कहते हैं- एक बार इस मंदिर में जाओ और मां की कृपा से संतान सुख का वरदान पाओ!
कहते हैं- एक बार इस मंदिर में जाओ और मां की कृपा से संतान सुख का वरदान पाओ!
Botad Mogal Mataji Mandir: सौराष्ट्र के तारघरा गांव में स्थित मोगल माताजी मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र है. मोहब्बतसिंह चौहान ने मंदिर निर्माण के लिए ढाई बीघा जमीन दान की. यहां तीन माताजियों - मोगल मां, मेलडी मां, और अंबाजी मां की मूर्तियां हैं. भक्तों का विश्वास है कि यहां मन्नतें पूरी होती हैं.
बोटाद: संतों की भूमि सौराष्ट्र में कई तीर्थस्थल हैं. आज हम बात करेंगे बोटाद के मोगल माताजी मंदिर की. बोटाद से पालीयाड के रास्ते में तारघरा नाम का एक गांव है. यहां स्थित मोगल धाम आज भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बन गया है. तारघरा गांव की दक्षिणाबा को माताजी में अटूट श्रद्धा थी. वे वर्षों से मोगल माताजी की पूजा और सेवा करती आ रही थीं. समय के साथ बड़ी संख्या में भक्त भी यहां दर्शन के लिए आने लगे. तब दक्षिणाबा ने एक भव्य मंदिर बनाने का संकल्प लिया और भक्तों से चर्चा की. तारघरा गांव के मोहब्बतसिंह चौहान, जिन्हें माताजी में अटूट विश्वास और भक्ति थी, ने पालीयाड रोड पर स्थित अपनी ढाई बीघा जमीन दान देकर मंदिर निर्माण में सहयोग किया. इसके बाद, गांववासियों के सहयोग से एक भव्य मंदिर बनाया गया, जिसे आज मोगल धाम के नाम से जाना जाता है.
तीन माताजियों की मूर्तियां स्थापित
मोगल माताजी के इस मंदिर में तीन माताजियों – मोगल मां, मेलडी मां और अंबाजी मां की मूर्तियां स्थापित की गई हैं. यहां भक्त “तावणी” की मन्नत मांगते हैं. जब उनकी मनोकामना पूरी होती है, तो वे माताजी को तावणी का प्रसाद चढ़ाते हैं. कई भक्त पूर्णिमा भरवा व्रत रखते हैं. ऐसा माना जाता है कि यहां आने वाले भक्तों को माताजी की कृपा से संतान सुख प्राप्त होता है.
दूर-दूर से आते हैं भक्त
लोकल 18 से बात करते हुए दक्षिणाबा ने कहा, “मुझे मां भगवती से इतनी प्रेरणा मिली है कि मैं उनके अलावा दुनिया में और कुछ नहीं देखती. भगवान सत्य और शाश्वत हैं. मैं इसी पर विश्वास करती हूं. मैंने यहां अपने आराध्य शिव की भी स्थापना की है, लेकिन जो भी कुछ है, वह मां के सार से ही है. अगर आप और कुछ नहीं कर सकते, तो मां का नाम लेते रहिए, आपकी मनोकामना अवश्य पूरी होगी.”
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मोगल माताजी में अटूट विश्वास के कारण सूरत, अहमदाबाद, राजकोट, भावनगर, वडोदरा जैसे जिलों और अन्य राज्यों से भी भक्त अपनी मन्नत पूरी करने के लिए यहां आते हैं. हर रविवार और मंगलवार को बोटाद और आसपास के गांवों के लोग सुबह-सुबह पैदल चलकर माताजी के दर्शन करने पहुंचते हैं.
Tags: Local18, Special ProjectFIRST PUBLISHED : December 29, 2024, 09:49 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed