कांवड़ यात्रा पर सिंघवी दे रहे थे दलील तभी जज ने रोका- बढ़ा-चढ़ाकर मत बोलिए
कांवड़ यात्रा पर सिंघवी दे रहे थे दलील तभी जज ने रोका- बढ़ा-चढ़ाकर मत बोलिए
Abhishek Manu Singhvi News: सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने संबंधी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के निर्देश पर सोमवार को अंतरिम रोक लगा दी. याचिकाकर्ता की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें रखीं.
इसके साथ ही न्यायालय ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के इन निर्देशों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड एवं मध्य प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी किया।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा रूट पर ढाबा-रेस्टोरेंट और दुकानों पर नेम प्लेट संबंधी आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल के लिए रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानों को अपनी पहचान उजागर करने का आदेश जारी किया था. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. महुआ मोइत्रा की याचिका पर सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी दलील पर दलील दे रहे थे, तभी अदालत ने उन्हें रोका. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बढ़ा-चढ़ाकर न बोलने की हिदायत दी.
दरअसल, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, जिसमें कहा गया है कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने होंगे. महुआ मोइत्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एस वीएन भट्टी की पीठ से कहा कि भोजनालयों के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के लिए परोक्ष आदेश पारित किए गए हैं.
सिंघवी ने क्या दलील दी
इसके बाद बेंच ने अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा कि क्या उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड ने भोजनालय मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के संबंध में कोई औपचारिक आदेश दिया है. पीठ ने कहा, ‘क्या राज्य सरकारों ने कोई औपचारिक आदेश पारित किया है?’ अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि भोजनालयों के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने संबंधी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का आदेश पहचान के आधार पर बहिष्कार है और यह संविधान के खिलाफ है.
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सिंघवी को कोर्ट ने क्यों टोका?
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि एक हल्के और गंभीर अंदाज़ में कहूं तो कोई भी आदमी रेस्टोरेंट मालिक के नाम के लिए नहीं बल्कि खाने के लिए जाता है. इस पर जस्टिस भट्टी ने कहा, ‘डॉ. सिंघवी, जमीनी स्तर पर जो हो रहा है, उसे बढ़ा-चढ़ाकर भी नहीं कहना चाहिए. इन आदेशों में सुरक्षा और साफ-सफाई का भी ध्यान रखा गया है. आपका कहना है कि इससे बहिष्कार हो रहा है, सही है? बिना बढ़ा-चढ़ाकर बताएं.’ इसके बाद अभिषेक सिंघवी ने कहा कि कांवड़ यात्राएं दशकों से हो रही हैं. रास्ते में मुसलमानों सहित सभी धर्मों के लोग उनकी मदद करते हैं. अब आप बहिष्कार कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
बता दें कि इसके बाद अदालत में दलीलों और बहस का लंबा दौर चला. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और उत्तराखंड सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी. दरअसल यहां कांवड़ यात्रा रूट पर पड़ने वाले खाने-पाने के तमाम दुकानों के मालिक को अपने नाम और कर्मचारियों के नाम साफ-साफ लिखने का आदेश दिया गया था. हालांकि अब कोर्ट ने इस पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. अदालत ने कहा कि इस मामले में अगली सुनवाई तक किसी को जबरन नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा.
Tags: Abhishek Manu Singhvi, Kanwar yatra, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : July 22, 2024, 14:28 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed