राहुल गांधी ने सैलजा के कान में कही कौन सी बात जिससे सांसद की जाग गई उम्मीद
राहुल गांधी ने सैलजा के कान में कही कौन सी बात जिससे सांसद की जाग गई उम्मीद
Haryana Chunav: हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी के भीतर गुटबाजी चरम पर है. हालांकि अपेक्षाकृत मजबूत केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी के भीतर की इस बगावत को शांत करा दिया है. ऐसे में राहुल गांधी के आश्वासन के बाद कुमार सैलजा गुट को उम्मीद दिखने लगी है.
Haryana Chunav: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग में अब कुछ ही दिन बचे हैं. मुख्य मुकाबला सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस के बीच है. कांग्रेस पांच अक्टूबर को होने वाले चुनाव से काफी उम्मीद लगाकर बैठी है. लेकिन, पार्टी के भीतर गुटबाजी चरम पर है. पार्टी राज्य में मुख्य रूप से दो खेमों में बंटी है. इस खेमाबंदी की वजह से राज्य की वरिष्ठ नेता और सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा कुछ दिनों के लिए प्रचार से ही दूर हो गई थीं. बाद में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की पहल पर इस मसले को सुलझाया गया. फिर कुमारी सैलजा चुनाव प्रचार में लौट आई हैं.
इस बीच लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पहली बार हरियाणा विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए गुरुवार को करनाल पहुंचे. इस दौरान राहुल गांधी के मंच पर दाईं ओर कुमारी सैलजा और बाईं ओर भूपिंदर सिंह हुड्डा बैठे हुए थे. ये दोनों राज्य के कद्दावर नेता हैं. इस दौरान राहुल गांधी दोनों नेताओं से गुफ्तगू करते नजर आए. वह एक बार कुमारी सैलजा के कान में कुछ कहते दिख तो दूसरी बार भूपिंदर सिंह हुड्डा के साथ बात करते दिखे.
कांग्रेस की रणनीति
दरअसल, कांग्रेस को करीब से जानने वाले बता रहे हैं कि पार्टी इस चुनाव में ज्यादा से ज्यादा स्थानीय मुद्दों पर फोकस कर रही है. इस कारण वह पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को प्रचार में जोर शोर से नहीं उतार रही है. पार्टी की आंतरिक रिपोर्ट के आधार पर यह रणनीति अपनाई गई है. पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि इस चुनाव को किसी भी हाल में पीएम मोदी बनाम राहुल गांधी न बनाया जाए. बल्कि राज्य की सरकार के प्रति लोगों की नाराजगी पर फोकस किया जाए. इसलिए पार्टी कोई राष्ट्रीय मुद्दा यहां जोरशोर से नहीं उठा रही है.
आलाकमान मजबूत
इस बीच लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व यानी आलाकमान अपेक्षाकृत काफी मजबूत हुआ है. लोकसभा में पार्टी को 99 सीटें मिली हैं. इसके साथ ही राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्राओं से उनकी छवि भी बेहतर हुई. केंद्र में पीएम मोदी के समक्ष सीधे लड़कर कांग्रेस पार्टी के करीब 100 सीट हासिल करने को राजनीति के पंडित बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं. वरना बीते करीब 10 सालों के दौरान केंद्रीय नेतृत्व के कमजोर होने की वजह से वह राज्य के स्तर पर अपने नेताओं को काबू में नहीं कर पा रही थी. बात चाहे मध्य प्रदेश की और फिर राजस्थान की… हर जगह पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की कमजोरी स्पष्ट तौर पर देखी गई.
हरियाणा चुनाव और आलाकमान
लेकिन, हरियाणा चुनाव में पार्टी का आलाकमान कुछ अलग दिख रहा है. उसने बिना किसी खास हो-हंगामे के पार्टी के भीतर उठे विवाद को शांत करा दिया. फिर राहुल गांधी के साथ मंच पर दोनों नेता बैठे दिखे. इस दौरान राहुल गांधी ने कुमारी सैलजा के कान में कुछ बात कही. फिर उन्होंने हालांकि भूपिंदर सिंह हुड्डा के साथ भी बात की. लेकिन, राहुल के मंच पर कुमारी सैलजा को भूपिंदर सिंह हुड्डा के बराबर की हैसियत से बैठाना काफी कुछ संदेश देता है.
दरअसल, कांग्रेस पार्टी के भीतर एक परंपरा रही है. पार्टी जब भी किसी विधानसभा में जीत हासिल करती है तो विधायक दल की बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में एक प्रस्ताव पास किया जाता है. इसमें विधायक अगले सीएम चुनने का फैसला पार्टी हाईकमान को सौंपते हैं. ऐसे में अब सैलजा कैंप को यह उम्मीद बढ़ गई है कि अगर पार्टी हाईकमान के हाथ में फैसला लेने की ताकत रहेगी तो स्थिति बदल सकती है और अपेक्षाकृत मजबूत केंद्रीय नेतृत्व सीधे तौर पर हुड्डा कैंप के दबाव में नहीं आएगा.
Tags: Assembly elections, Haryana election 2024FIRST PUBLISHED : September 27, 2024, 20:02 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed