Rajasthan: जयपुर में बंदरों के साथ अमानवीय व्यवहार सलाखों में बंद करके रखा जा रहा भूखा
Rajasthan: जयपुर में बंदरों के साथ अमानवीय व्यवहार सलाखों में बंद करके रखा जा रहा भूखा
जयपुर में बंदरों के साथ क्रूरता: राजधानी जयपुर में बंदरों (Monkeys) की धरपकड़ के बाद में उन्हें प्राकृतिक वातावरण में छोड़ने की बजाय पिंजरों में कैद करके रखा जा रहा है. इससे लोगों में आक्रोश पनप रहा है. वन्यजीव प्रेमियों (Wildlife lovers) का आरोप है कि पिंजरों में कैद बंदरों को पूरी तरह से खाना भी नहीं दिया जाता है.
हाइलाइट्सबंदरों को पकड़ने का ठेका निजी कंपनी को दिया गया हैनगर निगम प्रति बंदर ठेका कंपनी को दे रही है 777 रुपये
जयपुर. राजधानी जयपुर शहर में उत्पात मचाने वाले करीब 4000 बंदरों (Monkeys) को पकड़ने के लिये हेरिटेज नगर निगम (Jaipur Heritage Municipal Corporation) ने एक निजी कंपनी को ठेका दिया है. यह कंपनी बंदरों को पकड़ तो जरुर रही है लेकिन उन्हें जंगलों में तुरंत छोड़ने के बजाय कई दिनों तक सलाखों के पीछे रख रही है. सलाखों में बंद बंदरों की देखभाल नहीं होने से यहां वन्य जीव प्रेमियों और स्थानीय लोगों आक्रोश है. आरोप है कि कंपनी अपनी सेवा शर्तों की पालना नहीं कर रही है. बंदरों के साथ क्रूरतापूर्वक व्यवहार किया जाता है.
जयपुर के दबाव खाना स्थित निगम के कबाड़ खाने के पास छोटे छोटे पिंजरे में कैद कई बंदर चोटिल हो रखे हैं. उनके चेहरों पर घाव के निशान साफ तौर पर देखे जा सकते हैं. बड़े बंदर तो इन पिंजरों में आ ही नहीं सकते लेकिन उनके लिए भी यहीं पिंजरे हैं. जब से लोगों को पता चला है तो वे बंदरों की सेवा के मकसद से यहां पहुंचने लगे हैं. लोगों की मानें तो इन बंदरों की देखभाल ठीक तौर पर नहीं की जा रही है और इन्हें खाने पीने को भी पर्याप्त नहीं दिया जाता है.
बंदर भूखे कमजोर बदहाल से नजर आ रहे हैं
इसकी वजह से बंदर भूखे कमजोर बदहाल से नजर आते हैं. इसे लेकर जयपुर के पार्षदों ने नगर निगम का ध्यान भी आकर्षित किया है. वहीं यहां पहुंचने वाले लोगों ने भी इस मामले में निगम को शिकायत दर्ज कराई है. लोगों का कहना है कि बंदरों के लिए इस तरह का व्यवहार किसी यातना से कम नहीं है. पशु और पर्यावरण प्रेमी इन्हें कैद करके इतने दिनों तक छोटे पिंजरे में रखने के खिलाफ हो रहे हैं.
पचास से ज्यादा छोटे बड़े बंदर पिंजरों में कैद हैं
यहां करीब पचास से ज्यादा छोटे बड़े बंदर पिंजरों में कैद हैं. बंदरों को यहां पर कई दिनों से रखा गया है. यह बात खुद यहां के केयर टेकर ने भी स्वीकारी. निगम की टीम पन्द्रह या बीस दिन में गाड़ी भेजती है. तब तक इन्हें यहीं कैद में रहना पड़ता है. हालांकि यहां मौजूद केयर टेकर बंदरों की देखभाल की हामी भरते है लेकिन स्थानीय लोग उनकी पोल खोलने से नहीं चूकते. हैरिटेज नगर निगम की महापौर मुनेश गुर्जर ने भी स्वीकारा कि बंदरों की खराब स्थिति को लेकर शिकायतें मिल चुकी हैं. इसे लेकर अब अधिकारियों को निर्देश जारी किये जायेंगे ताकि उन्हें जल्दी यहां से शिफ्ट किए जा सके और उनके साथ किसी प्रकार की क्रूरता नहीं हो.
प्रति बंदर 777 रुपये तय हैं
ठेका शर्तों के मुताबिक प्रति बंदर 777 रुपये तय किए गए हैं. इसमें उनकी अच्छी देखभाल और उन्हें शहर से करीब 150 किलोमीटर दूर प्राकृतिक वातावरण में छोड़ना शामिल है. ठेका शर्तों में प्रिवेंशन ऑफ यूनिटी टू एनिमल्स एक्ट-1960 का ख्याल रखने के लिए भी साफ तौर पर निर्देश है. लेकिन पकड़े गए बंदरों की हालत को देखकर इस एक्ट की कितनी पालना की जा रही है इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.
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Tags: Jaipur news, Monkey, Rajasthan news, Wildlife news in hindiFIRST PUBLISHED : September 14, 2022, 15:59 IST