क्या राहुल गांधी जो कहते हैं वही करते भी हैं बड़ा सच जानकर खुद ही तय कीजिये

Bihar Caste Politics: जातिगत हिस्सेदारी और भागीदारी मुद्दे को लेकर लोकसभा में दिये गए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के बयानों पर बहस और सियायत जारी है. राहुल गांधी दलितों, पिछड़ों को अधिकार देने और जगह देने की बात कर रहे हैं. पर अगर कांग्रेस के भीतर ही देखा जाए तो पूरी बात गलत साबित होती दिखाई पड़ रही है. हमने बिहार कांग्रेस में इसकी पड़ताल की तो राहुल गांधी के दावों और हकीकत के बीच काफी अंतर है.

क्या राहुल गांधी जो कहते हैं वही करते भी हैं बड़ा सच जानकर खुद ही तय कीजिये
हाइलाइट्स जातीय हिस्सेदारी और भागीदारी के सवाल पर राहुल गांधी के दावे की बड़ी पड़ताल. बिहार कांग्रेस के संगठन में हिस्सेदारी और भागीदारी के आंकड़े आपको चौंका देंगे. क्या कांग्रेस नेता राहुल गांधी के कथनी और करनी में बड़ा अंतर है? आंकड़े देखिये. पटना. जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान… मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान! कबीर के इस दोहे का सीधा अर्थ है कि अहम छोड़ कर ज्ञान जिससे भी मिले लेना चाहिए… यानी ज्ञान का मोल होना चाहिए न कि किसी की जातिगत पहचान का. लेकिन, वास्तविकता यही है कि भारतीय राजनीति बिना जाति की बात किये आगे नहीं बढ़ सकती. एक समय जो कांग्रेस पार्टी देश में जातिवाद को खत्म करने का दावा करती थी वह अब लगातार जातीय आग्रहों को लेकर आगे बढ़ रही है. इसको अपनी ओर से सबसे अधिक ताकत इस पार्टी के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी दे रहे हैं और सड़क से लेकर संसद तक कास्ट पॉलिटिक्स को परवान चढ़ा रहे हैं. खास तौर पर जबसे केंद्रीय बजट के दौरान हलवा सेरेमनी में जातीय विमर्श को लाने के बाद ये बहस और अधिक मजबूत हो गई है. लेकिन, इन सबके बीच सवाल कांग्रेस पार्टी के दावे पर भी उठ रहा है कि क्या कांग्रेस जातिगत आधार पर अपनी ही पार्टी के भीतर न्याय करती है, या फिर इनके नेता केवल राजनीति करते हैं. जातिगत हिस्सेदारी और भागीदारी मुद्दे को लेकर लोकसभा में दिये गए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के बयानों पर बहस और सियायत जारी है. राहुल गांधी दलितों, पिछड़ों को अधिकार देने और जगह देने की बात कर रहे हैं. पर अगर कांग्रेस के भीतर ही देखा जाए तो पूरी बात गलत साबित होती दिखाई पड़ रही है. राहुल गांधी ने दलितों, अतिपिछड़ा को अधिकार और प्रतिनिधित्व देने की बात कही है, पर बीजेपी ने जो आरोप लगाया है उसके मुताबिक, कांग्रेस के भीतर खुद इन बातों पर कभी अमल नहीं किया गया. बिहार कांग्रेस के भीतर प्रतिनिधित्व देने के आंकड़ों को जरा देखे की कांग्रेस ने कितनी तरजीह दी. हमने बिहार कांग्रेस में इसकी पड़ताल की तो राहुल गांधी के दावों और हकीकत के बीच काफी अंतर है. बिहार कांग्रेस में संगठन की बात हो या चुनाव में उम्मीदवार की बात कितनी तरजीह मिली है, आगे आंकड़ों पर आधारित खास रिपोर्ट पढ़िये. बिहार कांग्रेस में जातिगत भागीदारी की वास्तविकता बिहार कांग्रेस में फिलहाल प्रदेश अध्यक्ष का पद अखिलेश सिंह के पास है जो सामान्य वर्ग से हैं. इससे पहले के प्रदेश अध्यक्षमदन मोहन झा भी सवर्ण ही थे. वर्तमान में कोषध्यक्ष निर्मलेंदु वर्मा भी जेनरल कास्ट की हैं. कांग्रेस के बिहार प्रभारी मोहन प्रकाश भी सवर्ण जाति से ही आते हैं. खास बात बिहार से राज्यसभा का पद सवर्ण से आने वाले अखिलेश सिंह को ही मिला. विधान परिषद में उम्मीदवार भी सामान्य वर्ग से आते हैं और समीर सिंह को एमएलसी बनाया गया है. इससे पहले प्रेमचंद्र मिश्रा (सामान्य वर्ग) को कांग्रेस ने विधान परिषद में भेजा था. विधानसभा में उम्मीदवार करीब 50% सामान्य वर्ग से वर्ष 2020 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें सामान्य जाति के 33 लोगों को उम्मीदवार बनाया था. वहीं, दलितों को 13 सीटें तो पिछड़ों और अतिपिछड़ों को केवल 11 सीटें ही कांग्रेस ने दी थी. विशेष यह कि कांग्रेस ने 13 उम्मीदवार मुसलमान दिये थे. 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार कांग्रेस का इलेक्शन कमिटी सदस्य बनाया गया था और कमिटी में 50 सदस्य बनाए गए. कमिटी में 25 सवर्ण चेहरे शामिल किए गए. 65 प्रतिशत से अधिक जिलाध्यक्ष सामान्य वर्ग के बिहार कांग्रेस का संगठन का चुनाव पिछले कई सालों से नहीं हुआ है जिसके कारण संगठन भंग है. बिहार में कांग्रेस ने 38  जिलाध्यक्षों की घोषणा की तो आंकड़े पूरी कहानी खुद ही कहते हैं. बिहार के 38 जिलों में कांग्रेस का जिलाध्यक्षों में 26 सवर्ण जाति के हैं. 5 ओबीसी, 5 अल्पसंख्यक और 3 दलित समुदाय के हैं. 67 प्रतिशत जिलाध्यक्ष सवर्ण हैं. सवर्णों में भी सर्वाधिक 11 भूमिहार जाति से हैं. बीजेपी यह भी आरोप लगा रही है कि इससे पहले बिहार प्रभारी दलित भक्त चरण को बनाया पर एक साल में ही हटा भी दिया. भाजपा का वार, पर कांग्रेस नहीं देख रही आईना भाजपा नेता असित नाथ तिवारी बिहार कांग्रेस में दलितों और अतिपिछड़ो के प्रतिनिधित्व के आंकड़े सवाल खड़े कर रहे हैं. वहीं, बीजेपी के आरोप को कांग्रेस सिरे से खारिज कर रही है और बता रही है कि कांग्रेस इकलौती पार्टी है जिसमें सभी को प्रतिनिधित्व दिया. बहरहाल, संसद में हंगामा जारी है. संसद के भीतर चक्रव्यूह से लेकर जाति तक पूछा जाने लगा है, लेकिन इसके साथ ही कांग्रेस की कथनी और करनी को लेकर भी सवाल खड़ा हो रहा है. कांग्रेस भले की कुछ भी दावा करे, लेकिन बिहार कांग्रेस के संगठन की तस्वीर आईना बनकर सामने खड़ा है. Tags: Bihar Congress, Bihar News, Bihar politics, Caste politics, Caste System, Congress leader Rahul Gandhi, Rahul gandhi, Rahul gandhi latest newsFIRST PUBLISHED : August 2, 2024, 13:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed