चीन भी जिसके आगे झुक गया कौन था भारत को वो शेर 1962 की जंग में जिसने
चीन भी जिसके आगे झुक गया कौन था भारत को वो शेर 1962 की जंग में जिसने
India China War: दुश्मन की गिरफ्त में आने के बाद भी भारतीय सेना का वो सूरमा डरा और घबराया नहीं. चीनी सैनिक उन्हें बंदी बनाकर ले गए और फिर वे कभी वापस नहीं लौटे. उनकी बहादुरी के लिए उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.
नई दिल्ली. भारतीय सेना का इतिहास वीरों से भरा पड़ा है. ऐसे कई मौके आए, जब ये वीर जवान अकेले ही दुश्मनों पर भारी पड़े और अपनी बहादुरी का लोहा मनवाया. ऐसा ही एक किस्सा जुड़ा है भारत और चीन के बीच 1962 में हुई जंग से. वैसे तो इस युद्ध को एक हार के तौर पर याद किया जाता है, लेकिन उन वीरों का क्या जिन्होंने चीनियों को उस युद्ध में भी खदेड़ दिया था. दुश्मनों की संख्या हमारे मुकाबले कई गुना ज्यादा थी. मगर, भारत मां के वो शेर दुश्मन की फौज का सामना तब तक करते रहे, जब तक उनके शरीर में जान थी. उनमें से ही एक थे परमवीर चक्र से सम्मानित सूबेदार जोगिंदर सिंह.
किसान के घर जन्मे जोगिंदर बचपन से ही बहादुर थे और उनमें हमेशा देश प्रेम की भावना रही. सिख रेजिमेंट के इस बहादुर सिपाही के कौशल और साहस के चीनी सैनिक भी कायल थे. इससे पहले भी सूबेदार द्वितीय विश्व युद्ध और 1947-48 के पाकिस्तान युद्ध में भी अपना रण कौशल दिखा चुके थे. 1962 युद्ध क्यों हुआ, कौन जीता और कौन हारा यह सब हम जानते हैं. इसलिए ज्यादा भूमिका न बांधते हुए सीधे बैटल फील्ड पर चलते हैं.
उस समय सूबेदार जोगिंदर सिंह के पास न तो पर्याप्त मात्रा में सैनिक थे और ना ही असलहे. हालांकि, उन्होंने पीछे हटने के बजाय चीनी सैनिकों के साथ डटकर सामना करने का फैसला लिया. जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल के नारे के साथ वो और उनकी पलटन चीन की सेना का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए कूच करती है. यह लड़ाई तवांग पर चीनी सेना के घुसपैठ को लेकर थी. जोगिंदर सिंह की अगुवाई में भारतीय सेना ने चीनी सेना का जमकर मुकाबला किया था.
सूबेदार और उनके साथी इस मुठभेड़ में बिना हिम्मत हारे पूरे जोश के साथ जूझते रहे और आगे बढ़ती चीन की फौजों को चुनौती देते रहे. लहूलुहान भारतीय सैनिक ने चीनी सेना को पछाड़ ही दिया था, लेकिन इस बीच चीन की बैकअप फोर्स भी आ पहुंची और उन्होंने आखिरकार भारतीय सैनिकों पर काबू पाया और उन्हें बंदी बना लिया. यह सच था कि वह मोर्चा भारत जीत नहीं पाया, लेकिन उस मोर्चे पर सूबेदार जोगिंदर सिंह ने जो बहादुरी आखिरी पल तक दिखाई, उसके लिए उनको सलाम है.
सूबेदार जोगिंदर सिंह को उनके अदम्य साहस, समर्पण और प्रेरक नेतृत्व के लिए मरणोपरांत सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा गया. चीन को जब पता चला कि उन्हें भारत का सर्वोच्च सम्मान मिला है, तो उन्होंने भी इस बहादुर का सम्मान किया. सम्मान करते हुए उन्होंने सूबेदार जोगिंदर सिंह की अस्थियां भारत को लौटाईं. इस तरह उनकी शहादत अमर हो गई. भारत के इतिहास में अपना नाम सदा के लिए अमर करने वाले इस वीर सपूत की बीते 26 सितंबर को जयंती थी.
Tags: Arunachal pradesh, India china, Indian armyFIRST PUBLISHED : September 28, 2024, 20:39 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed