अपनी कौम का विरोध झेलते हुए स्वामी विवेकानंद पर की PhD अब ये काम करेंगे डॉ जुल्फिकार
अपनी कौम का विरोध झेलते हुए स्वामी विवेकानंद पर की PhD अब ये काम करेंगे डॉ जुल्फिकार
Swami Vivekananda: झुंझुनूं जिले के भीमसर के रहने वाले डॉ. जुल्फिकार ने स्वामी विवेकानंद पर पीएचडी की है. वह ऐसा करने वाले देश के पहले मुस्लिम हैं. अब वह अमेरिका के 14 मठों पर लिखना और शोध करना चाहते हैं, जिसके लिए उन्हें केंद्र सरकार की मदद की जरूरत है. पढ़ें दिलचस्प कहानी.
इम्तियाज अली
झुंझुनूं. राजस्थान के झुंझुनूं जिले के भीमसर के रहने वाले डॉ. जुल्फिकार ने मुस्लमान होते हुए भी स्वामी विवेकानंद पर पीएचडी की है. इसके अलावा उन्होंने देश विदेश में स्वामी रामकृष्ण मिशन से जुड़े मठों में रहकर अध्ययन किया है. इस वजह से अपने धर्म के लोगों का कई बार विरोध भी झेलना पड़ा, लेकिन अपने कर्म पर अडिग रहे. जुल्फिकार का मकसद है कि देश के ज्यादा से ज्यादा युवाओं तक स्वामी जी के विचार पहुंचे, ताकि वे सादगी से जीवन जी सकें.
आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार को अपना गुरु मानने वाले जुल्फिकार ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने धर्म के बंधन को तोड़कर सामाजिक समरसता का भाव दर्शाया है. डॉ. जुल्फिकार ने 2005 से लेकर 2009 तक शोध किया और स्वामी विवेकानंद पर पुस्तक भी लिखी. जबकि उनको 10 वर्ष की उम्र में ही खेतड़ी के रामकृष्ण मिशन से इतना लगाव हो गया था कि स्कूली समय में ही मिशन में जाकर वहां के संन्यासियों से धर्म के बार में जानकारी लेनी शुरू कर दी थी. पीएचडी करने के बाद तो मिशन के साथ-साथ मठों की भी यात्राएं करना शुरू कर दी हैं. इसके अलावा डॉ. जुल्फिकार ने भारत के सबसे प्रसिद्ध वैल्युर मठ में रहकर अध्ययन किया है, तो वह बांग्लादेश और श्रीलंका के मठों में भी अध्ययन कर चुके हैं.
स्वामी विवेकानंद पर पीएचडी करने वाले डॉ. जुल्फीकार देश के पहले मुस्लिम हैं.
अमेरिका के 14 मठों पर शोध करना और लिखना ख्वाहिश
डॉ. जुल्फिकार कहते हैं कि अब माहौल बदल रहा है. लोग उन्हें भी समझ रहे हैं और स्वामी विवेकानंद को भी जानने की कोशिश कर रहे हैं. वे चाहते हैं कि अमेरिका के 14 मठों पर भी वे लिखें और शोध करें. उनकी ख्वाहिश है कि सरकार उन्हें मदद करे और अमेरिका के मठों पर शोध करने के लिए संसाधन मुहैया करवाए. इसके साथ ही उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की इच्छा है. दरअसल वह स्वामी विवेकानंद के साथ मोदी भी को अपना आदर्श मानते हैं. डॉ. जुल्फिकार ने प्रधानमंत्री को कई पत्र लिखे हैं, अब उन्हें पीएम के बुलावे का इंतजार है. वह पीएम मोदी से मिलकरस्वामी विवेकानंद से संबंधित कई अनछुए पहलुओं को उजागर करना चाहते हैं.
बचपन में साथियों के साथ जाते थे रामकृष्ण मिशन की लाइब्रेरी में
डॉ. जुल्फिकार कहते हैं कि उनके पिता जाफर हुसैन कॉपर स्थित केसीसी प्लांट में नौकरी करते थे, तब परिवार उनके साथ खेतड़ी में रहता था. यही वजह है कि उनकी शिक्षा खेतड़ी में हुई. इस दौरान अन्य बच्चों के साथ रामकृष्ण मिशन की लाइब्रेरी में पढ़ने जाते थे. उसी दौरान स्वामी जी को जानने की ललक पैदा हो गई. जब बीए सेकेंड ईयर में थे, तब मन में पहली बार स्वामी विवेकानंद को जानने की ललक हुई और इसके बाद 16 साल से जुल्फिकार को केवल स्वामी विवेकानंद को समझने, लिखने, सोचने और उनका प्रचार प्रसार करने के अलावा कोई काम नहीं रहा.
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Tags: Jhunjhunu news, Pm narendra modi, RSS, Swami vivekanandaFIRST PUBLISHED : September 16, 2022, 17:51 IST