बच्चों से है प्यार और सब्र है अपार बेबी केयर सेंटर खोलें ऐसे कमाएं मुनाफा

Stay at Home women business options: घर पर रहती हैं, परिवार संभालती हैं लेकिन कुछ कमाई भी करना चाहती हैं? सोचती हैं कि कोई प्रफेशनल ट्रेनिंग नहीं है और इतने फंड्स भी नहीं हैं कि अपना खुद का कोई कारोबार शुरू कर सकें? बस एक बात पर क्लियर हैं कि कुछ करना चाहती हैं और खुद की कमाई करना चाहती हैं. यदि ऐसा है तो आपके लिए एक सजेशन है, आप चाहें तो बेबी सिटिंग सर्विस यानी चाइल्ड केयर सेंटर जिसे क्रेच भी कहा जाता है, खोल सकती हैं...

बच्चों से है प्यार और सब्र है अपार बेबी केयर सेंटर खोलें ऐसे कमाएं मुनाफा
How to start a crech center in india: महिलाएं यदि कमाना चाहती हैं लेकिन झिझक रही हैं क्योंकि उन्होंने कभी काम नहीं किया है, तो जान लें कि किसी भी काम को करने के लिए इच्छाशक्ति और कोशिश सबसे महत्वपूर्ण कारक हैं. मगर राह में जो सबसे बड़ी बाधा बनता है वह है फंड्स की कमी. लेकिन ऐसे भी कई काम हैं जो महिलाएं अपनी स्वाभाविक मानी जाने वाली स्किल्स के बेस पर कर सकती हैं और इसमें कोई लाखों- करोड़ों रुपये की लागत भी नहीं होगी. हम चाइल्ड केयर सेंटर यानी क्रेच की बात कर रहे हैं. क्रेच और चाइल्ड केयर सेंटर में बुनियादी फर्क यह है कि क्रेच घर में भी खुल सकता है और लेकिन चाइल्ड केयर सेंटर किसी रूम से इतर कुछ बड़ी जगह डिमांड करता है जहां एक्टिविटीज आदि विस्तृत रूप से करवाई जाती हैं. यदि आप घर पर रहकर परिवार संभालती हैं और अब कुछ कमाई भी करना चाहती हैं, तो यह विकल्प आपके लिए खुला है. यदि आप ऐसी महिला हैं जो बच्चों के बीच सहज और सब्र से परिपूर्ण हैं, उनकी हरकतें और शरारतें मैनेज कर सकती हैं बिना आपा खोए, तो यह काम आपको जल्द से जल्द शुरू कर देना चाहिए. यहां बेहद छोटे बच्चे यानी शिशुओं से लेकर 5 साल तक के बच्चों को दिन के घंटों में पैरेंट्स द्वारा रखा जाता है जहां सेंटर की जिम्मेदारी में बच्चे की देखभाल की जाती है. ये बच्चों के लिए सेफ, आरामदायक जगहें होती हैं, हालांकि इनका लग्जरियस होना अनिवार्य शर्त नहीं है. (कुछ और  बिजनेस जो घर में रहने वाली महिलाएं कर सकती हैं, कम लागत के काम) वर्किंग पेरेंट या पैरेंट्स द्वारा आमतौर पर बच्चे यहां रखे जाते हैं. चाइल्ड केयर सेंटर के मुकाबले क्रेच में छोटे बच्चे आमतौर पर आराम करते हैं, खेलते हैं, खाते पीते हैं. देखभाल के लिए अटेंडेंट भी रख सकती हैं. बाद में चाहें तो इस काम को अपने घर के एक रूम से बढ़ाकर बड़े स्पेस में कर सकती हैं. (रियल एस्टेट की कीमतें आसपान पर, फिर भी सिंगल महिलाओं को जरूर खरीदना चाहिए अपना मकान! निवेशकों की राय) क्रेच हो या बड़ा डे केयर सेंटर, आपके इसके लिए लाइसेंस लेना होगा. कितने बच्चे रखेंगी, मैक्सिमम लिमिट से लेकर कितने लोग सहयोग करेंगे या काम करेंगे क्रेच को चलाने के लिए, इसकी न्यूनतम और अधिकतम संख्या बतानी होगी. हाइजीन और सेफ्टी के लिए क्या उपाय हैं और इसके पैरामीटर पर आपको खरा उतरना होगा. लाइसेंस के लिए अप्लाई करें और जरूरी दस्तावेजों के साथ सब्मिट कर दें. दिल्ली की बात करें एमसीडी से परमिशन लेनी होगी. एमसीडी एक बार ट्रेड लाइसेंस जारी कर दे तो आप शुरू कर सकती हैं हालांकि गाइडलाइन्स हर राज्य के लिए अलग अलग हो सकते हैं. महिलाओं और पर्सनल फाइनेंस से जुड़ी ऐसी ही अधिक जानकारी के लिए आप यहां क्लिक कर सकती हैं. आपको फर्स्ट एड और सीपीआर ट्रेनिंग का सर्टिफिकेट चाहिए होगा, साथ ही स्टाफ की पुलिस वेरिफिकेशन और म्यूनिसिफल कॉरपोरेशन से लाइसेंस चाहिए. अब सवाल उठता है कि इसे चलाने में खर्च कितना आएगा. अब यह निर्भर करता है कितना स्टाफ आप रखेंगी, सुविधाएं क्या देंगी, अपने घर के एक कमरे में शुरू करेंगी या रेंट पर जगह लेकर चलाएंगी… ऐसे में यह खर्च 2 लाख रुपये से लेकर कुछ लाख रुपये तक हो सकता है. Tags: Business news in hindi, Child care institutions, Money Making Tips, Women's Finance, Work From HomeFIRST PUBLISHED : May 8, 2024, 10:51 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed