बलिया: सफलता की परिभाषा क्या है? अगर इसे किसी जीवंत उदाहरण से समझना हो, तो बलिया के पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. अभिषेक मिश्रा की कहानी सामने रखी जा सकती है. कठिन परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए उन्होंने जो हासिल किया, वह आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है. तमाम असफलताओं और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अभिषेक मिश्रा ने हार नहीं मानी और आज उनकी यह यात्रा एक सफल अधिकारी के रूप में युवाओं के लिए किसी ‘एनर्जी ड्रिंक’ से कम नहीं है.
डॉ. अभिषेक मिश्रा ने लोकल 18 को बताया कि वे बलिया जनपद में जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ (Public Health Expert) के पद पर कार्यरत हैं. उनका परिवार मिर्जापुर के चुनार क्षेत्र का मूल निवासी है. उनके पिता सरकारी सेवा में एक छोटे पद पर कार्यरत थे, और परिवार की आर्थिक स्थिति साधारण थी. अभिषेक की शिक्षा भारत के अलग-अलग राज्यों में हुई, जिसमें पूर्वोत्तर और उत्तर भारत के कई राज्य शामिल हैं.
बारहवीं के बाद उन्होंने मेडिकल की प्रवेश परीक्षा (सीपीएमटी) की तैयारी की, लेकिन दुर्भाग्य से एमबीबीएस में चयन नहीं हो पाया. बीडीएस में चयन हुआ, लेकिन उनकी दिलचस्पी उसमें नहीं थी. यह समय उनके लिए कठिनाई भरा था, क्योंकि मध्यमवर्गीय परिवार में आर्थिक दवाब पहले से ही था.
चीन से एमबीबीएस और विविधता में जीवन
अभिषेक के पिता ने कड़ी मेहनत से थोड़ी-बहुत पूंजी इकट्ठी की और उन्हें चीन में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए भेजा. चीन में पढ़ाई करते समय उन्होंने तमाम चुनौतियों का सामना किया—भाषा, संस्कृति, और खानपान में भिन्नता के बावजूद उन्होंने साढ़े छह साल तक पढ़ाई की. इसके बाद, भारत लौटकर उन्होंने स्कैनिंग टेस्ट पास किया और डॉक्टर बनने के अपने लक्ष्य को फिर से जीना शुरू किया.
रेलवे स्टेशन पर बिताई रातें और कठिनाइयों का सामना
अभिषेक मिश्रा ने दिल्ली में कुछ समय काम किया. इस दौरान कई बार ऐसा हुआ कि पैसे खत्म हो गए और घर से मांगने में संकोच होता था. इस समय, नौकरी मिलना भी आसान नहीं था. उन्होंने कुछ रातें रेलवे स्टेशन पर भी गुजारनी पड़ीं. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल, दिल्ली में जीआरएससीपी (ग्रेजुएट रिसर्च स्टडी सर्टिफिकेट प्रोग्राम) किया.
मेहनत का फल और सरकारी सेवा में चयन
सन 2012 में उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य विभाग में भर्ती निकाली. अभिषेक ने इसके लिए आवेदन किया और सतत मेहनत के बाद उनका चयन हुआ. आज वे बलिया जिले में पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट के पद पर कार्यरत हैं, और अपने इस पद से वे लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय मान्यता और भारत सरकार से सराहना
अभिषेक मिश्रा की मेहनत और लगन को न केवल राज्य सरकार ने सराहा, बल्कि भारत सरकार ने भी मान्यता दी. उन्हें दिल्ली में ईआईएस (एपिडेमियोलॉजी इंटेलिजेंस सर्विस) पाठ्यक्रम में जाने का मौका मिला, जहां उन्होंने उत्कृष्ट काम किया. प्रयागराज के कुंभ मेले में फूड सेफ्टी पर किए गए उनके काम को भारत सरकार ने इतना सराहा कि उन्हें अपने खर्चे पर अमेरिका भेजा गया.
संघर्ष से मिली शानदार सफलता
डॉ. अभिषेक मिश्रा की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो जीवन में किसी न किसी कठिनाई का सामना कर रहे हैं. उनके संघर्ष और मेहनत की यह यात्रा इस बात का प्रमाण है कि सही दिशा में निरंतर प्रयास करने से सपनों को साकार किया जा सकता है, चाहे राह कितनी भी कठिन क्यों न हो.
Tags: Local18, Up govtFIRST PUBLISHED : September 11, 2024, 13:36 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed