उधार की पिस्टल से सीखी निशानेबाजी आज उम्र से अधिक मेडल जीत चुकी UP की ये बेटी

Ruchi Singh Shooter Amethi: रुचि सिंह ने अपने निशानेबाजी के सफर की शुरुआत 2005 में की थी. उसी साल उन्होंने अपना पहला मेडल जीता, और तब से उनकी सफलता का यह सिलसिला जारी है. राहुल गांधी, सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के कोच रहे डॉ. राजपाल उनके गुरु बने. शुरू में संसाधनों की कमी के कारण उन्होंने अपने गुरु की एयर पिस्टल उधार लेकर अपने हौसले को कायम रखा और कठिनाइयों के बावजूद अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहीं.

उधार की पिस्टल से सीखी निशानेबाजी आज उम्र से अधिक मेडल जीत चुकी UP की ये बेटी
आदित्य कृष्ण /अमेठी: “कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो.” यह पंक्तियां अमेठी की बेटी रुचि सिंह पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं. जिस बेटी ने कभी उधारी की पिस्टल से निशानेबाजी सीखकर अपने करियर की शुरुआत की, आज वही रुचि देश और प्रदेश में अपना नाम रोशन कर चुकी है. उनकी यह सफलता उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो समाज की बाधाओं को नजरअंदाज कर अपने सपनों का पीछा करते हैं. रुचि सिंह ने अपने संघर्ष और मेहनत से निशानेबाजी में यूपी का नाम गौरवान्वित किया है. और वह निरंतर अपने हौसलों को बढ़ाते हुए आगे बढ़ रही हैं. रुचि सिंह, जो अमेठी जिले के संग्रामपुर ब्लॉक के धौरहरा गांव की रहने वाली हैं. उन्होंने मात्र 8 साल की उम्र में निशानेबाजी की शुरुआत की. परास्नातक तक पढ़ाई करने वाली रुचि ने इस कम उम्र में ही निशानेबाजी में अपना करियर बनाना शुरू कर दिया. आज 30 साल की उम्र में उन्होंने स्टेट, नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर 57 से अधिक बार गोल्ड और सिल्वर मेडल जीते हैं. 2005 से शुरू हुआ सफर रुचि सिंह ने अपने निशानेबाजी के सफर की शुरुआत 2005 में की थी. उसी साल उन्होंने अपना पहला मेडल जीता, और तब से उनकी सफलता का यह सिलसिला जारी है. राहुल गांधी, सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के कोच रहे डॉ. राजपाल उनके गुरु बने. शुरू में संसाधनों की कमी के कारण उन्होंने अपने गुरु की एयर पिस्टल उधार लेकर अपने हौसले को कायम रखा और कठिनाइयों के बावजूद अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहीं. बचपन से चुनौतियों का सामना करने की आदत रुचि सिंह ने लोकल 18 से खास बातचीत में बताया कि बेटियां किसी भी क्षेत्र में कमजोर नहीं होती हैं. उन्हें बचपन से ही चुनौतियों का सामना करने की आदत होती है. इसी आदत ने उन्हें आगे बढ़ने में मदद की. उन्होंने बताया कि 2005 के बाद बागपत गांव में उनके गुरु राजपाल ने उन्हें अपने शूटिंग एरिया में निशानेबाजी सिखाई, जिससे वह धीरे-धीरे सफल होती गईं. एक दिन जरूर मिलती है सफलता रुचि ने यह भी कहा कि उनकी सफलता में उनके गुरु डॉ. राजपाल और उपक्रीड़ा अधिकारी विमला सिंह का महत्वपूर्ण योगदान है. उन्होंने अपने परिवार का भी आभार व्यक्त किया, जिन्होंने हमेशा उन्हें सम्मान और समर्थन दिया. रुचि ने सभी बेटियों को यह संदेश दिया कि वे अपने लक्ष्य पर अडिग रहें, और एक दिन सफलता जरूर मिलेगी. Tags: Amethi news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : August 28, 2024, 13:58 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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