हिजाब बैन: मुस्तफा कमाल पाशा से आगे कैसे निकल गए ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति
हिजाब बैन: मुस्तफा कमाल पाशा से आगे कैसे निकल गए ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति
Tajikistan Hijab Ban: कर्नाटक में अभी हिजाब विवाद थमा भी नहीं था कि एक मुस्लिम देश ने हिजाब पर बैन लगा दिया. जी हां, ताजिकिस्तान में हिजाब पर पाबंदी लग गई. दिलचस्प बात है कि तजाकिस्तान में 95 फीसदी आबादी मुस्लिम है. बावजूद इसके ताजिकिस्तान ने हिबाज पर बैन लगा दिया.
नई दिल्ली: दुनियाभर में हिजाब को लेकर विवाद काफी पुराना है. कर्नाटक में हिजाब बैन को लेकर सड़क से सुप्रीम कोर्ट तक हंगामा मचा. अभी हिजाब पर विवाद पूरी तरह से थमा भी नहीं था कि एक मुस्लिम देश ने हिजाब पर बैन लगा दिया. जी हां, ताजिकिस्तान में हिजाब पर पाबंदी लग गई. दिलचस्प बात है कि तजाकिस्तान की 95 फीसदी आबादी मुस्लिम है. बावजूद इसके ताजिकिस्तान ने हिजाब पर बैन लगा दिया. तजाकिस्तान की संसद से हिजाब पर बैन लगाने वाला बिल पास हो गया है. राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन के सिग्नेचर के साथ ही अब यह कानून बन गया है. अब तजाकिस्तान में हिजाब पहनने पर सजा मिलेगी. अब सवाल है कि आखिर तजाकिस्तानी राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन तुर्की के अतातुर्क मुस्तफा कमाल पाशा से एक कदम आगे कैसे निकल गए हैं. इसे विस्तार से समझते हैं.
मुस्तफा कमाल पाशा से आगे निकले रहमोन
ताजिकिस्तान हिजाब को बैन करने वाला पहला देश नहीं है. दशकों से हिजाब को लेकर दुनियाभर में विवाद होते रहे हैं. फ्रांस, ऑस्ट्रिया से लेकर श्रीलंका तक…ऐसे कई देश हैं, जहां हिजाब पहनने पर बाबंदी है. कहा जाता है कि दुनिया में सबसे पहले हिजाब पर बैन तुर्की में लगा. तुर्की की 99 फीसदी आबादी तो मुस्लिम है. तुर्की के अतातुर्क के नाम से मशहूर मुस्तफा कमाल पाशा ने तुर्की को आधुनिक राष्ट्र बनाने के मकसद से हिजाब पर बैन लगाया था. जब वह सत्ता में आए तो उन्होंने शरियत को छोड़ पश्चिमी कायदे-कानून के आधार पर देश चलाने का फैसला लिया. इसके लिए उन्होंने कुछ सुधारों की नींव रखी. इसी के तहत 1920 के दशक में मुस्तफा कमाल पाशा ने कपड़ों-पहनावों को लेकर एक आदेश जारी किया था. इसके तहत हिजाब पर पाबंदी लगाई गई. हालांकि, आदेश में खासतौर पर मुस्लिम महिलाओं को टारगेट नहीं किया गया था. यह स्त्री और पुरुष दोनों के कपड़ों और रहन-सहन को लेकर था.
ताजिकिस्तान ने क्यों लगाया बैन?
हालांकि, बाद में तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने तुर्की से हिजाब पर से पाबंदी हटा दी. तुर्की में दशकों तक स्कूलों और सार्वजनिक स्थलों पर हिजाब पर पाबंदी थी. मुस्तफा कमाल पाशा ने महिलाओं की स्वतंत्रता की वकालत की थी. उन्होंने धर्मनिर्पेक्षता को आधार बनाया था. मगर रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने कानून चलाने में मजहब को तवज्जो दी. यही वजह है कि उनके सत्ता में आते ही तुर्की से हिजाब से पाबंदी हट गई. अब सवाल उठता है कि आखिर 95 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले ताजिकिस्तान ने हिजाब पर बैन लगाने का फैसला क्यों लिया? तो इसकी सबसे बड़ी वजह है कि ताजिकिस्तान हिजाब को विदेशी ड्रेस मानता है. खुद राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन लंबे समय से हिजाब और इस्लामी कपड़ों का विरोध करते रहे हैं. वह हिजाब पहनने के चलन को तजाकी संस्कृति के खिलाफ मानते हैं. वह तजाकी संस्कृति को बढ़ाने की दिशा में इसे अवरोध मानते हैं. यही वजह है कि उन्होंने मजहबी ड्रेस से हाय-तौबा करने का फैसला लिया.
भारत में हिजाब पर बैन क्यों नहीं?
राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन लगातार 30 सालों से सत्ता में हैं. वह शुरू से ही विदेशी कपड़ों के खिलाफ रहे हैं. यही वजह है कि उन्होंने अब जाकर ताजिकिस्तान से हिजाब पर बैन लगाने का फैसला किया है. अब सवाल उठता है कि जब 95 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले देश ने इतनी आसानी से हिजाब पर बैन लगा दिया तो हमारे देश में हिजाब पर पाबंदी क्यों नहीं लग सकती? क्या हिजाब वास्तव में इस्लाम का अनिवार्य अंग है? अगर नहीं तो फिर इसे बैन करने में इतनी मशक्कत क्यों? भारत के मुसलमान हिजाब को लेकर इतने कट्टर क्यों हैं? जब मुस्लिम बहुल देश भी हिजाब को कंसीडर नहीं कर रहे हैं तो भारत के मुस्लिम हिजाब पर बैन के पक्ष में क्यों नहीं? कर्नाटक में साल 2022 में हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्कूल-कॉलेजों में हिजाब बैन को बरकरार रखा था. हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की थी कि हिजाब इस्लामी आस्था में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है.
Tags: Hijab controversy, Karnataka News, World newsFIRST PUBLISHED : June 25, 2024, 07:56 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed