130 साल से आज भी इस मंदिर में लागू है अंग्रेज अधिकारी का आदेश जानें वजह

Kailash Mahadev Temple Agra: ताज नगरी आगरा को भी भगवान शिव की नगरी के नाम से जाना जाता है. यहां भोले नाथ के 4 बड़े-बड़े मंदिर हैं. इन सभी मंदिरों का अपना अलग-अलग इतिहास है. यहां तो एक मंदिर आज भी अंग्रेज अधिकारी के आदेश पर ही खुलता है.

130 साल से आज भी इस मंदिर में लागू है अंग्रेज अधिकारी का आदेश जानें वजह
हरिकांत शर्मा/आगराः ताज नगरी के साथ-साथ आगरा को भगवान शिव की नगरी भी कहा जाता है. आगरा के चारों कोनों पर भगवान महादेव के 4 प्रसिद्ध मंदिर हैं. इन मंदिरों का अलग-अलग महत्व है. हर एक मंदिर का अपना एक अलग इतिहास भी है. इन्हीं में से एक आगरा का कैलाश महादेव मंदिर भी है. जिसकी एक अद्भुत कहानी है. कहा जाता है कि आज भी इस मंदिर पर अंग्रेज अधिकारी का फरमान लागू है. अंग्रेज अधिकारी के आदेश के अनुसार सावन के तीसरे सोमवार को इस मंदिर का लोकल हॉलीडे घोषित किया जाता है. जंगल में खो गई थी अंग्रेज अफसर की पत्नी मंदिर के महंत गौरव गिरी बताते हैं कि उस समय कैलाश महादेव मंदिर के आसपास घने जंगल हुआ करते थे. साथ ही उस समय आगरा में ब्रिटिश हुकूमत भी थी. आगरा में एक अंग्रेज अधिकारी उन दिनों मंदिर के पास घने जंगलों में शिकार खेलने के लिए अपनी पत्नी के साथ गए थे. शिकार खेलने के दौरान उनकी पत्नी उनसे बिछड़ गई. महंत गौरव गिरी ने बताया कि काफी देर तक ढूंढने पर जब उनकी पत्नी का कुछ पता नहीं चला. तब उस अंग्रेज अधिकारी ने पास स्थित कैलाश महादेव मंदिर में अपनी पत्नी की सलामती के लिए प्रार्थना की. जिसके बाद उनकी पत्नी सकुशल मिल गई. तभी से उस अंग्रेज अधिकारी ने खुश होकर यह फरमान जारी किया कि सावन के तीसरे सोमवार को यहां पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाएगा, जो आज भी आगरा में 130 साल के बाद भी लागू है. सावन के तीसरे सोमवार को कैलाश मंदिर का भव्य मेला लगता है, जिसमें सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं. 10 हजार साल पुराना है कैलाश मंदिर इस कैलाश महादेव मंदिर का इतिहास लगभग 10 हजार साल पुराना है. मंदिर के महंत निर्मल गिरी महाराज बताते हैं कि भगवान परशुराम और उनके पिता महादेव को खुश करने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे थे. भगवान परशुराम और उनके पिता महादेव को अपने साथ ले जाने की जिद पर अड़े थे. महादेव ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर दोनों पिता-पुत्र को एक-एक शिवलिंग दिया. उसे लेकर वह रेणुका धाम जिसे वर्तमान समय में रुनकता के नाम से जाना जाता है उसकी ओर निकल पड़े. जानें कब से मानी जाती है स्थापना रास्ते में जिस जगह वर्तमान में कैलाश महादेव मंदिर है. वहां वह दोनों विश्राम के लिए रुके थे और शिवलिंग को वहीं रख दिया था. नित्य क्रिया से निवृत होकर वह जैसे ही शिवलिंग को उठाने लगे तो वह शिवलिंग नहीं उठा और हार मानकर उन्होंने पूरे विधि विधान के साथ दोनों शिवलिंगों को वहीं स्थापित कर दिया था. तभी से इस मंदिर की स्थापना मानी जाती है. Tags: Agra news, Local18, Sawan Month, Sawan somvarFIRST PUBLISHED : August 4, 2024, 10:43 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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