लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी सीटें करीबी-करीबी दोगुनी करने वाली कांग्रेस पूर्वोत्तर के राज्य असम में कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई है. बावजूद इसके असम प्रदेश कांग्रेस में उत्साह का माहौल है. उसे राज्य की 14 सीटों में से केवल तीन पर जीत मिली है. एक कारोबारी उम्मीदवार की हार में कांग्रेस को बड़ी जीत दिख रही है. जानकारों का कहना है कि इस कारोबारी की हार से मिली खुशबू आने वाले समय में कांग्रेस को बड़ी जीत दिला सकती है.
असम की तीन सीटों- जोरहट, धुबरी और नागांव में कांग्रेस को जीत मिली है. लेकिन, सबसे बड़ी और अहम जीत धुबरी की है. धुबरी से ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के बद्रुद्दीन अजमल की हार हुई है. वह भी 10 लाख से अधिक वोटों से वह कांग्रेस के रकीबुल हुसैन से हार गए हैं. बद्रुद्दीन अजमल असम के एक बड़े इत्र कारोबारी हैं.
इनका खानदान ही इत्र कारोबार से जुड़ा है. इनके ब्रांड का नाम ‘अजमल परफ्यूम’ है और दुनिया के इनके 300 से अधिक रिटेल स्टोर हैं. ये स्टोर मुख्य रूप से मध्य-पूर्व के देशों में हैं. इस परफ्यूम को 42 से अधिक देशों में निर्यात किया जाता है. अजमल के पास अकूत पैसा है और पैसे के दम पर ही बंगाली मुस्लिम माइग्रेंट्स के बीच उन्होंने खुद को एक मसीहा के रूप में स्थापित किया.
सबसे बड़ी जीत
कांग्रेस के लिए यह जीत कई मायनों में पूरे राज्य की जीत से बड़ी है. दरअसल, धुबरी बंगाली माइग्रेंट्स का गढ़ है. बद्रुद्दीन अजमल यहां के एकछत्र नेता हुआ करते थे. इस जीत के साथ कांग्रेस यह संदेश देने में कामयाब हुई है कि अब अजमल का समय खत्म हो चुका है. वह बुढ़ा हो गए हैं. अजमल पर हमेशा से भाजपा की बी टीम होने के भी आरोप लगते रहे हैं. उनकी छवि भी एक कट्ट्ररपंथी की रही है. ऐसे में उनकी हार से कांग्रेस को राहत पहुंची है.
कांग्रेस जनता तक यह बात पहुंचाने में सफल हुई है कि अगर राज्य में भाजपा को रोकना है तो सबसे पहले अजमल को रोकना होगा.
अजमल का खेल खत्म!
अजमल की इस हार पर असम एक स्कॉलर सुभ्रांगशू प्रतीम कहते हैं कि बंगाली मुस्लिमों में लोकप्रियता के बावजूद अजमल की हार काफी कुछ कहती है. कांग्रेस वोटर्स तक यह बात पहुंचाने में कामयाब हुई है कि केवल वही बंगाली लोगों का प्रतिनिधि है. प्रचार के दौरान कांग्रेस ने कहा था कि अजमल की एआईयूडीएफ और भाजपा के बीच एक तरह का सांठगांठ है. उसकी इस बात अब जनता ने भी मुहर लगा दी है.
धुबरी… असम में मुस्लिम वोट बैंक का पर्याय है. यहां की जीत से यह स्पष्ट हो गया है कि अब एआईयूडीएफ का प्रभाव कमजोर पड़ा है. यहां से 10.1 लाख वोटों से अजमल की हार ने कांग्रेस उम्मीदवार रकीबुल हुसैन और पार्टी को बड़ी उम्मीद दिखाई है.
धुबरी की सीमा बांग्लादेश से लगती है. हुसैन पहली बार सांसद बने हैं. दशकों से धुबरी और इससे लगे गोलपारा और बारपेटा जिलों में कांग्रेस का प्रभाव रहा है. लेकिन, बाद के दिनों में यहां एआईयीडीएफ ने जमीन बना ली और कांग्रेस कमजोर पड़ गई. अब फिर से यहां कांग्रेस की वापसी से पूरे राज्य में उसकी स्थिति मजबूत होगी. धुबरी के अलावा जोरहट से गौरव गोगोई और नागांव से प्रद्यूत बोरदोलोई को जीत मिली है. 10 सीटें एनडीए के खाते में गई है. एक सीट पर एक निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली है.
Tags: Assam news, Loksabha Election 2024, Loksabha ElectionsFIRST PUBLISHED : June 6, 2024, 12:51 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed