ईंट भट्ठे पर मजदूरी करने वाले की बदली किस्मत! बिना जमीन के कमा रहे मुनाफा

 वह साल में दो फसलों की खेती करते हैं. जिनमें अगस्त से फरवरी तक सिंघाड़ा और मार्च से जुलाई तक मौसमी सब्जियां- तोरई ,लौकी, कद्दू की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

ईंट भट्ठे पर मजदूरी करने वाले की बदली किस्मत! बिना जमीन के कमा रहे मुनाफा
रायबरेली. “जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का…फिर देखना फिज़ूल है कद आसमान का…डरना नहीं यहां तू किसी भी चुनौती से…बस तू ही सिकन्दर है सारे ज़हान का… देवेंद्र शर्मा देव द्वारा लिखी ये पंक्तियां रायबरेली के रहने वाले दिवाकर कश्यप पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं. आपको बताते चलें कि दिवाकर कश्यप बेहद गरीब परिवार से थे. पिता दिहाड़ी मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करते थे. जिससे उनका बचपन बेहद कठिनाइयों में बिता इसी वजह से वह पढ़ाई भी नहीं कर सके. परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए वह 22 वर्ष की उम्र में ही रोजगार की तलाश में हरियाणा चले गए. जहां पर उन्हें ईंट भट्टे पर दिहाड़ी मजदूरी का काम मिला. कुछ वर्षों तक ईंट भट्टे पर उन्होंने मजदूरी का काम किया. लेकिन उसमें उनका मन नहीं लगा. वहां से काम छोड़कर वह अपने घर वापस आ गए .और घर पर ही रहकर कुछ करने के बारे सोचा. मामा ने दी सलाह दिवाकर को उनके मामा राम प्रसाद ने उन्हें सिंघाड़ा की खेती करने की सलाह दी. जो पहले से ही सिंघाड़ा की खेती करते थे . सिंघाड़ा की खेती के लिए जमीन की आवश्यकता थी. लेकिन उनके पास जमीन बिल्कुल भी नहीं थी. फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी. और लीज पर जमीन लेकर सिंघाड़ा की खेती शुरू कर दिया. दिवाकर कश्यप के मुताबिक वह बीते 4 वर्षों से साढ़े तीन बीघा जमीन पर सिंघाड़ा की खेती के साथ मौसमी सब्जियों की खेती करते हैं. मिश्रित खेती से कमा रहे अच्छा मुनाफा दिवाकर बताते हैं कि वह साल में दो फसलों की खेती करते हैं. जिनमें अगस्त से फरवरी तक सिंघाड़ा और मार्च से जुलाई तक वह मौसमी सब्जियां तोरई ,लौकी, कद्दू की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. साथ ही वह बताते हैं कि दोनों फसलों को मिलाकर एक वर्ष में में लगभग 40 से 50 हजार रुपए का खर्च आता है. तो वहीं सालाना अच्छा मुनाफा भी मिल जाता है खेत में तैयार सब्जियों को वह रायबरेली ,बछरावां की बाजारों में बिक्री करते हैं . मेहनत ही सफलता का मूल मंत्र है Local 18 से बात करते हुए प्रगतिशील युवा किसान दिवाकर कश्यप बताते हैं कि परिस्थितियों इंसान को मजबूत बनाती हैं. हमें किसी काम को छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए. अगर हम मेहनत करते हैं तो बड़ी से बड़ी सफलता आसानी से मिल जाएगी.उन्होंने कभी यह नहीं सोचा था कि वह ईंट भट्ठे से निकालकर इस मुकाम तक पहुंचेंगे.लेकिन उनकी मेहनत ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है. Tags: Agriculture, Local18FIRST PUBLISHED : June 5, 2024, 10:44 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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