किले में चल रही थी खुदाई अचानक आई खटखट की आवाज खुला 400 साल पुराना रहस्‍य

Maharashtra News: ASI की खुदाई में शताब्दियों पुरानी दुनिया का राज खुला है. विशेषज्ञों ने ऐसी-ऐसी चीजें हासिल की हैं, जिसका छत्रपति शिवाजी महाराज के युग से सीधा संबंध बताया जा रहा है.

किले में चल रही थी खुदाई अचानक आई खटखट की आवाज खुला 400 साल पुराना रहस्‍य
पुणे. भारत को सांस्‍कृतिक रूप से एक समृद्ध देश के तौर पर जाना जाता है. यहां के कण-कण में इतिहास रचा बसा है. अपनी जड़ों की तलाश में अक्‍सर ही देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में काम चलता रहता है. भारतीय पुरातत्‍व विभाग (ASI) ने हाल में ही शताब्दियों पुराने एक किले में खुदाई की थी, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्‍य सामने आए हैं. आज से तकरीबन 400 साल पहले की दुनिया कैसी थी, इसकी झलक मिलने का दावा किया गया है. खासकर इसका संबंध छत्रपति शिवाजी के काल से भी जोड़ा जा रहा है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ने हाल ही में रायगढ़ किले में वैज्ञानिक तरीके से एक वाड़ा की खुदाई की और लगभग 400 साल पहले छत्रपति शिवाजी महाराज के युग की दुर्लभ चीजों के मिलने का दावा किया है. यह पहली बार था कि मराठा साम्राज्य के इतिहास पर प्रकाश डालने वाले किले में ऐसा वाड़ा और विभिन्न प्रकार की अन्‍य कलाकृतियां मिलीं. विशेषज्ञों को हथियार (एक क्षतिग्रस्त तलवार का हिस्सा और एक भाले की नोक समेत), तांबे के सिक्के, घोड़े के जूते, चीनी मिट्टी के बरतन और लैंप मिले हैं. ASI (मुंबई सर्कल) के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि रायगढ़ किले में किसी वाड़े की यह पहली खुदाई है. यह उस समय की उन्नत निर्माण तकनीकों के बारे में जानकारी देता है. नहाने और कपड़े धोने के क्षेत्रों के निशान, एक अच्छी तरह से डिज़ाइन की गई जल निकासी प्रणाली और एक गुप्त निकास का भी पता चला है. माना जा रहा है कि युद्ध के समय भागने के लिए इसका इस्‍तेमाल किया जाता रहा होगा. JCB से चल रही थी खुदाई, आने लगी घंटे जैसी आवाज, ड्राइवर की थम गई सांस, देखते ही खुला 500 साल पुराना राज स्‍टडी जरूरी ASI ने बताया कि खुदाई किए गए वाड़े के केंद्र में एक पत्थर का मंच होने के भी सबूत मिले हैं. यह संभवतः एक बड़े स्‍ट्रक्‍चर और लकड़ी के खंभों का आधार था. यह खोज वाड़ा के बनावट की अधिक व्यापक समझ देती है. हथियारों की प्रचूरता मराठा-युग के युद्धों में वाड़ा निवासियों की भागीदारी का संकेत देती है. अधिकारियों ने कलाकृतियों के बारे में बताया कि क्षेत्र से चीनी मिट्टी के बरतन की खोज मराठा साम्राज्य और विदेशी व्यापारियों के बीच संभावित संबंधों का संकेत देती है. उन्‍होंने बताया कि इसकी पुष्टि के लिए आगे की स्‍टडी कराना जरूरी है. निर्माण की बारीक योजना ASI मुंबई सर्कल के अफसर मलय कुमार सेन ने बताया कि वैज्ञानिक रूप से वाड़ा की खुदाई करने और स्‍ट्रक्‍चर का अध्ययन करने के बाद हमने पाया कि निर्माण के लिए सोच-समझ कर योजना बनाई गई थी. बारीक डिजाइन किए जाने से पहाड़ी किले को समय और मौसम की चुनौतियों के खिलाफ रहने के अनुकूल तैयार किया गया था. किले के स्थायित्व का श्रेय इसके संपूर्ण निर्माण को दिया जा सकता है, जिसका पत्थर का आधार मिट्टी और चूने से बना हुआ है. व्‍यापक रिपोर्ट जरूरी डेक्कन कॉलेज के पुरातत्वविद् सचिन जोशी ने बताया कि अतीत में रायगढ़ किले में उत्खनन कार्यों के लिए कोई औपचारिक रिपोर्ट जारी नहीं की गई है. व्यापक रिपोर्ट और विश्लेषण सामने आने के बाद इसके ऐतिहासिक महत्व के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है. ASI के संरक्षण सहायक राजेश दिवेकर ने कहा, ‘रायगढ़ किले की विभिन्न संरचनाओं में पारंपरिक सामग्री का उपयोग करके संरक्षण कार्य एक साथ चल रहा है.’ रायगढ़ किला उस स्थान के रूप में ऐतिहासिक महत्व रखता है, जहां जून 1674 में शिवाजी महाराज को छत्रपति का ताज पहनाया गया था. इसे अक्सर पूर्व का जिब्राल्टर कहा जाता है और साल 1680 में शिवाजी की मृत्यु तक यह मराठा साम्राज्य की राजधानी के रूप में कार्य करता था. Tags: Archaeological Survey of India, Maharashtra News, National News, Pune newsFIRST PUBLISHED : September 14, 2024, 19:55 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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