इस दीवार पर अंकित है राम मंदिर के 500 साल का संघर्ष
इस दीवार पर अंकित है राम मंदिर के 500 साल का संघर्ष
इस दीवार उन इतिहासकारों का जिक्र है, जिन्होंने अयोध्या और राम मंदिर के अस्तित्व को माना है. इसके बाद निर्मोही अखाड़ा के महंत रघुबर दास की ओर से मंदिर को लेकर वर्ष 1853 में किए गए पहले मुकदमे का जिक्र है. यहां 22 दिसंबर 1949 को रामलला के प्रकट होने की भी कहानी अंकित की गई है.
अयोध्या : 22 जनवरी 2024 को जब भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई तो सदियों का संघर्ष समाप्त हुआ. राम मंदिर का सपना यूं ही नहीं साकार हुआ इसके पीछे एक 500 साल के लंबे संघर्ष की यात्रा भी है. रामलला के दरबार में हाजिरी लगाने वाले दर्शनार्थी भी इस संघर्ष की दास्तान से रूबरू हो रहे हैं. राम मंदिर ट्रस्ट ने राम मंदिर की दीवारों पर इस पूरे संघर्ष को दर्शाया है. दीवारों पर वर्ष 1528 से लेकर 22 जनवरी 2024 तक की पूरी यात्रा को अंकित किया गया है. इतना ही नहीं राम मंदिर के प्रवेश द्वार यानी कि सिंह द्वारा के पास बंसी पहाड़पुर के लाल पत्थरों पर अंग्रेजी तथा हिंदी भाषा में राम मंदिर की पूरी कहानी अंकित की गई है. तो चलिए विस्तार से समझते हैं आखिर क्या है यह कहानी .
दरअसल राजस्थान के वंशी पहाड़पुर के लाल पत्थरों पर अंग्रेजी और हिंदी भाषा में पूरी कहानी अंकित की गई है. प्राचीन काल में, इस स्थान पर सबसे पहले मंदिर का निर्माण महाराजा विक्रमादित्य ने ऋषि लोमश के निर्देश पर कामधेनु की उपस्थिति में करवाया कराया था. इस बात का जिक्र भी इसमें किया गया हुआ है. इसके बाद वर्ष 1528 की कहानी में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया उसके बाद तीन गुंबद वाली एक संरचना का निर्माण किया गया जिसे बाबरीमस्जिद के नाम से जाना जाने लगा
राम मंदिर के 500 साल का इतिहास
इस दीवार उन इतिहासकारों का जिक्र है, जिन्होंने अयोध्या और राम मंदिर के अस्तित्व को माना है. इसके बाद निर्मोही अखाड़ा के महंत रघुबर दास की ओर से मंदिर को लेकर वर्ष 1853 में किए गए पहले मुकदमे का जिक्र है. यहां 22 दिसंबर 1949 को रामलला के प्रकट होने की भी कहानी अंकित की गई है. इतना ही नहीं आगामी युवा पीढ़ी राम मंदिर के 500 वर्षों की इतिहास के बारे में जान सके इस उद्देश्य से राम मंदिर ट्रस्ट ने राम मंदिर के पूरे इतिहास को दर्शन मार्ग के सिंह द्वार पर अंकित किया है .
आडवाणी की रथ यात्रा का उल्लेख
इसके अलावा आडवाणी द्वारा चलाए गए रथ यात्रा का उल्लेख भी इसमें किया गया है दीवारों पर बाबरी विध्वंस से लेकर मंदिर निर्माण तक की पूरी यात्रा दर्शाया गया है. इतना ही नहीं 6 दिसंबर 1992 की घटना 2003 में हुई खुदाई की घटना 20 सितंबर 2010 को अयोध्या मामले में हाईकोर्ट के निर्णय के बारे में इसके बाद 9 नवंबर 2019 को मंदिर के हक में आए फैसले के बारे में भूमि पूजन मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा तक का पूरा इतिहास इसमें अंकित किया गया है. राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य डॉक्टर अनिल मिश्रा बताते हैं कि युवा पीढ़ी मंदिर आंदोलन के बारे में जान सके इस उद्देश्य से दीवारों पर इस यात्रा को अंकित किया गया है .
Tags: Ayodhya News, Ayodhya ram mandir, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : June 7, 2024, 17:32 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed