जब ये गरजती है दुश्मन पर मौत बरसती है पाकिस्तान ने चखी है बफोर्स की मार

INDIAN ARMY BOFORS : 48 साल पुराने बोफ़ोर्स में अब भी दम बरकरार है. बफोर की सेना से रिटायरमेंट फिलहाल नही. देसी बफोर्स धनुष भी भारतीय सेना में शामिल है . भारतीय सेना में सभी तोपें 155mm की होंगी.

जब ये गरजती है दुश्मन पर मौत बरसती है पाकिस्तान ने चखी है बफोर्स की मार
Indian army : बोफोर्स यानी की बिग गन. नाम सुनते ही दो चीजें सामने आती हैं. एक तो बोफ़ोर्स घोटाला और दूसरी कारगिल की जंग. भले ही बोफ़ोर्स विवादों में रही हो लेकिन इसकी मारक क्षमता पर किसी ने सवाल नहीं उठाया और इसकी मार का स्वाद तो सिर्फ पाकिस्तान ने ही चखा है. कारगिल की जंग जीत का सेहरा इसके सर पर भी बंधता है. इतनी ताबड़तोड़ और लगातार फायरिंग की जा रही थी. गन की बैरल गर्म होने से उसकी आकार बदलने का डर था. रिपोर्ट के मुताबिक देश के अलग अलग हिस्सों में तैनात बोफ़ोर्स के बैरल तक कारगिल में भेजे गाए थे ताकी फायर पावर को बदस्तूर जारी रखा जा सके . कार्गिल की जंग को 26 साल हो गए है . बोफोर्स जरूर बूढ़ी हो चुकी है लेकिन फायर पावर में कोई कमी नहीं आई है. सेना के एक अधिकारी के मुताबिक आज भी बोफोर्स गन देश की सबसे बेस्ट गन है क्यों है बोफ़ोर्स किंग ऑफ़ दी बैटल फील्ड 1986 में स्वीडन से ली गई 410 155mm 39 कैलिबर होवित्सर गन अब भी सेना के आर्टेलरी की बैकबोन है. फिलहाल भारतीय सेना में 250 के करीब एक्टिव गन मौजूद है. भले भी भारत ने कारगिल के बाद कोई जंग नहीं लड़ी जिसमें कि आर्टेलरी गन का इस्तेमाल किया हो. कारगिल कि जंग में ढाई लाख से ज्यादा आर्टेलरी फायर हुए थे. जिसमें अकेले 70-80 हज़ार राउंड बफोर्स ने दागे गए थे. थोड़ी बहुत फायरिंग पीओके में पाकिस्तानी सीज फायर के जवाब में ज़रूर गरजी लेकिन दोनों देशों के बीच सीजफायर के बाद ये भी शांत हो गई. हांलकि ट्रेनिंग ग्राउंड में फायरिंग प्रैक्टिस जारी लगातार जारी है. और जैसे पहले दिन फायर करती थी आज भी वैसे ही फायर करती है. इसकी खासियत है कि ये 30 किलोमीटर दूर से दुश्मन के किसी ठिकाने को तबाह कर सकता है. इसका रेंट ऑफ फायर भी जबरदस्त है. बोफोर्स 9 सैकेंड में 4 राउंड फायर कर सकता है. ये एक जगह पर ही 360 डिग्री घूम सकता है और किसी भी एंगल में फायर कर सकता है. और ये 6 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से मूव भी कर सकता है. कारगिल का जंग को जीतने में बफोर्स का बहुत बडा योगदान है. देसी बोफोर्स धनुष भी सेना में शामिल 1999 में शुरू हुए सेना के आधुनिकीकरण के प्लान में आर्टीलरी तोपें सबसे अहम था. जिसमें साल 2027 तक 2800 तोपें भारतीय सेना में शामिल करने का लक्ष्य है. 155 mm की अलग अलग कैलिबर की तोपें ली जानी है. खास बात तो ये है आत्मनिर्भर भारत के तरत ही देश में ही देसी बोफ़ोर्स भी बना ली गई है . इसका नाम दिया गया है धनुष. अब तक इसकी दो रेजिमेंट यानी 36 के करीब गन आ चुकी हैं. एक रेजिमेंट में 3 गन बैटरी होती है और हर बैटरी में 6 गन होती है. भारतीय सेना को कुल 114 गन लेनी हैं और उसकी डेडलाइन 2026 रखी गई थी. और जिस तरह इस गन की डिलिवरी की जा रही है उससे नहीं लगता की ये समय पर डिलीवर हो सकेगी. 360 डिग्री में ताबड़तोड़ घुमने वाली तोप धनुष  155 mm 45 कैलिबर की है. धनुष 38 किलोमीटर तक मार कर सकती है जो की बफोर्स की 27 किलोमीटर से ज़्यादा है Tags: Indian armyFIRST PUBLISHED : December 9, 2024, 20:51 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed