बदल डालिए 498A अतुल सुभाष की मौत पर BCI चेयरमैन ने बताई कानून की बड़ी खामी
बदल डालिए 498A अतुल सुभाष की मौत पर BCI चेयरमैन ने बताई कानून की बड़ी खामी
Atul Subhash Case: अतुल सुभाष की खुदकुशी के बाद कानून में बदलाव की मांग की जा रही है. अब बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन मिश्रा ने बताया, किस तरह का बदलाव होना चाहिए.
बेंगलुरु के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की खुदकुशी ने सबको हिलाकर रख दिया है. अतुल ने न सिर्फ अपनी पत्नी की प्रताड़ना को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है, बल्कि सिस्टम, कानून सबपर सवालिया निशान लगाया है. लोग कानून बदलने की मांग कर रहे हैं. अब बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन और राज्यसभा सांसद मनन कुमार मिश्रा ने भी उनकी हां में हां मिलाते हुए कहा, अतुल सुभाष के साथ जो हुआ, वह दुर्भाग्यपूर्ण है. इससे एक बात तो साफ हो गई है कि महिला उत्पीड़न से जुड़ी धारा 498A में तत्काल बदलाव की जरूरत है.
मनन मिश्रा ने CNN-NEWS18 से बातचीत में कहा, धारा 498A और अन्य वैवाहिक कानूनों का जमकर दुरुपयोग किया जाता है. ऐसे कई मामलों में ससुरालवालों और रिश्तेदारों तक पर एफआईआर दर्ज कराई जाती है. उन्हें गलत तरीके से फंसाया जाता है. अदालतों में 50 प्रतिशत से अधिक मामले धारा 498A, 304B या अन्य वैवाहिक मामलों से संबंधित हैं. इसलिए इन कानूनों पर संसद को फिर विचार करना चाहिए. सबसे पहले तो धारा 498A को जमानती बनाया जाना चाहिए. आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच तो की ही जानी चाहिए.
क्या है पूरा मामला
बेंगलुरु में काम करने वाले 34 साल के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष ने अपनी बीवी और उनके परिवार पर प्रताड़ित करने और पैसे ऐंठने के लिए उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज कराने की बात कही थी. इससे वे इतने प्रताड़ित हो गए कि खुदकुशी कर ली. आत्महत्या से पहले उन्होंने एक लंबा नोट लिखा और वीडियो भी बनाया, जिसमें वे अपनी पत्नी और लोअर कोर्ट की एक जज पर उन्हें परेशान करने के आरोप लगा रहे हैं. पुलिस ने उनकी पत्नी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है.
कानून थोड़ा उदार बनाए जाएं
इसे दुखद बताते हुए मनन मिश्रा ने कहा, संसद को इस प्रावधान पर फिर से विचार करना चाहिए. शादी से जुड़े कानूनों में जमानत के प्रावधान होने चाहिए. इन कानूनों को थोड़ा उदार बनाना चाहिए. कुछ बदलाव तत्काल जरूरी हैं. सुभाष की खुदकुशी एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. इस पर कार्रवाई होनी चाहिए और मुझे लगता है कि हाईकोर्ट संबंधित जज पर भी कार्रवाई करेगा. अदालतों को ऐसे मामले सुनते समय थोड़ा विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए. जहां भी मामला संदिग्ध लगे, तुरंत रद्द कर देना चाहिए. धारा 498A के मामलों में तो जमानत देनी चाहिए.
दुरुपयोग कर रहीं महिलाएं
मनन मिश्रा ने कहा कि प्राथमिक जांच से पहले एफआईआर दर्ज होनी चाहिए और लोगों को केवल प्रथम दृष्टया मामला बनने के बाद ही आरोपी बनाया जाना चाहिए. मिश्रा ने कहा, घरों में होने वाले छोटे-मोटे विवाद भी धारा 498ए के तहत मामला बन रहे हैं, कुछ महिलाएं इसका दुरुपयोग कर रही हैं. ऐसे कई मामले मध्यस्थता से सुलझाए जा सकते हैं और इसके लिए अदालत जाने की जरूरत नहीं है. साक्ष्य अधिनियम में भी बदलाव की जरूरत है.
Tags: Bengaluru News, Suicide, Suicide attemptFIRST PUBLISHED : December 11, 2024, 19:17 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed