मुफ्त योजनाओं के बचाव में सुप्रीम कोर्ट पहुंची AAP कहा- आर्थिक असमानता वाले समाज में यह जरूरी
मुफ्त योजनाओं के बचाव में सुप्रीम कोर्ट पहुंची AAP कहा- आर्थिक असमानता वाले समाज में यह जरूरी
आम आदमी पार्टी ने इस मामले में खुद को पक्षकार बनाए जाने की भी मांग की है और इस तरह की घोषणाओं को राजनीतिक पार्टियों का लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकार बताया. उसने याचिकाकर्ता को भाजपा का सदस्य बताते हुए उनकी मंशा पर भी सवाल उठाए हैं और कहा है कि यह जनहित याचिका नहीं, राजनीतिक हित याचिका है.
नई दिल्लीः आम आदमी पार्टी (AAP) ने चुनाव प्रचार के दौरान मुफ्त की योजनाओं (Freebies) का वादा करने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ एक जनहित याचिका का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है. पार्टी ने अपनी अर्जी में कहा है कि मुफ्त पानी, मुफ्त बिजली, मुफ्त परिवहन जैसे चुनावी वादे मुफ्त नहीं हैं, क्योंकि ये योजनाएं आर्थिक असमानता वाले समाज में बेहद जरूरी हैं.
आम आदमी पार्टी ने इस मामले में खुद को पक्षकार बनाए जाने की भी मांग की है और इस तरह की घोषणाओं को राजनीतिक पार्टियों का लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकार बताया. उसने याचिकाकर्ता को भाजपा का सदस्य बताते हुए उनकी मंशा पर भी सवाल उठाए हैं और कहा है कि यह जनहित याचिका नहीं, राजनीतिक हित याचिका है. आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी जिस किसी राज्य में भी चुनाव लड़ने जा रहीि है, वहां मुफ्त बिजली देने की घोषणा करती है.
कोर्ट ने केंद्र व नीति आयोग से उपाय सुझाने को कहा
शीर्ष अदालत ने 3 अगस्त को केंद्र सरकार, नीति आयोग, वित्त आयोग और आरबीआई जैसे हितधारकों से चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त की योजनाओं का वादा करने के मुद्दे पर विचार करने और इससे निपटने के लिए रचनात्मक सुझाव देने के लिए कहा था. अदालत ने इस मुद्दे से निपटने के लिए सरकार को उपाय सुझाने के लिए एक तंत्र स्थापित करने का आदेश देने का संकेत दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त की घोषणाओं पर जताई थी चिंता
पिछले हफ्ते चीफ जस्टिस एन.वी. रमण की अध्यक्षता वाली बेंच ने गैरजरूरी मुफ्त योजनाओं से अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान पर चिंता जताई थी. राज्यों पर बकाया लाखों करोड़ों रुपए के कर्ज का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले के समाधान के लिए एक कमिटी बनाने के संकेत दिए थे.
निर्वाचन आयोग ने भी इस मामले में रखी अपनी राय
इस याचिका पर अप्रैल में हुई सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि चुनाव से पहले या बाद में मुफ्त उपहार देना राजनीतिक दलों का नीतिगत फैसला है. वह राज्य की नीतियों और पार्टियों की ओर से लिए गए फैसलों को नियंत्रित नहीं कर सकता. आयोग ने कहा कि इस तरह की नीतियों का क्या नकारात्मक असर होता है, ये आर्थिक रूप से व्यवहारिक हैं या नहीं, ये फैसला करना वोटरों का काम है. चुनाव आयोग ने यह हलफनामा वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की जनहित याचिका के जवाब में दाखिल किया था.
जानें अश्विनी उपाध्याय की याचिका में क्या कहा गया
वकील अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि चुनाव प्रचार के दौरान मुफ्त की योजनाओं की घोषणा को मतदाताओं को रिश्वत देने की तरह देखा जाए. चुनाव आयोग अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए ऐसी घोषणाएं करने वाली पार्टी की मान्यता रद्द करे. याचिका में दावा किया गया है कि चुनाव से पहले सार्वजनिक धन से तर्कहीन मुफ्त का वादा या वितरण एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की जड़ों को हिलाता है. चुनाव प्रक्रिया की शुद्धता को खराब करता है. दलों पर शर्त लगाई जानी चाहिए कि वे सार्वजनिक कोष से चीजें मुफ्त देने का वादा या वितरण नहीं करेंगे.
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Tags: Aam aadmi party, Arvind kejriwal, Free electricityFIRST PUBLISHED : August 09, 2022, 10:34 IST