बिहार का ऐसा थाना जिसने कभी बदनामी झेली तो कभी मिली सराहनाफिर चर्चा में यह PS

Bihar News: पटना के राजीव नगर थाना को देश का सातवां सर्वश्रेष्ठ थाना चुने जाने पर और बिहार का नंबर वन पुलिस स्टेशन चुने जाने पर पटना पुलिस काफी खुश है. लेकिन, इन स्थितियों के बीच हम राजीव नगर थाना के सामने पेश आती रही चुनौतियों और बदनामियों का भी जिक्र करते हैं.इसके साथ ही उस दृश्य को भी याद करते हैं जो जुलाई 2022 में घटित हुआ था और राजीव नगर थाना इलाका जल उठा था.

बिहार का ऐसा थाना जिसने कभी बदनामी झेली तो कभी मिली सराहनाफिर चर्चा में यह PS
हाइलाइट्स राजीव नगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है आवास बोर्ड की 1024 एकड़ जमीन का विवाद. कई बार सरकारी स्तर पर जमीनों को खाली करने के लिए आम जनता से भिड़ंत होती रही. पटना राजीव नगर PS को गृह मंत्रालय ने बताया देश का नंबर-7 तो बिहार का नंबर-1 थाना. पटना. 3 जुलाई 2022 का वह मंजर स्थानीय लोग अब तक नहीं भूले जब पटना के राजीव नगर थाना क्षेत्र में बुलडोजर कार्रवाई हो रही थी. शासन 20 एकड़ में बने 70 मकानों को तोड़ने की कार्रवाई कर रहा था, लेकिन सामने से पब्लिक पत्थर बरसा रही थी तो पुलिसकर्मियों ने भी जवाब में मोर्चा ले लिया था. कई गाड़ियों में आ लगा दी गई थी. दृश्य भयावह बन पड़ा था क्योंकि पब्लिक बेकाबू थी. विरोध को देखते हुए करीब चार थानों की पुलिस मौजूद थी. दो हजार से अधिक पुलिस फोर्स आसपास के इलाके में भी तैनात की गई थी, बावजूद पुलिसकर्मियों को भीड़ को संभालना मुश्किल हो रहा था. आज एक बार फिर यही राजीव नगर थाना चर्चा में है क्योंकि यह देश का सातवां सबसे बढ़िया थाना घोषित हुआ है और बिहार में इसे पहला नंबर मिला है. आइये आगे जानते हैं कि आखिर यह पूरा विवाद है क्या और क्यों राजीव नगर थाना को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इस क्रम में कभी थाना को कभी सराहना तो कभी बदनामी भी मिलती रही है. दरअसल. एक समय था जब इसी थाने पर लापरवाहियों के आरोप भी लगे थे. राजीव नगर थाना क्षेत्र में इतना बवाल हुआ था कि पूरा इलाका जल उठा था. पत्थरबाजी, फायरिंग, गाड़ियों का जलाया जाना जैसी घटनाएं घटीं और कई दिनों तक बवाल होता रहा था. यह सिर्फ एक बार नहीं, बल्कि राजीव नगर थाना क्षेत्र में कई बार ऐसे मंजर देखे गए. तब आरोप लगते रहे कि राजीव नगर थाना पुलिस आखिर कहां सोती रही जो इतना बवाल हो गया. बता दें कि पूरा मामला राजीव नगर थाना क्षेत्र की 1024 एकड़ जमीन विवाद से जुड़ा हुआ है. यह विवाद आज का नहीं वर्ष 1974 से ही चल रहा है. क्या है आवास बोर्ड और स्थानीय लोगों के बीच विवाद? दरअसल,  बिहार आवास बोर्ड ने यहां 1024 एकड़ जमीन को आवासीय परिसर के लिए अधिग्रहित किया था, लेकिन अधिग्रहण में भेदभाव और मुआवजा का विवाद तब से ही जारी है. इस बीच किसानों ने अपनी जमीनें बेचीं और बाहर से आकर जमीन खरीदने वाले लोग बसते चले गए. अब तो यहां 22 हजार से भी अधिक घर बस गए हैं. इनमें आईएएस, आईपीएस, जज और सरकारी अफसरों के घर शामिल हैं. वहीं, इसी क्रम में भू-माफियाओं की दखल भी बढ़ी तो जमीन विवाद में कई बार ऐसे दृश्य भी सामने आए जिससे इस थाने पर अराजक तत्वों से सांठगांठ के भी आरोप लगे. किसान, जमीन मालिक, यहां बसने वाले लोगों के बीच भू-माफियाओं की पैठ ने राजीव नगर थाना क्षेत्र को हमेशा चर्चा में बनाए रखा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी क्यों खत्म नहीं हुआ विवाद? यहां के जमीन विवाद का मामला कई बार कोर्ट में गया और अभी भी कोर्ट में लंबित है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने किसानों को ब्याज सहित मुआवजा देने का भी निर्देश दिया था, बावजूद इसके यह विवाद काम नहीं हुआ. यहां कालोनियां बसती गईं सरकार इसे अवैध बताती रही. किसान लगातार इसको बेचते रहे और यहां आवासीय क्षेत्र का विस्तार होता गया. हालांकि, इसको लेकर वर्ष 2014 में बिहार सरकार ने एक नियमावली भी बनाई और इसे कैबिनेट से पास कर कराया गया, लेकिन यहां का विवाद अभी भी खत्म नहीं हुआ है. अब तो बहुत महंगी हो गई राजीव नगर थाना क्षेत्र की जमीन दरअसल, न तो लोग अपना घर छोड़ने के लिए ही राजी हैं और न ही सरकार की बनाई नियमावली के अनुसार सेटलमेंट के लिए तैयार हैं. ऐसे में विवाद अभी भी बना हुआ है और बीच-बीच में लगातार विवाद विकराल रूप भी लेता रहा है. बता दें कि राजीव नगर थाना क्षेत्र बिहार के पटना के बेशकीमती जमीन वाले इलाकों में स्थित है. यहां अब जमीनों की कीमतें आसमान छू रहीं हैं. विवादों के बाद यहां बसे लोग लोगों के साथ ही भू-माफियाओं ने भी अपनी दखल बढ़ गई है ऐसे में लगातार यहां हंगामा होता रहा है. आवास बोर्ड के इस फैसले के बाद जमीन मालिकों का विरोध बढ़ा राजीव नगर थाना क्षेत्र में जमीन को लेकर कई बार विवाद हुए हैं. कई बार भू माफियाओं और आम लोगों के बीच तो कई बार किसानों और भू माफियाओं के बीच संघर्ष हुए हैं. एक मामला आइएएस अध‍िकारी आरएस पांडे की जमीन को लेकर भी था. दरअसल, आवास बोर्ड ने 1024 एकड़ में से 4 एकड़ जमीन मुक्त कर दिया था जो बीच परिसर में पड़ता था. इसी को दीघा के किसानों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. किसानों का कहना था कि जिस तरह एक आईएएस ऑफिसर का भूखंड अधिग्रहण मुक्त रखा गया है उसी तरह किसानों की जमीन भी अधिग्रहण मुक्त की जाए. लेकिन, आवास बोर्ड किसानों की बात नहीं मानी और धीरे-धीरे विवाद बढ़ता गया. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन मानदंडों पर चुना सर्वश्रेष्ठ थाना बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश के पुलिस स्टेशनों को लेकर एक रैंकिंग जारी की है. इसमें बिहार की राजधानी पटना के राजीव नगर थाना को देश का सातवां सर्वश्रेष्ठ थाना चुना गया है, वहीं राज्य स्तर पर बिहार का यह बहुचर्चित थाना पहले नंबर पर है. ऐसे तो थाना की रैंकिंग के लिए जो मापदंड तय किए गए थे, जिसमें थाना में दी जा रही सुविधाएं, बैठने और पानी पीने की व्यवस्था, ऑनलाइन कार्य, आम लोगों से पुलिसकर्मियों का व्यवहार और सुनवाई, गलियों और चौक चौराहों पर सीसीटीवी की स्थिति, साफ सफाई और केस के ऑनलाइन रिकॉर्ड रखने जैसी बातें बातों को तवज्जो दिया गया. इसके सर्वे में जो बातें निकाल कर आईं इसी आधार पर रैंकिंग तय की गई. राजीव नगर थाना क्षेत्र में कई सरकारी दफ्तर और संस्थाएं बता दें कि आवास बोर्ड ने अध‍िग्रहित आवासीय भूखंडों को राजीव नगर थाना, पुलिस रेडियो तार एजेंसी, सीआरपीएफ , एसएसबी, सीबीएसई सहित कई एजेंसियों को आवंटित किया गया है. यहां कई बड़ी बिल्डिंगें बन गई हैं, लेकिन स्‍थानीय लोग इसे नियम के विरोध में बताते हैं. वहीं, राजीव नगर थाना क्षेत्र में आने वाले आवास बोर्ड की जमीन पर भू-माफियाओं के कारण भी अक्सर गोलीबारी और हत्या की घटनाएं जैसी होती रहती हैं. कई बार थानों पर भी माफियाओं से मिलीभगत के आरोप लगे हैं. ऐसे में इस थाना के सामने कई चुनौतियां भी रही हैं. राजीव नगर थाना क्षेत्र में भू माफियाओं का आतंक रहा है. Tags: Bihar latest news, Bihar police, Patna PoliceFIRST PUBLISHED : December 1, 2024, 10:47 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed