किशोर कुणाल के 10 मूल मंत्र याद कर लें तो बिहार का नक्शा बदल जाए!
किशोर कुणाल के 10 मूल मंत्र याद कर लें तो बिहार का नक्शा बदल जाए!
Acharya Kishore Kunal: किशोर कुणाल भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक कुशल पुलिस अधिकारी थे, लेकिन उन्होंने अपने कृतित्व को इतना विशाल आयाम दिया कि आने वाले कई दशकों तक उनको लोग याद करेंगे.
हाइलाइट्स वर्ष 1972 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी थे किशोर कुणाल. महावीर मंदिर न्यास के सचिव पद पर पदस्थापित थे आचार्य किशोर कुणाल. बिहार में अपराध नियंत्रण के लिए किशोर कुणाल ने सुझाए थे अहम उपाय.
पटना. 1972 गुजरात कैडर के अफसर कुणाल अपने शुरुआती जीवन में गुजरात के भिन्न भिन्न जिलों में कार्यरत रहे, लेकिन उनकी आत्मा कचोट रही थी. उनकी मातृभूमि बिहार को उनकी ज्यादा जरूरत थी. वर्ष 1983 में उनका पटना आगमन एसएसपी के रूप में होता है, जब शहर की आवो-हवा बहुत अच्छी नहीं थी. लूट-पाट का दृश्य आम था. हत्याएं हो जाना आम बात थी. उन्होंने संकल्प लिया कि पटना को अपराध मुक्त बनाना है. आचार्य किशोरण कुणाल ने एक अखबार में आलेख लिखा, जिस अशोक की नगरी में कभी अपराध नहीं होता था, कोई चोरी नहीं होती थी, उस नगर के लोग अपने आप को असुरक्षित समझें, तो पुलिस के रहने का औचित्य क्या है?
जात-पात से पीड़ित बिहार पुलिस के जवानों को किशोर कुणाल ने कहा कि पुलिस के लिए कुछ खास सूत्र दिये थे. उनके रूल बुक की कुछ खास बातें अगर पुलिस फॉलो करे तो राज्य को अपराध मुक्त रखने में मदद मिलेगी- 1-एक कानून पालन करने वालों की तथा एक कानून तोड़ने वालों की. आज के दौर में ये देखा जाता है कि अपराधी की कौन जाति है. जिससे अपराध करने वालों का मन बढ़ता है. साथ ही पुलिस के प्रति लोगों में अविश्वास पनपता है.
2-कानून पालन करने वालों का सम्मान होना चाहिए और कानून तोड़ने वालों का दमन। उनका सीधा फॉर्मूला था, बड़ा अपराध बड़ी सजा, छोटा अपराध छोटी सजा. याद है अपराधियों उनके काल में पटना छोड़ दिया था.
3-पुलिस थाने में लोगों को निर्देश था कि फोन आने पर इज्जत के साथ बात करेंगे. लोग अगर पुलिस स्टेशन आते हैं तो उनको कुर्सी देनी है, लोगों को तुम नहीं आप कहकर संबोधित करना है.
4-हर अपराध की प्रविष्टि जरूरी है, भले ही अपराध संज्ञेय न हो.
5-किसी भी तरह का उपहार नहीं ली स्वीकार करनी चाहिए. भ्रष्टाचार को रोकने की दिशा में ये महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है. शायद इसका पालन अब बहुत कम लोग करते हैं.
6-उनका सूत्र था अपराध होने पर एसएसपी घटना स्थल पर जाए, कई बार तो ऐसा भी देखा गया कि थाना अधिकारी से पहले कुणाल खुद पहुंच जाते थे.
7-पेशेवर अपराधियों से किसी भी हालत में मुरव्वत नहीं बरती जाय और उनपर हमेशा नजर रखी जाय.
8- गंभीर अपराध होने पर धाराएं हल्की न लगें ताकि भविष्य में भी अपराधियों को सबक मिले.
9-गैर जमानती धाराओं में पुलिस स्टेशन से जमानत न दें, अन्यथा इससे अपराधियों में भाय कम होता जाएगा.
10-पुलिस के दो कार्य होते हैं, घटना होने के बाद उसका निवारण तथा, घटना होने के बाद उसका उद्भेदन. पुलिस के लिए यह अवशक होता है कि वो उद्भेदन से ज्यादा निवारण पर ज्यादा ध्यान दें ताकि अपराध की घटनाएं ही न हों.
दरअसल, किशोर कुणाल जानते थे कि बिहार जैसे राजनीति प्रधान राज्य में नेताओं का भी दवाब रहता था अतः हर हाल में नेताओं की खुशामद और उनके दवाब से मुक्त रहें, ताकि बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर हो सके. (साभार-कुणाल जी की जीवनी “दमन तक्षकों का” से)
Tags: Bihar latest news, Patna News TodayFIRST PUBLISHED : December 29, 2024, 12:32 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed