जाएगा. कहा गया कि नए और नियमित सुनवाई के मामलों पर भी विचार नहीं किया जाएगा. नए प्रोटोकॉल के तहत एडर्जमेंट लेटर केवल एक बार प्रसारित किए जा सकते हैं. जस्टिस संजीव खन्ना के सीजेआई बनने के बाद बार के सदस्यों ने उनसे स्थगन पत्रों के प्रसार की अनुमति देने का अनुरोध किया. सीजेआई ने स्पष्ट किया कि अनुरोध को मंजूरी नहीं दी गई. आज सीजेआई ने कहा, “मेरे पास एक अनुरोध है और मुझे उम्मीद है कि इसे सही भावना से लिया जाएगा. मुझे बार-बार एडजर्नमेंट लेटर को फिर से प्रसारित करने के अनुरोध मिल रहे हैं. मैंने डेटा देखा है. डेटा से पता चलता है कि तीन महीनों में लगभग 9000-10,000 आवेदन या स्थगन के लिए पत्र प्रसारित किए गए थे, जो प्रतिदिन 1000 स्थगन पत्रों से अधिक है. इसलिए हमारे लिए पहले की प्रणाली पर वापस जाना संभव नहीं होगा.” सीजेआई खनना ने कहा, “ हमने जो भी प्रणाली अपनाई है, अगर आप सुधार के लिए सुझाव देते हैं, तो हम उस पर विचार कर सकते हैं. लेकिन पहले की प्रणाली पर वापस जाना प्रतिकूल हो सकता है. हमें पिछले 11 महीनों में नई प्रणाली में लगभग 1400 आवेदन प्राप्त हुए हैं. आप अंतर देख सकते हैं. प्रतिदिन 100 आवेदन से लेकर महीने में 150 आवेदन तक. यह एक बहुत बड़ा बदलाव है. इसलिए हमें सही भावना के साथ आगे बढ़ना चाहिए. आज हमारे लिए आत्मनिरीक्षण करने, अपनी मजबूत बातों और कमजोरियों को देखने का दिन है.” Tags: Hindi news, Supreme court of indiaFIRST PUBLISHED : November 26, 2024, 12:32 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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